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अंबेडकर मूर्ति विवाद: ग्वालियर में धारा 163 लागू, पुलिस ने 260 भड़काऊ पोस्ट हटवाई

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Ambedkar Statue Controversy: ग्वालियर (MP) हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

इसी कड़ी में हाईकोर्ट के एक वकील अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. अंबेडकर के बारे में दिए गए विवादास्पद बयान ने स्थिति को और गर्मा दिया है।

इसके चलते दलित और सवर्ण संगठनों द्वारा 15 अक्टूबर को ग्वालियर में विरोध-प्रदर्शन की घोषणा ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

इसे देखते हुए ग्वालियर पुलिस और जिला प्रशासन ने कमर कस ली है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।

260 भड़काऊ पोस्ट हटवाई, 50 को नोटिस

सबसे पहले, सोशल मीडिया पर चल रहे भड़काऊ अभियान पर लगाम लगाने के लिए पुलिस की साइबर टीम सक्रिय हो गई है।

अब तक 260 से अधिक विवादास्पद पोस्ट्स को हटवाया जा चुका है।

साथ ही, ऐसी सामग्री पोस्ट करने या शेयर करने वाले 50 से ज्यादा लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए हैं।

इन नोटिस में उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है और आगे ऐसा न करने की चेतावनी दी गई है।

अनिल मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज

विवादित बयान देने वाले वकील अनिल मिश्रा के खिलाफ तो ग्वालियर समेत महाराष्ट्र में भी एफआईआर दर्ज हो चुकी है।

एफआईआर के मुताबिक, मिश्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए डॉ. अंबेडकर को ‘अंग्रेजों का गुलाम-एजेंट’ और ‘झूठा’ जैसे शब्द कहे, जिसे आपत्तिजनक और भड़काऊ माना जा रहा है।

धारा 163 लागू: बिना अनुमति आयोजन पर पाबंदी

किसी भी तरह के हिंसक या अशांतिपूर्ण घटनाक्रम को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए धारा 163 लागू कर दी है।

इसका सीधा सा मतलब है कि अब जिले में बिना पूर्व अनुमति के कोई भी धरना-प्रदर्शन, जुलूस या सार्वजनिक समारोह नहीं निकाला जा सकता।

प्रशासन का मकसद साफ है – किसी भी तरह की भीड़ जमा न होने देना।

इसी कड़ी में, ग्वालियर के कलेक्टर रुचिका चौहान और एसएसपी धर्मवीर सिंह ने शहर के नागरिकों, व्यापारियों और शांति समिति के सदस्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी की।

इस बैठक में 15 अक्टूबर को कोई भी कार्यक्रम न आयोजित करने पर सहमति बनी।

प्रशासन ने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति या समूह बिना अनुमति कोई आयोजन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

शांति बनाए रखने का संकल्प

ग्वालियर पुलिस किसी भी हालात के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रही है।

एसएसपी धर्मवीर सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी साइबर टीम की नजर सोशल मीडिया पर हर उस गतिविधि पर है, जो सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती है।

उन्होंने लोगों से अपील की कि वे आपसी भाईचारे को बनाए रखें और भ्रम फैलाने वाली अफवाहों पर ध्यान न दें।

कलेक्टर रुचिका चौहान ने शांति समिति के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे स्वयं आगे बढ़कर ऐसे लोगों से संपर्क करें जो भड़काऊ पोस्ट डाल रहे हैं और उन्हें समझाएं, ताकि कानूनी कार्रवाई की नौबत ही न आए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी पैनी नजर रखी जाए।

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पुलिस ने की मॉक ड्रिल

ग्वालियर पुलिस ने बहोड़ापुर स्थित पुलिस लाइन में एक विशेष मॉक ड्रिल (अभ्यास) का आयोजन किया।

इस ड्रिल में दो अलग-अलग पक्षों के बीच संघर्ष और हिंसा जैसी स्थिति की नकल की गई।

पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों के पथराव और हिंसा का मुकाबला करने, भीड़ को नियंत्रित करने और आंसू गैस के इस्तेमाल का प्रशिक्षण लिया।

इसमें एक पुलिस कर्मी संतोष सिंह घायल भी हो गए। आंसू गैस के एक गोले का टुकड़ा लगने से उनके माथे पर चोट आई, जिसके दो टांके लगे।

आखिर क्या है विवाद?

इस विवाद की शुरुआत 17 मई, 2025 को हुई थी, जब ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में जूनियर वकीलों के एक समूह ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने की मांग उठाई।

इस मांग का सीनियर वकीलों के एक धड़े ने विरोध किया, जिसके बाद से ही यह विवाद चल रहा है।

इस मांग का समर्थन करने वाले संगठनों जैसे भीम आर्मी, आजाद समाज और ओबीसी महासभा और विरोध करने वाले वकीलों के बीच कई बार तनाव और झड़पें हो चुकी हैं।

एक मौके पर, भीम आर्मी के एक पूर्व सदस्य रूपेश केन की वकीलों ने हाईकोर्ट परिसर के बाहर ही मारपीट कर दी थी।

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इन्हीं झड़पों के मद्देनजर, हाईकोर्ट प्रबंधन ने प्रतिमा की स्थापना पर रोक लगा दी और उस प्रतिमा को शहर से 15 किलोमीटर दूर एक मूर्तिकार की वर्कशॉप में रखवा दिया गया, जहां आज भी दो पुलिसकर्मी उसकी रखवाली कर रहे हैं।

हाल ही में, प्रतिमा विरोधी धड़े के वकीलों ने उस स्थान पर तिरंगा फहरा दिया, जहां प्रतिमा लगनी थी।

इस दौरान पुलिस के रोकने पर धक्का-मुक्की भी हुई, जिससे स्थिति और उलझ गई।

बहरहाल, ग्वालियर प्रशासन और पुलिस ने हरसंभव तैयारी कर ली है।

ऐसे में, स्थानीय नागरिकों और समुदायों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अफवाहों से दूर रहें, शांति बनाए रखें और प्रशासन का सहयोग करें।

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