Indore Doctor Muslim Patient: हिंदुस्तान में डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, क्योंकि वो मरीजों की जान बचाते हैं।
कोरोनाकाल में तो कई डॉक्टरों ने इस बात को सच साबित कर दिखाया।
अपनी जान की परवाह न करते हुए वो वायरस से ग्रस्त मरीजों का इलाज करते रहे और इस दौरान कई डॉक्टर्स ने अपनी जान गंवाई।
डॉक्टर बनने वाला हर शख्स सबसे पहले बिना किसी भेदभाव के मरीजों की जान बचाने की शपथ लेता है।
लेकिन अगर डॉक्टर ही धर्म के आधार पर मरीज का इलाज करने से मना कर दे तो फिर क्या होगा।
ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के इंदौर से सामने आया है।
हिंदू डॉक्टर ने किया मुस्लिम मरीज के इलाज से इंकार
दरअसल, इंदौर की डॉक्टर नेहा अरोड़ा वर्मा ने 25 अप्रैल की सुबह अपने फेसबुक पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने एक मुस्लिम मरीज के साथ बातचीत का स्क्रीनशॉट शेयर किया था।
इसके मुताबिक ये मुस्लिम मरीज डॉक्टर नेहा से अपने घुटने का इलाज करवाना चाहती थीं।
डॉक्टर नेहा ने मरीज से उसका नाम पूछा और जब उसने अपना नाम मिसेज फराह हुसैन तो डॉक्टर ने जवाब दिया कि अब हम अपने सेंटर पर मुस्लिम मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं।
ये पोस्ट देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।
पहलगाम हमले से जोड़ा पोस्ट
दिलचस्प बात ये है कि ये पोस्ट शेयर करते हुए डॉक्टर ने लिखा- जब आतंकी धर्म पूछकर हमारे लोगों को मार रहे हैं तो अब हमें भी धर्म के आधार पर इनका इलाज करने से मना कर देना चाहिए।
अगर आप डॉक्टर के फेसबुक पेज देखें तो पाएंगे कि सारे पेज पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद धार्मिक नफरत फैलाने वीडियो ही शेयर किए गए हैं।
डॉक्टर की प्रोफाइल के मुताबिक वो Shree Namoh Wellness सेंटर में Managing Director हैं।
डिलीट किया पोस्ट
पोस्ट सामने आने के बाद जब चौथा खंभा के संवाददाता ने डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की तो उनकी रिसेप्शनिस्ट ने बताया कि डॉक्टर तो 8 दिन से शहर से बाहर है।
इस बातचीत के कुछ ही देर बाद ये पोस्ट भी डॉक्टर के अकाउंट से डिलीट कर दिया गया।
अभी तक डॉक्टर से संपर्क नहीं हो पाया और न ही उनकी तरफ से कोई बयान सामने आया है।
खड़े हुए ये सवाल
इस मामले ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए है।
- पहला सवाल तो ये कि क्या किसी डॉक्टर का इस तरह मरीज का धर्म पूछकर उसका इलाज करने से इंकार करना सही है?
- दूसरा सवाल अगर आम लोग भी आतंकियों की तरह हर किसी से उसका धर्म पूछकर सारे काम करेंगे तो फिर इंसानियत का क्या होगा?
- तीसरा और सबसे अहम सवाल कि जिन डॉक्टरों को मरीज भगवान मानते हैं और अपनी जिंदगी उनके हाथ में सौंप देते हैं। ऐसे केस सामने आने के बाद क्या वो डॉक्टरों पर भरोसा कर पाएंगे?