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HC Guideline: 12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसों पर रोक, ऑटो में बैठेंगे केवल 4 लोग

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Old School Buses Banned: इंदौर में हुए डीपीसी बस हादसे को लेकर लगाई गई जनहित याचिकाओं पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सनुवाई की।

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सख्त फैसला सुनाते हुए एक गाइडलाइन जारी कर दी है।

इसके तहत 12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसों पर बैन लगा दिया गया है।

वहीं ड्राइवर सहित केवल 4 लोग ही अब से ऑटो रिक्शा में बैठ सकेंगे।

दरअसल, मोटर व्हीकल एक्ट में स्कूल बसों के लिए अलग से कोई गाइडलाइन नहीं है।

ऐसे में कोर्ट ने इसे जरूरी समझते हुए खुद ही गाइडलाइन बना दी।

कोर्ट ने खुद बनाई स्कूल बसों के लिए गाइडलाइन

अब 12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसें सड़कों पर नहीं दौड़ सकेंगी।

जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने DPS बस हादसे की याचिका पर सुनवाई की।

बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शासन को निर्देश जारी किए।

कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट में भी स्कूल बसों के लिए अलग से कोई गाइडलाइन नहीं है।

मप्र शासन को आदेश दिए कि एमपी मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन और प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाए।

Old School Buses Banned
Old School Buses Banned

वहीं जब तक इस एक्ट में संशोधन नहीं होता है, तब तक कोर्ट ने खुद ही स्कूल बसों के लिए गाइडलाइन बना दी।

कोर्ट ने गाइडलाइन का पालन कराने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के आरटीओ और ट्रैफिक सीएसपी, डीसीपी को सौंपी।

वहीं पीएस स्कूल शिक्षा विभाग, संबंधित जिले के कलेक्टर, एसपी इस मामले में ध्यान देंगे कि गाइडलाइन को लेकर जागरूकता फैलाई जाए।

साथ ही कोर्ट ने आदेश में कहा कि ऑटो में तीन से ज्यादा स्कूली बच्चे नहीं बैठेंगे।

Madhya Pradesh High Court guidelines
Madhya Pradesh High Court guidelines

ऑटो रिक्शा में ड्राइवर सहित कुल चार सवारी की ही अनुमति दी जाएगी।

कोर्ट ने गाइडलाइन में 22 बिंदुओं को किया शामिल

  1. कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।
  2. स्कूल बसों को पीले रंग से रंगा जाएगा।
  3. वाहन के आगे और पीछे स्कूल बस या आन स्कूल ड्यूटी लिखवाना होगा।
  4. बस के बाहर दोनों तरफ स्कूल के वाहन प्रभारी का नाम, पता, फोन नंबर लिखा होगा।
  5. स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की जगह होनी चाहिए।
  6. स्कूल बसों की खिड़कियों पर शीशों पर रंगीन फिल्म नहीं लगेंगी।
  7. रात में स्कूल बसों के अंदर नीले बल्ब लगाना होंगे।
  8. प्रत्येक स्कूल बस में फर्स्ट एड बाक्स और अग्निशमन यंत्र रखें।
  9. स्कूल बस में प्रेशर हॉर्न नहीं लगाया जाएगा।
  10. प्रत्येक बस में स्पीड गवर्नर, मेल, फीमेल टीचर रहेंगे, जो बच्चों के बस में आने-जाने को देखेंगे।
  11. स्कूल प्रबंधन ड्राइवर से शपथ पत्र लें और उसका लगातार मेडिकल चैकअप भी किया जाएगा।
  12. ड्राइवर के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस और पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
  13. ऐसे ड्राइवर जिन्होंने एक वर्ष में दो से ज्यादा बार सिग्नल जंप किया है, वे स्कूल बस नहीं चला सकेंगे।
  14. जिस व्यक्ति का तेज गति से गाड़ी चलाने का एक बार भी चालान बना है, वो बस नहीं चला सकेगा।
  15. शराब पीकर गाड़ी चलाने पर एक बार भी चालान बना है, तो स्कूल बस नहीं चला सकेंगे।
  16. स्कूल बस में दाहिनी ओर एक आपातकालीन दरवाजा और गुणवत्ता वाला लाकिंग सिस्टम होगा।
  17. प्रत्येक स्कूल बस में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और एक सीसीटीवी कैमरा होगा।
  18. अभिभावक वाहन को मोबाइल एप के माध्यम से ट्रैक और देख सकेंगे।
  19. स्कूल के प्रिंसिपल या अन्य जिम्मेदार व्यक्ति हर बस के लिए एक व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करेगा।
  20. कोई भी घटना होने पर व्हीकल इंचार्ज को ही सीधे जिम्मेदार माना जाएगा।
  21. बस के परमिट, लाइसेंस, फिटनेस, ड्राइवर के क्रिमिनल रिकॉर्ड और अन्य बातों का ध्यान रखें।
  22. ऑटो रिक्शा में एक ड्राइवर और तीन स्कूली बच्चों को ही बैठने की अनुमति रहेगी।

7 साल पहले बस हादसे में हुई थी 4 बच्चों की मौत

7 साल पहले इंदौर में हुए डीपीएस बस हादसे में स्कूल बच्चों और ड्राइवर की मौत हो गई थी।

5 जनवरी 2018 को डीपीएस की बस छुट्टी के बाद बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी।

बायपास पर बस अनियंत्रित हो गई और डिवाइडर फांदते हुए दूसरे लेन में चल रहे ट्रक से जा टकराई।

हादसे में चालक स्टियरिंग पर फंस गया और उसने वहीं दम तोड़ दिया।

इस हादसे में चार बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य बच्चे घायल हुए थे।

इसी को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में विविध जनहित याचिकाए दायर की गई थी।

Indore bench of Madhya Pradesh High Court

Indore bench of Madhya Pradesh High Court

साथ ही बस दुर्घटना में मरने वालों और घायलों को उचित मुआवजा दिए जाने का मुद्दा भी जनहित याचिका में उठाया गया था।

कोर्ट से प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई थी।

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि दो बिंदुओं पर विचार नहीं किया जा रहा है।

मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया जा सकता।

वहीं स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पहले से ही मामला दर्ज है।

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