Plane Crash Reasons: कजाखिस्तान के आक्तौ के पास हुई विमान दुर्घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी।
इस विमान में 5 क्रू मेंबर के साथ 62 यात्री सवार थे।
दिसंबर 2024 को हुई यह घटना विमानन सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है।
हवाई यात्रा को सबसे सुरक्षित परिवहन प्रणाली माना जाता है।
लेकिन, दुर्घटनाएं अभी भी होती हैं, जिनके कारण गंभीर परिणाम सामने आते हैं।
विमानन सुरक्षा में सुधार से पहले दुर्घटना की प्रमुख वजहों को समझना जरूरी है।
आइए जानते हैं विमान दुर्घटनाओं की 5 बड़ी वजहें (Plane Crash Reasons) और साथ ही इनसे बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
ये हैं विमान दुर्घटनाओं के 5 बड़े कारण
1 – पायलट की चूक:
विमान दुर्घटनाओं के लगभग 50% मामलों में पायलट की चूक मुख्य कारण होती है।
उड़ान के दौरान टेकऑफ, नेविगेशन और लैंडिंग जैसे विभिन्न चरणों में की गई गलतियां गंभीर परिणाम दे सकती हैं।
उदाहरण के तौर पर साल 2009 में कोल्गन एयर फ्लाइट 3407 न्यूयॉर्क के बफेलो में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।
पायलट ने चेतावनियों का सही तरीके से जवाब नहीं दिया, जिससे नियंत्रण खो गया और सभी 50 लोगों की जान चली गई।
2 – मशीनों का फेल होना:
मशीनों की तकनीकी विफलता 22% दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
इनमें डिजाइन दोष, रखरखाव में कमी और निर्माण संबंधी खामियां शामिल होती हैं।
साल 2020 में एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 की दुर्घटना इसका एक उदाहरण है, जब लैंडिंग के दौरान तकनीकी खामियों और पायलट की चूक के कारण रनवे से विमान फिसल गया।
इस दुर्घटना में 18 लोगों की जान गई, यह घटना बताती है कि रखरखाव प्रोटोकॉल की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है।
3 – मौसम की स्थिति:
करीब 12% दुर्घटनाएं खराब मौसम के कारण होती हैं।
दृश्यता में कमी, बर्फबारी, बारिश और तूफानी हवाएं उड़ान को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।
खराब मौसम उड़ान को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से टेकऑफ़ और लैंडिंग के समय।
साल 2009 में एयर फ्रांस फ्लाइट 447 अटलांटिक महासागर में खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें सभी 228 यात्रियों और चालक दल की मौत हो गई थी।
इस घटना ने पायलटों को मौसम प्रबंधन और तकनीकी सहायता की आवश्यकता पर बल दिया।
वैसे तो पायलटों को मौसम मूल्यांकन और नेविगेशन तकनीकों पर व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है।
वहीं उन्नत मौसम रडार सिस्टम पायलटों को प्रतिकूल परिस्थितियों में उड़ान मार्ग चुनने में मदद करते हैं।
लेकिन, अप्रत्याशित मौसम पैटर्न अभी भी बड़ा जोखिम पैदा कर सकता है।
4 – एयर ट्रैफिक कंट्रोल की चूक:
लगभग 3% दुर्घटनाएं एयर ट्रैफिक कंट्रोल की चूक के कारण होती हैं।
नियंत्रक कई विमानों का प्रबंधन करते हैं और टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान उनके बीच सुरक्षित दूरी सुनिश्चित करते हैं।
लेकिन संवाद में कमी, अधिकतम ट्रैफिक लोड होने पर गलती होने की आशंका बढ़ जाती है।
जुलाई 2002 में एक टुपोलेव Tu-154 और एक DHL बोइंग 757 के बीच टकराव एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों और पायलटों के बीच संचार में कमी की वजह से हुआ था, इसमें 71 लोगों की मौत हो गई थी।
5 – आतंकवाद और तोड़फोड़:
7% घातक दुर्घटनाएं तोड़फोड़ और आतंकवाद के कारण होती हैं।
हालांकि, अन्य कारणों की तुलना में यह कम बार होता है।
लेकिन, फिर भी यह विमानन सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हैं।
11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमलों में कॉमर्शियल विमानों का उपयोग किया गया था, जिससे लगभग 3 हजार लोगों की मौतें हुई थी।
