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‘आई लव मोहम्मद’ के बाद लगे ‘I LOVE बुलडोजर’ के पोस्टर, CM बोले-“बुलडोजर इन्हीं के लिए बनाया है”

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

I Love Bulldozer: उत्तर प्रदेश इन दिनों एक अजीबोगरीब ‘पोस्टर वॉर’ का गवाह बना हुआ है, जिसने धीरे-धीरे एक बड़े कानून-व्यवस्था के मुद्दे का रूप ले लिया है।

यह सिलसिला ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे पोस्टरों से शुरू हुआ और अब इसके जवाब में ‘आई लव बुलडोजर’ और ‘आई लव महादेव’ जैसे पोस्टर सामने आ रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है और प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश देते हुए साफ कहा है कि सरकार उन्हें कुचल देगी।

लखनऊ में ‘आई लव बुलडोजर’ के पोस्टर

इस पोस्टर वॉर के बीच 27 सितंबर को लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा मोर्चा के महासचिव अमित त्रिपाठी ने शहर के कई प्रमुख चौराहों पर बड़े-बड़े होर्डिंग लगवाए।

इन होर्डिंग्स पर ‘आई लव श्री योगी आदित्यनाथ जी’ और ‘आई लव बुलडोजर’ लिखा हुआ था।

इनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, एक बुलडोजर और अमित त्रिपाठी की अपनी तस्वीरें भी थीं।

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‘बुलडोजर’ शब्द को राज्य सरकार द्वारा अवैध कब्जों और अपराधियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कार्रवाई अक्सर एक तरफा और विवादास्पद होती है।

ऐसे में, ‘आई लव बुलडोजर’ पोस्टर को सीएम योगी की नीतियों के समर्थन और ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टरों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

इसने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है।

बरेली में हिंसा पर CM योगी का सख्त बयान

शुक्रवार को बरेली में हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रूख अपनाते हुए सख्त एक्शन लेने की बात कही है।

उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, “मौलाना भूल गया कि शासन किसका है। वो मानता था कि धमकी देंगे और जबरदस्ती जाम कर देंगे। हमने कहा कि जाम नहीं होगा। कर्फ्यू भी नहीं लगने देंगे। ऐसा सबक सिखाएंगे कि तुम्हारी आने वाली पीढ़ियां दंगा करना भूल जाएंगी।”

उन्होंने आगे कहा कि उपद्रवियों पर ऐसी कार्रवाई होगी कि वे दोबारा ऐसी हरकत करने की सोच भी नहीं सकेंगे।

सीएम योगी ने प्रशासन को आदेश दिए हैं कि किसी भी उपद्रवी को बचने न दिया जाए और तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए।

उन्होंने त्योहारों के दौरान कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिशों को नाकाम करने के निर्देश दिए हैं।

क्या हुआ था बरेली में

बरेली में शुक्रवार की नमाज के बाद इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा की अपील पर एक भीड़ सड़कों पर उतर आई थी।

मामला ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर को लेकर था।

पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने पथराव शुरू कर दिया।

इसके जवाब में पुलिस ने कार्रवाई की और भीड़ को तितर-बितर किया।

इस घटना में कई लोग हिरासत में लिए गए।

पूरी खबर पढ़ें-

बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ जुलूस के दौरान हिंसा, नमाज के बाद हुआ पथराव तो पुलिस ने किया लाठीचार्ज

कानपुर से शुरू हुआ विवाद

इस पूरे विवाद की जड़ उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर है।

यहां 4 सितंबर को बारावफात (ईद मिलाद-उन-नबी) के मौके पर एक जुलूस निकाला गया।

इस जुलूस के दौरान एक समूह ने बिना किसी अनुमति के ‘आई लव मोहम्मद’ लिखा एक बैनर या लाइटबोर्ड सड़क किनारे लगा दिया।

इस बैनर को लेकर स्थानीय हिंदू संगठनों ने तुरंत विरोध जताया।

उनका आरोप था कि यह जानबूझकर सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश है।

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इस विरोध के बाद पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और बैनर को हटा दिया।

साथ ही, पुलिस ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू करते हुए 9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

पुलिस का कहना था कि जुलूस के लिए पर्याप्त अनुमति नहीं ली गई थी और सार्वजनिक स्थान पर बिना इजाजत पोस्टर लगाना नियमों का उल्लंघन है।

उस समय लगा कि मामला शांत हो गया है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

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विवाद ने पकड़ा जोर, दूसरे शहरों में फैली आग

कानपुर की इस घटना के बाद, यह विवाद सोशल मीडिया और राजनीतिक बयानबाजी के चलते पूरे प्रदेश में फैल गया।

कुछ दिनों के भीतर ही वाराणसी, आगरा, बरेली, लखनऊ जैसे शहरों में भी ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टर और जुलूस देखने को मिले।

यह मामला अब सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी ऐसी ही घटनाएं सामने आईं।

इसके जवाब में हिंदू संगठनों ने भी अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी।

वाराणसी में संतों और कार्यकर्ताओं ने ‘आई लव महादेव’ के पोस्टर लगाए।

उन्होंने शंखनाद करते हुए ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगाए। संतों ने कहा कि वे देश को किसी और रास्ते पर नहीं जाने देंगे।

उज्जैन जैसे शहरों में भी ‘आई लव महाकाल’ के पोस्टर लगे।

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राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि मोहम्मद साहब से मोहब्बत हर मुसलमान के दिल में है, लेकिन इसे जताने के लिए सड़कों पर तमाशा करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मस्जिदें नमाज के लिए हैं, न कि सड़कों पर उपद्रव के लिए।

अखिल भारतीय मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बरेली की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सभी से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम से मोहब्बत का सबसे बड़ा तरीका यही है कि किसी को तकलीफ न पहुंचाई जाए।

उत्तर प्रदेश में ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर से शुरू हुआ यह विवाद अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे में बदल चुका है।

एक तरफ सरकार और प्रशासन उपद्रव रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी तरफ अलग-अलग समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।

पोस्टरों का यह ‘युद्ध’ सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में भी फैल चुका है।

अब देखना है कि प्रशासन की सख्त कार्रवाई और धार्मिक गुरुओं की अपीलें प्रदेश में शांति बहाल कर पाती हैं या नहीं।

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