MP Representative Kamal Patel: एमपी अजब-गजब है और मध्य प्रदेश की सियासत में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है।
हाल ही में 5 बार के विधायक और पूर्व मंत्री को एक ऐसा पद मिला है जो सियासी चर्चा का विषय बन गया है।
कमल पटेल सांसद प्रतिनिधि बनाए गए हैं।
इसके बाद से सवाल उठ रहे है कि रुतबे में पार्षद से भी छोटे इस पद को कमल पटेल ने क्यों स्वीकार किया है?
MP की अजब-गजब राजनीति, पूर्व मंत्री कमल पटेल बने सांसद प्रतिनिधि
यह मध्ये प्रदेश के इतिहास में शायद पहला ही मौका होगा, जब किसी सीनियर नेता को सांसद प्रतिनिधि की जिम्मेदारी दी गई है।
इसी को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म है।
केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके के सांसद प्रतिनिधि के रूप में पूर्व मंत्री कमल पटेल को नियुक्त किया गया है।
बैतूल लोकसभा सीट से सांसद ने अपने लेटर हेड पर जारी पत्र में ये जानकारी दी।
कमल पटेल पिछली सरकार में कृषि मंत्री थे, वे 5 बार विधायक रह चुके हैं, साथ ही दो बार कैबिनेट मंत्री और एक बार राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
सांसद प्रतिनिधि के तौर पर कमल पटेल को नगर पालिका और नगर पंचायत में पार्षद से भी नीचे का प्रोटोकाल मिलेगा।
इसी तरह, उनका जनपद पंचायतों में सदस्य से भी नीचे का प्रोटोकाल होगा।
अब वे सरकारी बैठकों में पार्षद और जनपद सदस्यों के साथ बैठते नजर आएंगे।
पार्षद से भी नीचे पहुंचे, ये है पटेल के सांसद प्रतिनिधि बनने की वजह ?
अपनी नई जिम्मेदारी पर कमल पटेल ने कहा कि ये उनके लिए पद नहीं बल्कि दायित्व है।
उन्होंने कहा कि सांसद केंद्रीय मंत्री भी है जिसके चलते क्षेत्र में पर्याप्त समय नहीं दे पाते।
हम उनके प्रतिनिधि के रूप में क्षेत्र की जनता को केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाएंगे।
कमल पटेल मध्यप्रदेश भाजपा के सीनियर नेताओं में से एक है, वह ओबीसी के बड़े नेता भी माने जाते हैं।
2014 लेकर 2018 तक भी पटेल सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं।
राजनीतिक जानकार कमल पटेल की इस नियुक्ति को सिर्फ सियासी मजबूरी बता रहें हैं।
हालांकि इस बार अंदरूनी खींचतान जैसी वजह भी सामने आई है।
दरअसल हरदा विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है।
कमल पटेल दो दशक से इस सीट से जीतते हुए आ रहे थे।
लेकिन, 2023 का विधानसभा चुनाव वो कांग्रेस के आरके दोगने से हार गए थे।
इसके बाद से उन्हें पार्टी संगठन में कोई पद नहीं मिला था।
वहीं कमल पटेल हरदा नगर पालिका की मीटिगों में शामिल होना चाहते थे।
लेकिन, उनके पास कोई पद नहीं था तो वे ऐसा नहीं कर पा रहा थे।
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक ये वजह हो सकती है जिसके कारण कमल पटेल ने सांसद प्रतिनिधि की जिम्मेदारी स्वीकारी है।
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