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दुर्घटना या लापरवाही: जयपुर के SMS हॉस्पिटल में लगी भीषण आग, 8 मरीजों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार?

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Jaipur SMS Hospital Fire: राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में रविवार देर रात एक भीषण आग ने जो तबाही मचाई, उसमें कई जानें चली गई।

अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जरी आईसीयू वार्ड में लगी इस आग में 8 मरीजों (जिनमें 4 महिलाएं शामिल हैं) की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

यह घटना अस्पताल प्रशासन और आपातकालीन सेवाओं में मौजूद चूक और लापरवाही के गंभीर सवाल खड़े करती है।

आइए जानते हैं कैसे हुआ ये हादसा और क्यों लगे लापरवाही के आरोप…

कैसे हुआ हादसा

यह घटना रविवार रात करीब 11:20 बजे तब शुरू हुई, जब अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर स्थित न्यूरो सर्जरी आईसीयू के बगल में बने एक स्टोर रूम से धुआं निकलने लगा।

इस स्टोर रूम में मरीजों की फाइलें, दस्तावेज, ब्लड सैंपल, प्लास्टिक की ट्यूब्स और अन्य ज्वलनशील सामान रखा हुआ था।

लापरवाही के आरोप

मरीजों के परिजनों का आरोप है कि आग लगने से 20-25 मिनट पहले ही धुएं और चिंगारी की सूचना अस्पताल स्टाफ को दी गई, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।

स्टाफ के भागने और बचाव कार्य में देरी की बात सामने आई है।

जहरीली गैस और धुएं से मौत:

मरने वाले ज्यादातर मरीज आग से नहीं, बल्कि आग लगने पर प्लास्टिक और मेडिकल उपकरणों के जलने से फैले जहरीले धुएं और गैस की चपेट में आकर दम घुटने से मारे गए।

तत्काल जांच का आदेश:

घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने तुरंत एक 6 सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय और राज्य के नेताओं ने दुख जताया है और कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

इन आठ मरीजों की हुई मौत

  1. पिंटू सीकर
  2. दिलीप जयपुर
  3. सर्वेश आगरा
  4. रुकमणि भरतपुर
  5. कुशमा जूनून
  6. बहादुर जयपुर
  7. दिगंबर वर्मा सवाई माधोपुर
  8. श्रीनाथ भरतपुर

केस की पूरी टाइमलाइन:

  • रात 11:00 बजे के करीब: मरीजों के परिजनों ने स्टोर रूम से धुआं निकलते देखा और अस्पताल स्टाफ (नर्स, वार्ड बॉय, सिक्योरिटी) को सूचित किया। परिजनों का कहना है कि स्टाफ ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया और कोई तत्काल कार्रवाई नहीं की।

  • रात 11:20 बजे: स्थिति गंभीर हो गई। स्टोर रूम में आग की लपटें दिखने लगीं और प्लास्टिक की चीजें पिघलकर गिरने लगीं। धुआं इतना तेजी से फैला कि पूरा आईसीयू और आसपास का क्षेत्र जहरीले धुएं से भर गया।
  • रात 11:45 बजे के आसपास: आग ने विकराल रूप ले लिया। वार्ड में मरीजों और परिजनों में भगदड़ मच गई। कुछ परिजनों ने अपने मरीजों को बेड समेत खींचकर बाहर निकालने की कोशिश की। इस दौरान स्टाफ के सदस्यों के भागने की भी खबरें आईं।
  • रात 12:00 बजे (लगभग): दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने बताया कि पूरा वार्ड धुएं से इस कदर भरा था कि अंदर जाने का रास्ता नहीं था। उन्हें बिल्डिंग की दूसरी ओर से खिड़कियां तोड़कर पानी डालना पड़ा।
  • रात 12:20 बजे तक: लगभग एक घंटे के ऑपरेशन के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
  • रात 1:00 बजे से सुबह तक: सीनियर अधिकारी, पुलिस, FSL (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की टीम मौके पर पहुंची। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने भी रात में ही अस्पताल का दौरा कर स्थिति की जानकारी ली।

क्यों गई इतनी जानें? मौत का कारण

इस हादसे में जान गंवाने वाले अधिकतर मरीज आग की लपटों से नहीं, बल्कि उससे निकले जहरीले धुएं की वजह से मारे गए।

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि स्टोर रूम और आईसीयू में लगी आग से प्लास्टिक, मेडिकल उपकरणों और तारों के जलने पर कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें पैदा हुईं।

ये गैसें तेजी से बंद वार्ड में फैल गईं, जिससे मरीजों का दम घुट गया।

ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया, “आईसीयू में 11 मरीज थे। हम 5 को तुरंत बचा ले गए, लेकिन 6 मरीज अंदर फंस गए। अंदर इतनी जहरीली गैस भर चुकी थी कि बचाव दल का अंदर जाना जोखिम भरा था। इस वजह से उन मरीजों को बाहर नहीं निकाल पाए।”

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लापरवाही के गंभीर आरोप

इस पूरी त्रासदी में लापरवाही का सबसे डरावना पहलू यह रहा कि आग की चेतावनी को अस्पताल स्टाफ ने नजरअंदाज कर दिया।

  • भरतपुर के रहने वाले शेरू, जिनकी मां अस्पताल में भर्ती थीं, ने बताया, “हमने 20 मिनट पहले ही स्टाफ को धुएं के बारे में बता दिया था, लेकिन किसी ने सुनने की कोशिश नहीं की। जब हालात बिगड़े तो वार्ड बॉय और गार्ड सबसे पहले भाग खड़े हुए। हमें खुद ही अपने मरीज को बाहर निकालना पड़ा।”

  • एक अन्य मृतक के परिजन ने बताया कि स्टोर रूम का दरवाजा बंद था और ताला लगा हुआ था। स्टाफ के पास तुरंत चाबी उपलब्ध नहीं थी, जिससे आग पर शुरुआत में काबू पाने का मौका हाथ से निकल गया।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस दुर्घटना ने पूरे राज्य के नेताओं और प्रशासन को हिलाकर रख दिया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए कहा, “यह घटना अत्यंत दुखद है। जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं।”

  • मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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  • चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि किसी भी स्तर की लापरवाही सामने आने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

  • पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए इसे लापरवाही का नतीजा बताया।

जांच और आगे की कार्रवाई

घटना की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य सरकार ने तुरंत एक 6 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है।

इस समिति में चिकित्सा शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, बिजली विभाग और फायर सेवा के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

समिति आग लगने के सही कारणों (जिसमें शॉर्ट सर्किट की आशंका जताई जा रही है), सुरक्षा उपायों में कमियों और जिम्मेदार लोगों की पहचान करेगी।

इसके अलावा, FSL की टीम ने मौके से सबूत जुटा लिए हैं और मृतकों का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है।

अस्पताल के बाहर मरीजों के परिजनों ने लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन भी किया और मरीजों की सही स्थिति की जानकारी की मांग की।

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