Cyber Fraud Gang Exposed: फर्जीवाड़ा करने वाले बिहार के अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा भोपाल पुलिस ने किया है।
साइबर ठगों का ये गैंग फर्जी दस्तावेज के आधार पर बैंक अकाउंट बनाकर उन्हें बेचता था।
पुलिस ने गिरोह के 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक महिला भी शामिल है।
देशभर में ठगी का हाई-प्रोफाइल नेटवर्क बनाने वाला ये गैंग अधिकतर सफर फ्लाइट से ही करता था और कमाई रकम से टूरिस्ट प्लेस पर छुट्टियां मनाता था।
नाबालिगों के आधार से खोले फर्जी बैंक खाते
भोपाल पुलिस ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर बैंक अकाउंट बनाकर उन्हें बेचने वाले बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है।
बिहार का इस अंतरराज्यीय गिरोह के गिरफ्तार 7 में से 6 साइबर ठगों को पुलिस ने जेल भेज दिया है।
गिरोह की महिला सदस्य टेलीकॉलिंग कर शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट और ऑन लाइन गेमिंग ऐप में पैसा लगाने का झांसा देकर ठगी का काम करती थी।
आरोपी भोपाल में किराए का मकान लेकर फर्जी दस्तावेज बनाते थे।
इसके लिए इब्राहिमपुरा में एक कमरे में कॉल सेंटर भी बना रखा था।
पूछताछ में आरोपियों ने देश के 6 अलग-अलग शहरों में रहकर फर्जी दस्तावेज बनाने की बात स्वीकार की है।
नमें इंदौर, भोपाल, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद जैसे शहर शामिल हैं।
फिलहाल आरोपियों के बैंक खातों को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है।
इन खातों में कितनी रकम है, इसका आंकलन किया जा रहा है।
गिरोह का सरगना 12वीं पास शशिकांत कुमार
पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि दो साल में आरोपी 1800 से अधिक खाते खुलवाने के बाद बेच चुके हैं।
आरोपियों ने 10 हजार रुपए प्रति खाते को बेचकर करीब 2 करोड़ रुपए कमाए हैं।
गिरोह का सरगना और मास्टर माइंड शशिकांत कुमार उर्फ मनीष है, जो 20 नवंबर तक रिमांड पर है।
बिहार के नालंदा का रहने वाला शशिकांत 12वीं पास है, झारखंड से यही डेटा लाता था।
पुलिस को उसके मोबाइल में कई संदिग्ध ऐप मिले हैं, पूछताछ में उसने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
शशिकांत ने बताया कि सबसे पहले वह नाबालिग लड़के-लड़कियों के आधार कार्ड हासिल करता था।
फिर उन्हें एडिट कर दूसरों की फोटो लगाता था, साथ ही उम्र बढ़ाकर लिख देता था।
इस फर्जी आधार नंबर से पैन कार्ड बन जाता था।
इसके बाद फर्जी आधार और पैन कार्ड की मदद से बैंक खाते खुलवाता था।
झारखंड का डाकिया दिलवाता था नाबालिगों के आधार
आरोपियों ने एमपी के भोपाल, इंदौर और उज्जैन समेत अन्य शहरों के अलग-अलग बैंकों में करीब 150 फर्जी खाते खोले।
इन सभी खातों को खोलने के लिए सातों आरोपियों ने केवल अपने ही फोटो का इस्तेमाल किया है।
खाते खुलवाने के लिए आरोपी स्वयं बैंक जाते थे।
इतनी आसानी से बड़ी संख्या में आरोपियों ने खाते कैसे खुलवाए, इन तमाम बातों का जवाब जानने पुलिस संबंधित सभी बैंकों को नोटिस देगी।
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे पिछले एक महीने से भोपाल में रह रहे थे।
यहां फर्जीवाड़ा करने के लिए कॉल सेंटर कमरे में शुरू किया था।
बड़ी संख्या में एडिट कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा चुके थे।
इनसे फर्जी बैंक खाते खुलवाले और फर्जी तरीके से सिम खरीदने की योजना थी।
साइबर ठग गिरोह ने ये सभी बैंक खाते उन आधार कार्ड पर खुलवाए, जो कभी सही पते पर नहीं पहुंचे।
जांच में यह भी सामने आया है कि सही पते पर नहीं पहुंचने वाले आधार कार्ड झारखंड का डाकिया उपलब्ध करवा रहा था।
इस डाकिए को विशेष कर नाबालिगों के आधार कार्ड जालसाजों तक पहुंचाने का जिम्मा था।
ठगी की रकम से करते थे फ्लाइट से सफर
मुख्य आरोपी शशिकांत ने पुलिस को बताया कि किसी को उन पर शक न हो इसलिए गिरोह के सदस्य साधारण जीवन जीते थे।
किसी भी शहर में हाई प्रोफाइल इलाके में मकान नहीं लेते थे।
फर्जीवाड़े से की गई कमाई परिजन को भेज दिया करते थे।
उन्हें भी शक न हो इसके लिए 20-30 हजार रुपए महीने से अधिक रकम नहीं भेजते थे।
पुलिस जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि सभी आरोपी चौथी से 12वीं क्लास तक पढ़े हैं।
वे दो महीने से अधिक किसी शहर में नहीं रहते थे।
इस दौरान वह 200-300 तक फर्जी खाते बेच दिया करते थे।
कमाई रकम से वह अगले टारगेट तक पहुंचने से पहले छुट्टी मनाते थे।
देश में कहीं भी रहने के दौरान गिरोह का पटना से लगातार संपर्क में बना रहता था।
ये गिरोह अधिकतर सफर वह फ्लाइट से ही करता था।
फिलहाल पुलिस शशिकांत द्वारा धोखाधड़ी की राशि से खरीदी संपत्ति का ब्यौरा जुटाएगी।
पूछताछ में शशिकांत ने पटना में रखी एक डायरी का भी जिक्र किया है।
उस डायरी से इस अपराध से संबंधित अहम जानकारी मिलने की उम्मीद है।
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