Hathras Stampede: हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के फुलरई गांव में मंगलवार की दोपहर 1 बजे बाबा नारायण साकार विश्व हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ के सत्संग के बाद मची भगदड़ में अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है।
हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा में रात भर शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ और परिजन अपनों की डेड बॉडी को लेकर इधर-उधर भटकते रहे। जिला प्रशासन ने अब तक 121 मौत की पुष्टि कर दी है।
बुधवार 3 जुलाई को सुबह साढ़े 11 बजे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हाथरस पहुंचे और जिला अस्पताल में घायलों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना।
इसके साथ ही सीएम योगी ने घटनास्थल का दौरा किया और अधिकारियों से हादसे से संबंधित सारी जानकारी ली।
इसके बाद सीएम योगी ने हाथरस हादसे (Hathras Stampede) को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि यह हादसा साजिश जैसा है।
लोग मरते गए औऱ सेवादार वहां से भाग गए। उन्होंने न तो प्रशासन को सूचना दी और न ही हादसे में घायल लोगों की मदद की।
इतना ही नहीं, प्रशासन की टीम जब पहुंची तो सेवादारों ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया। मामले को दबाने का प्रयास किया।
जब हादसा बड़ा हो गया तो वहां से भाग निकले। होना यह चाहिए था कि अगर हादसा था तो सेवादारों को लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
सीएम योगी ने कहा कि हमने भी कुंभ जैसे बड़े आयोजन किए, लेकिन ऐसी चीजें नहीं आईं।
उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोगों की प्रवृत्ति होती है कि इस प्रकार (Hathras Stampede) के दुखद और दर्दनाक घटनाओं में भी वो राजनीति ढूंढते हैं।
जनपद हाथरस में पत्रकार बंधुओं से वार्ता… https://t.co/aegJal8lyf
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 3, 2024
सीएम योगी ने मीडिया को जानकारी दी कि हादसे की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है।
इसके साथ ही हाईकोर्ट के रिटायर जज, पुलिस के सीनियर रिटायर ऑफिसर की टीम भी मामले की जांच करेगी, जो भी दोषी होगा, उसको सजा दी जाएगी।
इस बीच, हाथरस हादसे (Hathras Stampede) में प्रशासन की पहली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि सत्संग में हादसा भोले बाबा के चरणों की धूल लेने की वजह से हुआ। बाबा के सेवादारों ने लोगों से धक्का-मुक्की की जिससे भगदड़ मच गई।
जानकारी के मुताबिक, प्रशासन ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन ढाई लाख लोग पहुंच गए थे। भगदड़ हुई तो सेवादार गेट पर खड़े हो गए।
उन्होंने लोगों को रोक दिया। इसके बाद भीड़ खेतों की तरफ भीड़ मुड़ गई और नीचे बैठे और झुके श्रद्धालुओं को कुचलती हुई निकल गई।