Homeन्यूजखून चढ़ाने पर भी हिन्दू-मुस्लिम! हॉस्पिटल में शर्मसार हुई इंसानियत

खून चढ़ाने पर भी हिन्दू-मुस्लिम! हॉस्पिटल में शर्मसार हुई इंसानियत

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Hindu-Muslim in Blood Donation: जात-पात और धर्म के नाम पर घोला गया जहर लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है।

पन्ना जिला से ऐसा ही मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। जहां मुस्लिम डोनर का खून लेने से मना कर दिया गया।

मनवता शर्मसार नहीं बल्कि कलंकित हुई

पन्ना के जिला अस्पताल का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जो जून महीने का बताया जा रहा है।

इस वीडियो में ब्लड बैंक का टेक्निशियन एक मुस्लिम डोनर का खून इसलिए लेने से इनकार कर देता है क्योंकि वो खून एक हिंदू महिला को दिया जाना था।

ब्लड बैंक के टेक्निशियन से बात कर रहे युवक का नाम सुरेश सोनकर है, जो नरहदा गांव का रहने वाला हैझ।ज

सुरेश की बुजुर्ग मां की तबियत खराब थी जो जिला अस्पताल में भर्ती थी, जिन्हें खून दिया जाना था।

सुरेश अपने दोस्त राजा खान को साथ लेकर ब्लड बैंक पहुंचा, जो सुरेश की मां को ब्लड डोनेट करने को तैयार था।

आधार कार्ड पर नाम राजा खान तो नहीं लिया खून

ब्लड बैंक के टेक्निशियन रविकांत शर्मा ने आधार कार्ड देखते ही ब्लड लेने से मना कर दिया, जिस पर राजा खान नाम लिखा था।

रविकांत का कहना था कि राजा खान मुस्लिम है लिहाजा हिंदू को उसका खून नहीं दिया जा सकता है। ये बात सुरेश को नागवार गुजरी और दोनों के बीच बहस हुई गई।

Hindu-Muslim in Blood Donation
Hindu-Muslim in Blood Donation

जब इस बहस का वीडियो बनाया जाने लगा तब रविकांत ने राजा खान का ब्लड लिया और बताया कि उससे ऐसा करने को कहा जाता है।

सुरेश ने मां की तबियत को देखते हुए उस वक्त रविकांत शर्मा की कोई शिकायत नहीं की लेकिन ये वीडियो सिविल सर्जन से लेकर अन्य अधिकारियों तक पहुंच चुका था।

जानकारी के मुताबिक रविकांत को नोटिस दिया गया और उसने नोटिस का जवाब भी दिया, जिसके बाद ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

सिविल सर्जन आलोक गुप्ता की मानें तो हॉस्पटल में कई प्रोफेशनल डोनर घूमते रहते हैं इसलिए पूछताछ की जाती है।

वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने पकड़ा तूल

जैसे ही ये वीडियो वायरल हुआ मामले ने फिर तूल पकड़ लिया। जिसने भी ये वीडियो देखा सुना वो हैरत में पड़ गया।

फिरकापरस्त ताकतों की मानसिकता अब इस हद तक नीचे गिर गई है कि खून के कतरों में भी वो हिंदू मुसलमान का फर्क देखने लगे हैं।

अब सवाल उठ रहें हैं कि सुरेश जैसे कितने लोग होंगे जो इस तरह की घटनाओंं के शिकार हुए होंगे?

मानवता,सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे के लिए इस तरह की सोच और इसके दुष्परिणाम घातक हैं।

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