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अदालत के खिलाफ टिप्पणी करने वाले दोषी को सजा, रोपने होंगे स्वदेशी प्रजाति के 50 पौधे

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Punishment For Planting Trees: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दोषी को अनोखी सजा दी है।

दरअसल एक युवक ने अदालत के खिलाफ अनर्गल टिप्पणी की थी।

कोर्ट की अवमानना और अभद्र टिप्पणी को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने आरोपी को 50 स्वदेशी प्रजाति के पौधे लगाने की सजा दी है।

50 पौधे लगाने के लिए 15 दिन की मोहलत

जबलपुर हाईकोर्ट ने कोर्ट की अवमानना और अभद्र टिप्पणी को लेकर अनोखा फैसला सुनाया।

मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने की।

हाईकोर्ट ने आरोपी युवक को 50 स्वदेशी प्रजाति के पौधे रोपने की सजा दी है।

साथ ही कोर्ट ने दोषी को पौधे लगाने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है।

वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी बताएंगे कि कहां पर किस प्रजाति के पौधे लगाने है।

Punishment For Planting Trees
Punishment For Planting Trees

इसके साथ ही युवक को दोबारा ऐसी गलती न करने की हिदायत भी दी गई।

इस वजह से युवक कर रहा था कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी

दरअसल, कोर्ट ने आरोपी राहुल साहू को उसकी पत्नी का भरण पोषण करने के आदेश दिए गए थे।

मुरैना जिले के संभलगढ़ न्यायालय ने मई 2024 को ये फैसला सुनाया था।

बावजूद इसके आरोपी पत्नी को भरण पोषण का पैसा नहीं दे रहा था।

इतना ही नहीं आरोपी ने पत्नी के साथ ही कोर्ट के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर अभद्र पोस्ट किए।

मुरैना की रहने वाली पीड़िता पूजा ने भरण पोषण ना देने और अनर्गल टिप्पणी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर लगाई थी।

युवक की आर्थिक स्थिति को देख दी गई सजा

याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की और सबसे पहले आरोपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

लेकिन, आरोपी ने न तो जवाब प्रस्तुत किया और न ही वो खुद उपस्थिति हुआ।

इसके बाद अदालत ने इसे आपराधिक अवमानना करार दे दिया।

इस रवैये को आड़े हाथों लेकर आपराधिक अवमानना प्रकरण चलाने के लिए हाई कोर्ट को पत्र भेज दिया गया।

वहीं जब यह मामला हाई कोर्ट में आया, तो यहां उपस्थित अधिवक्ता आदित्य संघी से सजा के सिलसिले में सुझाव मांगा गया।

Jabalpur High Court
Jabalpur High Court

इस पर उन्होंने कहा कि युवक की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे सुधारात्मक रूप से प्रतीकात्मक सजा दी जा सकती है।

इसके अंतर्गत समाज सेवा करना बेहतर होगा या पार्क में पौधारोपण कराया जा सकता है।

कोर्ट को यह सुझाव पसंद आया और फिर कोर्ट ने पौधे रोपने की सजा सुना दी।

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