Rajghat Funeral Rule: राजघाट में महात्मा गांधी का समाधि स्थल भी है और पहले भी यहां कई पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार किया गया है।
आइए जानते हैं कि राजघाट पर अंतिम संस्कार के क्या प्रोटोकॉल हैं और इस दौरान किन-किन नियमों का पालन किया जाता है।
तिरंगे में लपेटा जाता है शव, 21 तोपों की सलामी
किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है।
उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाता है और साथ ही 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है।
गृह राज्य में भी हो सकता है अंतिम संस्कार
आमतौर पर किसी भी प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार विशेष स्मारक स्थल पर ही होता है।
हालांकि, अंतिम संस्कार कहां होगा इसका निर्णय परिवार के लोग और सरकार करती है।
अगर परिवार के लोग चाहते हैं तो अंतिम संस्कार गृह राज्य में भी किया जा सकता है।
राजघाट पर होता है विशेष प्रोटोकॉल
राजघाट पर अंतिम संस्कार के कई नियम होते हैं।
यहां आम तौर पर पूर्व प्रधानमंत्रियों और विशेष लोगों का ही अंतिम संस्कार होता है।
राजघाट पर अंतिम संस्कार के समय पूरे राजकीय सम्मान का पालन किया जाता है, साथ ही विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल भी होता है।
सेना का बैंड और सशस्त्र बल भी होते हैं मौजूद
पूर्व पीएम के अंतिम संस्कार के समय प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री मौजूद रहते हैं।
इसके अलावा सेना का बैंड और सशस्त्र बलों के जवान भी अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं।
इन बड़े नेताओं का अंतिम संस्कार राजघाट पर हुआ
राजघाट पर महात्मा गांधी का समाधि स्थल है। इसके अलावा यहां कई पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार भी किया गया है।
इनमें गांधी परिवार के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गाधी, राजीव गांधी सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार किया गया है।
इन सभी के लिए राजघाट के पास अलग से समाधि स्थल भी बनाया गया है।
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