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No Car Day: इंदौर में कलेक्टर-महापौर ने की साइकिल और स्कूटी की सवारी, कांग्रेस बोली- पहले गड्ढे ठीक करें

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Indore No Car Day: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सोमवार को ‘नो कार डे’ का आयोजन किया गया।

इस दौरान शहर के शीर्ष अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने निजी कारों का परित्याग कर साइकिल, स्कूटी और इलेक्ट्रिक वाहन चलाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग का संदेश दिया।

हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस आयोजन को ‘इवेंट बाजी’ बताते हुए शहर की टूटी सड़कों और गड्ढों को ठीक करने पर पहले ध्यान देने की मांग की।

कलेक्टर से महापौर तक ने की साइकिल और ई-व्हीकल की सवारी

इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने ‘नो कार डे’ के अवसर पर अपने निवास से कार्यालय तक का सफर ई-व्हीकल (इलेक्ट्रिक स्कूटर) से तय किया।

उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मी को भी साथ बैठाकर हेलमेट पहनकर वाहन चलाया।

कलेक्टर ने बताया कि लगभग दो-तीन साल बाद उन्होंने स्कूटी चलाई है और यह अनुभव अच्छा रहा।

साथ ही, उन्होंने रास्ते में सड़कों के कामकाज का अवलोकन भी किया।

वहीं, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने रेडियो कॉलोनी इलाके से साइकिल चलाकर पलासिया चौराहे तक का सफर तय किया, जहां से एक साइक्लोथॉन रैली की शुरुआत हुई।

महापौर ने इस रैली में पूरे मार्ग पर साइकिल चलाकर लोगों को प्रेरित किया।

उन्होंने दावा किया कि भारत में इंदौर पहला ऐसा शहर है जिसने ‘नो कार डे’ मनाना शुरू किया है और यह भविष्य के हरित इंदौर की तैयारी का एक सांकेतिक अभियान है।

आयोजन का उद्देश्य और पिछले सालों की सफलता

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को निजी वाहनों के स्थान पर पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों जैसे साइकिल, सार्वजनिक परिवहन और पैदल चलने के लिए प्रोत्साहित करना है।

गीता भवन से पलासिया तक के क्षेत्र को पूरी तरह से ‘कार-फ्री जोन’ घोषित किया गया था।

इस अभियान ने पिछले वर्षों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

2023 में इस दौरान 80 हजार लीटर ईंधन की बचत दर्ज की गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में 18% का सुधार देखा गया।

2024 में पेंटिंग प्रतियोगिता, मैस्कॉट लॉन्च और संगीत कार्यक्रमों जैसे आयोजनों के माध्यम से अभियान का विस्तार किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 1.5 लाख लीटर ईंधन की बचत और वायु गुणवत्ता में 38% का अभूतपूर्व सुधार दर्ज किया गया।

विपक्ष का वार: ‘पहले गड्ढे ठीक करें, फिर इवेंट करें’

आयोजन के बीच विपक्ष से कांग्रेस के अध्यक्ष और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने इस आयोजन को महज एक ‘इवेंट’ करार देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व जनता का ध्यान भटकाने में लगा है।

चौकसे ने कहा, “पर्यावरण बचाना सबकी जिम्मेदारी है, लेकिन नो कार डे मनाने से पहले इंदौर की टूटी सड़कों और गड्ढों को ठीक किया जाना चाहिए। अगर 4-5 घंटे के इवेंट के बजाय उनका ध्यान अपने मुख्य काम पर हो और सड़कों की मरम्मत करवा दी जाए, तो इसका पर्यावरण पर वास्तविक सकारात्मक असर पड़ेगा।”

उन्होंने तर्क दिया कि अच्छी सड़कों से यातायात सुगम होगा, ईंधन की बचत होगी और दुर्घटनाएं कम होंगी।

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एक सार्थक पहल 

इंदौर का ‘नो कार डे’ एक सराहनीय पहल है जो पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देती है।

शीर्ष अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत उदाहरण प्रस्तुत करना नागरिकों के लिए एक मजबूत संदेश है।

हालाँकि, विपक्ष द्वारा उठाए गए शहर के बुनियादी ढांचे, खासकर सड़कों की खराब हालत के मुद्दे को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

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