एयरलाइंसों ने इन खतरों का सामना करने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय लागू किए हैं।
जिसमें कर्मचारियों की बैकग्राउंड जांच और हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग प्रक्रियाएं शामिल हैं।
इसके अलावा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
हवाई यात्रा: सुरक्षा के लिए उठाए गए नए कदम और चुनौतियां
विमान दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों (Plane Crash Reasons) को समझना वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
पायलट की चूक, तकनीकी खामियां, खराब मौसम, एयर ट्रैफिक कंट्रोल की गलतियां और आतंकवाद।
इन सभी कारणों से होने वाली विमान दुर्घटनाओं से बचने के लिए उन्नत तकनीकों और कठोर नियमों को लागू करना आवश्यक है।
विमानन उद्योग पिछली घटनाओं से सीखते हुए नई तकनीकी उपायों और रणनीतियों को लागू करके उड़ान से संबंधित जोखिमों को कम करने की कोशिश कर रहा है।
हवाई यात्रा वैश्विक परिवहन नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी रहती है।
इसलिए सुरक्षा को प्राथमिकता देना हमेशा यात्रियों और चालक दल दोनों के लिए सही है।
ICAO और शिकागो कन्वेंशन: विमानन सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत
विमान यात्रा आजकल तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे कि ICAO (International Civil Aviation Organization) और IATA (International Air Transport Association) लगातार नियमों और मानकों को अपडेट करते रहते हैं, ताकि विमान यात्रा सुरक्षित बनी रहे।
ICAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1944 में की गई थी, इसका मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में स्थित है।
ICAO के गठन के लिए शिकागो कन्वेंशन पर 7 दिसंबर 1944 को शिकागो में हस्ताक्षर किए गए थे, इस कारण इसे शिकागो कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है।
यह कन्वेंशन वायुमार्गों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय परिवहन के लिए आवश्यक प्रमुख सिद्धांतों को स्थापित करता है और ICAO के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस संगठन का एक मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना और विकास को बढ़ावा देना है, ताकि विश्व भर में नागरिक विमानन का सुरक्षित और व्यवस्थित विकास सुनिश्चित किया जा सके।
दुनिया के कई देश ICAO और शिकागो कन्वेंशन के नियमों का पालन कर रहे हैं। भारत भी ICAO संगठन के 193 सदस्यों में शामिल है।
भारत में विमानन सुरक्षा: नए नियम और वैश्विक मानकों का पालन
भारत जैसे देशों में भी हवाई यात्रा तेजी से बढ़ रही है।
भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हाल ही में कई नए नियम लागू किए हैं, जो विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं।
विमान (सुरक्षा) नियम, 2023 के तहत फर्जी बम धमकी देने वालों के खिलाफ कड़े प्रावधान, भारी जुर्माना और उड़ान सेवाओं में प्रतिबंध का प्रावधान है।
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) भारत में नागर विमानन सुरक्षा के लिए मुख्य नियामक संस्था के रूप में कार्य करता है।
इसकी स्थापना 1978 में पांडे समिति की सिफारिशों पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के अंतर्गत एक प्रकोष्ठ के रूप में की गई थी।
1987 में BCAS को नागर विमानन मंत्रालय के अधीन एक स्वतंत्र विभाग के रूप में पुनर्गठित किया गया।
DGCA भारत में अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू हवाई परिवहन सेवाओं का नियमन करता है और नागरिक उड़ानों से संबंधित मानकों और उपायों को निर्धारित करता है।