Indore Couple Missing in Meghalaya: इंदौर के नवविवाहित दंपती को मेघालय के ओसरा हिल्स से लापता हुए 11 दिन हो गए हैं।
23 मई की शाम से अब तक राजा और सोनम रघुवंशी का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
परिवार और स्थानीय प्रशासन की ओर से लगातार तलाश की जा रही है।
लेकिन खराब मौसम, घना कोहरा, फिसलन और पहाड़ी इलाका सर्च ऑपरेशन में बड़ी बाधा बनकर खड़ा है।
अब तक 6 टीमें, ड्रोन, डॉग स्क्वॉड और स्थानीय जनजातीय लोगों की मदद से खोजबीन जारी है।
बावजूद इसके, दंपती का कोई सुराग नहीं मिल सका है, जिससे परिजन की चिंता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
हनीमून पर निकले थे, रास्ते से गायब हो गए
राजा रघुवंशी और सोनम की शादी 11 मई को इंदौर में हुई थी।
शादी के महज नौ दिन बाद ही वे 20 मई को हनीमून पर रवाना हुए।
दोनों पहले इंदौर से बेंगलुरु और फिर गुवाहाटी पहुंचे, जहां मां कामाख्या देवी के दर्शन किए।
इसके बाद 23 मई को वे मेघालय के शिलांग पहुंचे।
परिवार की शुरुआत में उनसे बात होती रही, लेकिन उसी शाम के बाद दोनों का मोबाइल बंद हो गया।
राजा के भाई सचिन रघुवंशी ने शुरुआत में नेटवर्क समस्या समझी।
लेकिन जब अगली सुबह तक कोई संपर्क नहीं हुआ, तो चिंता गहराने लगी।
24 मई से लेकर अब तक दोनों का फोन बंद है और कोई सुराग नहीं मिला है।
पूरी खबर यहां पढ़ें – शिलॉन्ग में 6 दिन से लापता इंदौर का कपल: जहां गायब हुए वहां पहले भी हो चुकी हैं 2 मौतें
सर्च ऑपरेशन में बाधा बन रहा मौसम
दंपती जिस क्षेत्र से लापता हुए हैं, वह चेरापूंजी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला बेहद दुर्गम और खतरनाक इलाका है।
वहां लगातार बारिश, फिसलन, कोहरा और गहरी घाटियों के चलते सर्च ऑपरेशन बाधित हो रहा है।
ड्रोन उड़ाने में दिक्कत आ रही है, जबकि डॉग स्क्वॉड की मदद भी सीमित हो रही है।
परिवार के सदस्य, जैसे सोनम के भाई गोविंद और राजा के भाई विपिन भी मौके पर मौजूद हैं और सर्च टीमों के साथ मिलकर हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
स्थानीय संसाधनों और पुलिस की सीमाओं को देखते हुए परिजनों और विशेषज्ञों का मानना है कि अब सेना या राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को सर्च ऑपरेशन में लगाया जाना चाहिए।
थर्मल सेंसिंग कैमरों और सैटेलाइट इमेजरी की मदद से भी खोजबीन को और प्रभावी बनाया जा सकता है।
मंत्री के बयान से नाराज हैं परिजन
परिवार के गुस्से का सबसे बड़ा कारण मेघालय के पर्यटन मंत्री पॉल लिंग्दोह का बयान है।
जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ घटनाओं के आधार पर राज्य को असुरक्षित कहना उचित नहीं है। पर्यटक अधिकृत गाइड के बिना असुरक्षित क्षेत्रों में न जाएं।
मंत्री पॉल लिंग्दोह के इस बयान पर परिजनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
उनका कहना है कि मंत्री की संवेदनशीलता कहीं दिखाई नहीं दी।
सोनम के भाई ने कहा कि यदि वह क्षेत्र असुरक्षित था, तो वहां चेतावनी बोर्ड क्यों नहीं लगाए गए?
गाइड की व्यवस्था क्यों नहीं की गई? फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तैनाती क्यों नहीं थी?
राजा के जीजा रणजीत रघुवंशी ने मंत्री पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को टूरिज्म की चिंता है, न कि लापता लोगों की जिंदगी की।
राजा की मां और घर की महिलाएं पल-पल उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रही हैं।
रिश्तेदार लगातार घर आ रहे हैं और हर किसी की आंखों में चिंता और उम्मीद दोनों हैं।
प्रशासनिक सक्रियता, लेकिन अब तक नतीजा शून्य
हालांकि प्रशासनिक स्तर पर कुछ प्रयास जरूर हुए हैं।
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा से बात की है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी पहले ही संगमा से चर्चा कर चुके हैं और लगातार संपर्क में हैं।
शिलांग पुलिस स्थानीय जनजातीय समुदाय की मदद से तलाश में लगी है और मेघालय के डीजीपी ने दंपती के परिजनों से मुलाकात भी की है।
परिजनों ने अब दंपती का पता बताने वाले को 5 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा भी कर दी है।
वहीं, अब परिजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश सरकार से यह गुहार लगा रहे हैं ।
यह मामला अब सिर्फ किसी पर्यटक के लापता होने का नहीं रह गया है, बल्कि कई सवाल खड़े करता है।
जैसे, क्या पर्यटक भारत के पूर्वोत्तर जैसे दुर्गम और प्राकृतिक इलाकों में सुरक्षित हैं? अगर नहीं, तो जिम्मेदारी किसकी है?
क्या गाइड को अनिवार्य करना, चेतावनी बोर्ड लगाना और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बल तैनात करना सरकार की प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए?