Khalistani Link of Canada And Pakistan: कनाडा में बैठे खालिस्तानी आतंकी भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं। इसे कनाडा कि बदकिस्तमी कहिए कि वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खुलकर उनका समर्थन कर रहे हैं।
उनके भारत विरोधी बयानों ने तो एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों को बेपटरी कर दिया है। पीएम टुडो खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने का राग अलापते हैं।
भारत इसे खारिज करते हुए सबूत की मांग करता रहा है तो पीएम टुडो ये भी कहते हैं कि उनके पास सबूत नहीं है। खालिस्तानी आतंकी की हत्या पर बयानबाजी से इस बार भी दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई है।
लेकिन, यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि खालिस्तान की मांग आखिर भारत के पंजाब राज्य को लेकर ही क्यों उठाई जाती रही है। खालिस्तानी पाकिस्तान से सिख साम्राज्य का हिस्सा क्यों नहीं मांगते जबकि उसकी राजधानी तो लाहौर थी।
महाराजा रणजीत सिंह वहीं बैठते थे। पाक के पंजाब को लेकर ये अहम सवाल हमेशा उठता रहा है, भारतीय मीडिया तो उठाता ही है। कनाडाई मीडिया ने भी समय-समय पर सवाल उठाया है, कुछ पाकिस्तानी पत्रकार भी इस सवाल से इत्तेफाक रखते हैं।
Khalistani Link of Canada And Pakistan: खालिस्तान मांगने वालों में ज्यादातर लोग पंजाब से बाहर के –
खालिस्तान की मांग को लेकर चलाए जा रहे संगठनों में सक्रिय ज्यादातर लोग भारत के पंजाब के बाहर के हैं। ये ऐसे लोग हैं, जो कनाडा, ऑस्ट्रेलिया ओर ब्रिटेन, पाक जैसे देशों में बसे हैं। इन लोगों की ओर से रेफरेंडम 2020 का कैंपेन भी बीते सालों में चलाया गया था, जो फेल रहा।
लाख टके का सवाल तो ये है कि जिस सिख राज्य की मांग ये लोग करते हैं, उसकी स्थापना तो महाराजा रणजीत सिंह ने की थी और उनकी सीट पाकिस्तान के लाहौर में है। भारत विभाजन के चलते पंजाब के दो टुकड़े हुए और बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया।
अब महाराजा रणजीत सिंह की राजधानी लाहौर और गुरु नानक देव की जन्मस्थली तो पाकिस्तान में ही है इसलिए उन्हें शामिल किए बिना कैसा सिख राज्य बनाया जा सकता हैं? पाकिस्तान से सिख साम्राज्य के हिस्से की मांग न उठाना ही कई सवाल खड़े करता है। यही बातें तो सिख संस्कृति का मूल है।
यदि खालिस्तानियों की ऐसी कोई मांग है तो पाकिस्तान से अलग खालिस्तान की मांग क्यों नहीं की जाती है। क्योंकि पाकिस्तान ही इस खालिस्तानी खुरापात की जड़ है। पाकिस्तान में ही खालिस्तान टाइगर फोर्स की स्थापना जगतार सिंह तारा ने की थी। इसके अलावा भी कई खालिस्तानी पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं। ये बताता है कि खालिस्तानी कैंसर पाकिस्तान फैला रहा है।
Khalistani Link of Canada And Pakistan: पाक के पंजाब प्रांत से जुड़ी खास बातें –
- 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के बाद, पंजाब का बड़ा पश्चिमी क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।
- पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का क्षेत्रफल 2,05,344 वर्ग किलोमीटर है। जो पाक के कुल भूभाग का 25।8% है।
- पंजाब, पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा प्रांत है।
- पंजाब की सीमा दक्षिण में सिंध, दक्षिण-पश्चिम में बलूचिस्तान, पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा, और उत्तर में इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र और आज़ाद कश्मीर से लगती है।
- पंजाब में 10 डिवीज़न हैं, जिनमें से प्रत्येक में दो से सात ज़िले हैं।
- पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक पंजाब में देश की आधी से ज़्यादा आबादी यानि 53% रहती है।
- पाकिस्तान के 48%लोग पंजाबी भाषा समझते और बोलते भी हैं।
- पाकिस्तान के सकल घरेलु उत्पाद का 57% हिस्सा पंजाब से आता है।
- पाकिस्तान संसद (नेशनल असेंबली) में कुल 342 सदस्य है जिसमें से 174 सदस्य (आधे से अधिक) पंजाब से चुन कर आते हैं।
- पाकिस्तान की सेना के लगभग तीन चौथाई जवान पंजाब से आते हैं।
- पाकिस्तान में तीन चौथाई निवेश पंजाब में होता है। सरकार बजट का आधा से अधिक हिस्सा पंजाब पर खर्च करती है।
- चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा को बहुत लोग चीन पंजाब आर्थिक गलियारा कहते हैं।
ये कुछ आंकड़े हैं जो पाकिस्तान में पंजाब प्रांत का वर्चस्व दिखाते हैं, लेकिन दूसरे क्षेत्रों की बात करें तो चाहे वह क्रिकेट का मैदान हो या राजनीति का या फिर अन्य क्षेत्र दबदबा पंजाब का ही रहा है। पूर्व पीएम इमरान खान और नवाज़ शरीफ़ का संबंध भी पंजाब से है।
थोड़ा बहुत सिंधी लोगों को पाकिस्तान में पंजाबी लोगों के बाद महत्व मिल जाता है। पाक की राजनीति में पंजाब प्रांत का वर्चस्व इससे भी समझिए कि बलूचिस्तान और पस्तून इलाक़े के लोगों के साथ कितनी नाइंसाफ़ी होती है। बलूचिस्तान से मिलने वाली सारी गैस पंजाब भेज दी जाती है।
सिंधु नदी के पानी पर भी पंजाब ने क़ब्ज़ा जमा कर रखा है और सिंध को कम पानी मिलता है इसलिए कभी-कभी सिंध में भी अलग सिंध प्रदेश बनाने की माँग होती है। बलूचिस्तान तो कब से आजादी मांग रहा है।
पाकिस्तान वाले पंजाब की इन जानकारियों स्पष्ट है कि पाकिस्तान की सरकार और वहां की एजेंसियां न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में बल्कि भारत के पंजाब में भी प्रॉक्सी वार को अंजाम देने में जुटी हैं और पाक के इस मंसूबे को कामयाब बनाने की कोशिश में पश्चिमी देशों से भी मदद मिल रही है।
Khalistani Link of Canada And Pakistan: पाक में भी उठ रही खालिस्तान की मांग –
वो कहते हैं ना कि भाग्य से आगे-आगे चलता है कर्म। जिस खालिस्तानी सांप को पाकिस्तान दूध पिला रहा है उसी सांप ने उसे डंसने की कोशिश शुरू कर दी है यानि पाकिस्तान का पाप अब उसके सिर पर चढ़कर बोलने भी लगा है। वो जिन खालिस्तानी आतंकवादियों को अपने यहां पाल पोस रहा है अब वही लोग वहां अलग खालिस्तान बनाने की मांग करने लगे हैं।
कराची में ऐसे स्लोगन लिखे देखे गए थे जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा था कि ‘पाकिस्तान बनेगा खालिस्तान’, ‘कराची बनेगा खालिस्तान’, ‘मुल्ला बनेगा खालसा।’ इतना ही नहीं खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने इसका वीडियो भी वायरल कर दिया था।
लेकिन, पाकिस्तानी हुक्मरानों को खालिस्तानी आतंकवादियों की इस हरकत का जैसे ही पता चला उन्होंने तत्काल इस पर एक्शन लिया। सूत्रों के मुताबिक इस बाबत खालिस्तानी आतंकवादियों के आकाओं को बुलाकर बाकायदा पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी के लोगों ने बैठक की थी।
उन्हें स्पष्ट तौर पर निर्देश दिए गए थे कि वह पाकिस्तान में ऐसी कोई डिमांड सार्वजनिक तौर पर ना लिखें जिससे यह साबित हो कि पाकिस्तान खुलेतौर पर खालिस्तान का समर्थन कर रहा है।
ऐसा भी कहा जाता है कि खालिस्तानी आतंकवादियों में दो गुट बन गए हैं, जिनमें से एक गुट चाहता है कि पाकिस्तान की बड़ी आबादी जहां मौजूद है उस इलाके को खालिस्तान घोषित कर दिया जाए। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि यह गुट कनाडा में भी ऐसी मांग उठाने जा रहा है। हो सकता है जल्दी ही यह मांग कनाडा में भी देखने को मिले।
Khalistani Link of Canada And Pakistan: खालिस्तान शब्द पहली बार कब सुनाई पड़ा ?
खालिस्तान शब्द पहली बार 1940 में सामने आया था। मुस्लिम लीग के लाहौर घोषणा पत्र के जवाब में डॉ. वीर सिंह भट्टी ने एक पैम्फलेट में इसका इस्तेमाल किया था।
इसके बाद 1966 में भाषाई आधार पर पंजाब के ‘पुनर्गठन’ से पहले अकाली नेताओं ने पहली बार 60 के दशक के बीच में सिखों के लिए स्वायत्तता का मुद्दा उठाया था।
70 के दशक की शुरुआत में चरण सिंह पंछी और डॉक्टर जगजीत सिंह चौहान ने पहली बार खालिस्तान की मांग की थी।
डॉक्टर जगजीत सिंह चौहान ने 70 के दशक में ब्रिटेन को बेस बनाया और अमेरिका और पाकिस्तान भी गए।
1978 में चंडीगढ़ के कुछ नौजवान सिखों ने खालिस्तान की मांग करते हुए दल खालसा का गठन किया था।
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