Delhi Riots Accused Bail: 2 सितंबर, 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों से जुड़ी साजिश मामले में सभी 9 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
इनमें उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, तस्लीम अहमद, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा के नाम शामिल हैं।
अदालत ने दिल्ली पुलिस के इस तर्क को स्वीकार किया कि दंगे पहले से सुनियोजित थे और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की कोशिश की गई थी।

दिल्ली दंगा- क्या हुआ था 2020 में
यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़ा है, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे।

दिल्ली पुलिस का तर्क
दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह कोई अचानक भड़की हिंसा नहीं थी, बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए, भड़काऊ भाषण दिए और गुप्त बैठकें कीं।
उन पर आरोप है कि उन्होंने तय किया कि उस समय हिंसा की जाए जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर थे, ताकि देश को दुनिया में बदनाम किया जा सके।

आरोपियों के वकीलों ने अदालत में कई दलीलें रखीं
शरजील इमाम के वकील ने कहा कि उनका दंगों की जगह और समय से कोई लेना-देना नहीं है और न ही वह अन्य आरोपियों से किसी तरह जुड़े हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि शरजील के भाषणों या व्हाट्सएप चैट में कहीं भी हिंसा भड़काने का आह्वान नहीं किया गया था।
उमर खालिद के वकील ने कहा कि सिर्फ किसी व्हाट्सएप ग्रुप का मेंबर होना या मैसेज न भेजना कोई अपराध नहीं है।
सभी आरोपियों ने यह दलील दी कि वे लंबे समय (लगभग 4-5 साल) से जेल में हैं और अभी तक मुकदमा भी ठीक से शुरू नहीं हुआ है, इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
लेकिन, अदालत ने पुलिस की दलीलों को ज्यादा महत्व दिया।
Justice Navin Chawla and Justice Shalinder Kaur denied bail to Umar Khalid and 8 others! Shame! pic.twitter.com/IQdlxvpfmd
— Jeet (@jeetxg) September 2, 2025
कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत?
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शैलेंद्र कौर की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के भाषणों और कार्यवाहियों ने सामुदायिक डर का माहौल बनाया।
अदालत ने माना कि आरोप गंभीर हैं और यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम) जैसे कानून के तहत मामला दर्ज होने के कारण, सामान्य “जमानत नियम है” का सिद्धांत यहां लागू नहीं होता।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील दी कि यह मामला देश को बदनाम करने की साजिश से जुड़ा है और सिर्फ लंबी हिरासत के आधार पर जमानत देना उचित नहीं होगा।
Delhi: On the rejection of bail plea of Sharjeel Imam, Umar Khalid and others in UAPA case by Delhi High Court, Advocate Sarim Naved says, “The High Court has dismissed all appeals; all accused will now go to the Supreme Court, where the hearing will take place…” pic.twitter.com/UkoDYQaVm3
— IANS (@ians_india) September 2, 2025
अदालत ने माना कि आरोपियों के भाषणों ने सीएए, एनआरसी, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लोगों के बीच डर और नफरत फैलाने का काम किया।
कोर्ट ने कहा कि जब यूएपीए जैसे गंभीर कानून के तहत आरोप लगे हों, तो जमानत देना आसान नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान
इस फैसले के बाद, आरोपी पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का ऐलान किया गया है।
आरोपियों के वकीलों ने लंबी हिरासत (5 साल से अधिक) और मुकदमे में हो रही देरी को जमानत का प्रमुख आधार बताया था, लेकिन अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया।
यह मामला अब भविष्य में होने वाली सुनवाई पर नजर रखने वाला एक अहम मामला बन गया है।