Fake Currency Gang Indore: इंदौर के पलासिया थाने की साइबर डेस्क ने हाल ही में फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर एक विज्ञापन देखा।
इस विज्ञापन में “1 लाख रुपये देकर 4 लाख रुपये पाएं” का ऑफर दिया गया था।
पुलिस को शक हुआ कि यह कोई धोखाधड़ी हो सकती है।
जांच में पता चला कि यह नकली नोट बेचने वाला गैंग था, जो लोगों को फर्जी करेंसी देकर ठग रहा था।
पुलिस ने ग्राहक बनकर किया फंसाया
पुलिस ने एक योजना बनाई और एक अधिकारी ने ग्राहक बनकर आरोपियों से संपर्क किया।
व्हाट्सएप पर बातचीत में आरोपियों ने 500 रुपये के नकली नोट देने का वादा किया।
सौदा तय हुआ कि 1 लाख रुपये के बदले में 4 लाख रुपये के नोट दिए जाएंगे।

जैसे ही आरोपी प्रथमेश येवतकर (जलगाँव) और दीपक कौशल (इंदौर) नकली नोट लेकर पलासिया इलाके में पहुंचे, पुलिस ने उन्हें घेर लिया।
तलाशी में 40 लाख रुपये के नकली नोट और 8 हजार रुपये की असली नकदी बरामद हुई।
कैसे काम करता था गैंग?
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे फेसबुक विज्ञापन के जरिए लोगों से संपर्क करते थे।
नकली नोटों को असली दिखाने के लिए बंडल के ऊपर-नीचे असली नोट लगा देते थे।
जब कोई ग्राहक पैसे लेने आता, तो वे उसे जल्दी से नोट दिखाकर भगा देते, ताकि बाद में पता चलने पर शिकायत न कर सके।

“चिल्ड्रन बैंक” के नोट थे नकली
एडीशनल डीसीपी रामस्नेही मिश्रा ने बताया कि जो नोट बरामद हुए, वे बच्चों के खेलने वाले “चिल्ड्रन बैंक” के नोट थे।
इनके बीच में असली नोट लगाकर गैंग लोगों को धोखा देता था।

बड़े सिंडिकेट का शक
पुलिस को शक है कि यह गैंग किसी बड़े नकली नोट सिंडिकेट से जुड़ा हो सकता है।
आरोपियों से पूछताछ जारी है, ताकि उनके प्रिंटर, कागज के स्रोत और अन्य साथियों का पता लगाया जा सके।
इंदौर पुलिस की सतर्कता से इस नकली नोट गैंग का भंडाफोड़ हुआ है।

यह मामला दिखाता है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाले “लालच भरे ऑफर्स” कितने खतरनाक हो सकते हैं।
पुलिस ने लोगों से सावधान रहने और किसी भी संदिग्ध विज्ञापन की शिकायत तुरंत करने की अपील की है।