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विदेश जाने का रुझान घटा: भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले हुए कम, सरकार ने संसद में दी जानकारी

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

indians renouncing citizenship: केंद्र सरकार ने संसद में पेश किए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 3 वर्षों (2022-2024) में विदेशी नागरिकता के लिए भारतीय नागरिकता त्यागने वाले लोगों की संख्या में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी साझा की।

इससे एक संकेत मिलता है कि भारतीयों का विदेशों के प्रति मोह कुछ हद तक कम हो रहा है।

3 वर्षों का रुझान: संख्या में निरंतर कमी

सरकार के आंकड़े दिखाते हैं कि भारतीय नागरिकता त्यागने वालों की संख्या लगातार तीसरे वर्ष घटी है।

वर्ष 2022 में 2,25,620 लोगों ने, 2023 में 2,16,219 लोगों ने और वर्ष 2024 में यह संख्या घटकर 2,06,378 रह गई।

इस प्रकार, 2022 की तुलना में 2024 में लगभग 5% की कमी आई है।

हालांकि, यह संख्या अभी भी पूर्व-कोविड वर्ष 2019 (1,44,017) की तुलना में काफी अधिक है।

पांच साल में 9 लाख के पार 

पिछले पांच वर्षों (2020-2024) में कुल 8,96,843 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी।

इस अवधि में वर्ष 2022 में सबसे अधिक संख्या (2,25,620) दर्ज की गई।

अगर 2011 से देखें तो 2019 तक का दशक भी भारतीय नागरिकता त्यागने का एक बड़ा चरण रहा, जब 2011 से 2019 के बीच लगभग 11.9 लाख लोगों ने नागरिकता बदली।

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शिकायतों में वृद्धि और सरकार की कार्रवाई

विदेशों में रह रहे भारतीयों से जुड़ी शिकायतें भी बढ़ी हैं।

सरकार ने बताया कि 2024-25 में विदेश मंत्रालय को ‘मदद’ पोर्टल और सीपीग्राम्स के जरिए कुल 16,127 शिकायतें मिलीं।

इनमें नौकरी संबंधी धोखाधड़ी के मामले प्रमुख हैं।

सरकार ने एक कंपनी को नोटिस भी जारी किया है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से दक्षिण एशियाई देशों में भारतीयों को झूठे नौकरी के ऑफर दे रही थी।

सरकार के मुताबिक, ऐसे 6700 भारतीयों को बचाया गया है।

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सरकार का दावा: मजबूत तंत्र और प्राथमिकता

सरकार ने दावा किया है कि प्रवासी भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है।

इसके लिए एक बहु-स्तरीय तंत्र विकसित किया गया है, जिसमें इमरजेंसी हेल्पलाइन, 24×7 बहुभाषी सहायता, वॉक-इन सुविधा और सोशल मीडिया निगरानी शामिल है।

अधिकांश मामलों को मध्यस्थता और विदेशी अधिकारियों के साथ समन्वय से सुलझाया जाता है।

जरूरत पड़ने पर भारतीय दूतावास पैनल वकीलों के माध्यम से कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराते हैं।

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संसद में पेश आंकड़े दो महत्वपूर्ण रुझान दिखाते हैं।

पहला, हाल के तीन वर्षों में नागरिकता त्यागने की दर में मामूली गिरावट आई है, जिसे विदेशों से मोहभंग के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।

दूसरा, विदेशों में भारतीयों को होने वाली समस्याओं, खासकर रोजगार संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है, जिसके प्रति सरकार सक्रिय दिखाई दे रही है।

हालांकि, नागरिकता छोड़ने वालों की वार्षिक संख्या अब भी दो लाख से ऊपर बनी हुई है, जो यह संकेत करती है कि विदेशों में बसने का आकर्षण कायम है।

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