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इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने से दूसरे नवजात की भी मौत, प्रशासन ने ढूंढे बहाने

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

MYH Indore Rat Attack: इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में चूहों द्वारा नवजात बच्चों को कुतरने के मामले ने पूरे देश को चौंका दिया है।

दरअसल, यहां नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए बने विशेष इकाई (एनआईसीयू) में घुसे चूहों ने सोमवार को दो नवजात बच्चों के हाथ-पैर कुतर दिए थे।

जिसके बाद मंगलवार को एक नवजात बच्ची ने दम तोड़ दिया था। जबकि दूसरे की हालत गंभीर थी।

लेकिन बुधवार को दूसरे नवजात की भी मौत हो गई। इस पूरे घटनाक्रम ने हर किसी को हैरान कर दिया है।

साथ ही प्रशासन और स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है…

क्या था पूरा मामला?

सोमवार को एनआईसीयू में भर्ती दो नवजात शिशु के हाथ-पैर चूहों ने कुतर दिए।

अगले दिन मंगलवार को एक बच्ची की मौत हो गई और बुधवार को एक दूसरे नवजात शिशु की भी मौत हो गई।

दूसरे बच्चे के परिवार ने पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया और शव लेकर चले गए।

वहीं पहले बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का अभी इंतजार है।

अस्पताल प्रबंधन ने चूहों के काटने को मौत का सीधा कारण मानने से इनकार करते हुए कहा कि बच्चों की मौत संक्रमण से हुई है।

लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एनआईसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड में चूहों का घुसना और नवजातों को नुकसान पहुंचाना अपने आप में एक बहुत बड़ी लापरवाही है।

लापरवाही पर शुरू हुई कार्रवाई

इस गंभीर घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया है। मामले की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं।

इस कमेटी ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट देने का वादा किया है।

अभी तक हुई कार्रवाई में:

  • दो नर्सिंग ऑफिसर को निलंबित (सस्पेंड) कर दिया गया है।
  • नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटा दिया गया है।
  • शिशु रोग विभाग के प्रमुख (HOD) को नोटिस भेजा गया है।
  • अस्पताल की पेस्ट कंट्रोल करने वाली कंपनी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और उसे हटाने का नोटिस दिया गया है।

हालांकि, निलंबित नर्सिंग स्टाफ ने अपनी बेगुनाही का दावा करते हुए कहा है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और असल जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, राजनीतिक घमासान शुरू

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है।

मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भी इस घटना पर संज्ञान लिया है और अस्पताल के अधीक्षक को एक महीने के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

वहीं, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने इसे एक गंभीर मामला बताते हुए तुरंत कार्रवाई का दावा किया।

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दूसरी ओर, कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने सरकार पर जमकर हमला बोला है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार से भरा प्रशासन और सरकारी व्यवस्था ही इस घटना के लिए जिम्मेदार है और बीजेपी के नेताओं का पेट भरने के चक्कर में बच्चों की जानें जा रही हैं।

आखिर अस्पताल में इतने चूहे क्यों हैं?

सवाल यह उठता है कि आखिर एक प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल में इतने चूहे क्यों हैं?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ एमवाय ही नहीं बल्कि इसके आस-पास के सरकारी चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, कैंसर अस्पताल और टीबी अस्पताल में भी चूहों की भरमार है।

अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि बारिश की वजह से झाड़ियां उग आई हैं और चूहों के बिलों में पानी भर गया है, इसलिए वे अस्पताल के अंदर आ गए।

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि असल वजह यह है कि अस्पताल परिसर में चूहों को भरपूर खाना मिलता है।

मरीजों के अटेंडर वार्डों तक खाना लेकर आते हैं, जिससे चूहों का पेट भरता है।

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वेटरनरी विशेषज्ञ डॉ. संदीप नानावटी के मुताबिक, अस्पतालों में चूहों को मेडिसिन और ग्लूकोज तक मिल जाता है, जिससे उनकी एनर्जी और ब्रीडिंग क्षमता बढ़ जाती है।

जब उन्हें खाना नहीं मिलता, तो वे चीजें कुतरने लगते हैं, जिसमें नवजातों के नाजुक अंग भी शामिल हो सकते हैं।

क्या है समाधान?

इस समस्या का समाधान लगातार और प्रभावी पेस्ट कंट्रोल अभियान चलाना है।

साथ ही, अस्पताल परिसर में खाना लाने और खाने पर पूरी तरह से रोक लगानी होगी।

1994 और 2014 में भी ऐसे ही बड़े पेस्ट कंट्रोल अभियान चलाए गए थे, जिनमें हजारों चूहे मारे गए थे।

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फिलहाल, एनआईसीयू में चूहों के आने के रास्तों को बंद किया गया है और हर 15 दिन में पेस्ट कंट्रोल का दावा किया जा रहा है।

लेकिन, एक स्थायी समाधान के लिए लगातार कोशिशें जरूरी हैं, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं को दोबारा होने से रोका जा सके।

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