No Confidence Motion: संसद में जारी गतिरोध के बीच विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ खड़ा है।
INDIA ब्लॉक जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा।
जगदीप धनखड़ पर विपक्षी दल ने पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन चलाने का आरोप लगाया है।
यह पहली बार है जब किसी राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है और अगर हां तो विपक्ष के पास क्या ऑप्शन हैं?
आईए जानते हैं संविधान में उपराष्ट्रपति को हटाने के नियम के बारे में-
धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस
INDIA ब्लॉक ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की तैयारी कर ली।
विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया।
इस नोटिस में INC, TMC, AAP, SP, RJD, DMK, CPI, CPI-M और JMM समेत कई दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी और किसी भी दल के फ्लोर लीडर्स ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
यह प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने की मांग को लेकर लाया गया है, जो राज्यसभा के सभापति भी हैं।
गौरतलब है कि यह देश के संसदीय इतिहास में पहला मौका है, जब किसी उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए विपक्षी दल राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा।
1963 के बाद से भारत के कई प्रधानमंत्रियों के खिलाफ जरूर कुल 31 प्रस्ताव पेश किए गए हैं।
वहीं केवल तीन बार ऐसे प्रस्ताव पर प्रधानमंत्रियों की गद्दी गई है।
विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच.डी. देवेगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी इसके शिकार हुए हैं।
जगदीप धनखड़ पर लगे पक्षपात करने के आरोप
इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करने का ऐलान किया।
विपक्षी सांसदों और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बीच टकराव को इसका कारण बताया गया है।
ALL parties belonging to the INDIA group have had no option but to formally submit a no-confidence motion against the learned Hon'ble Chairman of the Rajya Sabha for the extremely partisan manner in which he has been conducting the proceedings of the Council of States. It has…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 10, 2024
इंडिया ब्लॉक के सांसद राज्यसभा के सभापति पर उनके भाषणों में बाधा डालने, महत्वपूर्ण मुद्दों पर पर्याप्त बहस की अनुमति न देने और विवादास्पद चर्चाओं के दौरान सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेने का आरोप लगा चुके हैं।
राज्यसभा का नियम 238(2) सभापति और सदस्यों के बीच व्यवहार को लेकर है।
इस नियमों का हवाला देते हुए विपक्षी सांसदों का दावा है कि सभापति स्पष्ट रूप से सदस्यों को बोलने से रोकते हैं।
विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं।
मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं और उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है।
क्या उपराष्ट्रपति को हटाया जा सकता है
उपराष्ट्रपति का संसदीय प्रणाली में अहम रोल है, वे राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष होते हैं।
उपराष्ट्रपति उच्च सदन को नियमों और परंपराओं के मुताबिक सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
उन्हें राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाये।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में बी उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं।
संविधान के मुताबिक उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनके पद से हटाया जा सकता है।
हालांकि प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस जारी करना होता है।
बता दें भारतीय संविधान के तहत अब तक किसी भी उपराष्ट्रपति को नहीं हटाया गया है।
संविधान में उपराष्ट्रपति को हटाने के नियम
भारत के उपराष्ट्रपति को कभी भी सफल अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा है।
हालांकि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ ऐसे प्रस्ताव पेश करने की चर्चा और प्रयास पहले भी हुए हैं, लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाए।
विपक्षी दल ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा है, जिस पर 70 सांसदों के सिग्नेचर हैं।
वहीं संविधान के नियमों के मुताबिक उपराष्ट्रपति के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं।
संबंधित प्रस्ताव 14 दिन पहले राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा जाना चाहिए।
अगर राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इसे लोकसभा को भेजा जाता है।
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए लोकसभा से भी मुहर लगनी चाहिए।
इसके अलावा प्रस्ताव पेश होने के बाद उच्च सदन में बहस और वोटिंग होती है।
राज्यसभा में 234 सांसद हैं और बहुमत 117 पर है।
अभी एनडीए के पास 119 सांसद हैं और इंडिया गठबंधन के सांसदों की संख्या 90 है।
फिलहाल की स्थिति में विपक्ष के पास बहुमत नहीं है और अगर वोटिंग होती है तो ये प्रस्ताव पास नहीं हो पाएगा।