Kishtwar cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में 14 अगस्त 2025 को एक भयानक प्राकृतिक आपदा ने दस्तक दी।
पड्डर सब-डिवीजन के चशोटी गांव में मचैल माता मंदिर के पास बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके में हाहाकार मचा दिया।
इस आपदा के कारण अचानक बाढ़ जैसे हालात बन गए, जिससे करीब 65 लोगों की जान चली गई है।
मरने वालों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है जबकि 25 से ज्यादा लोग घायल है। वहीं 100 लोग लापता है।
प्रशासन और बचाव दल तुरंत हरकत में आ गए हैं, और राहत कार्य जोर-शोर से चल रहे हैं।

क्या हुआ किश्तवाड़ में?
बादल फटने की यह घटना किश्तवाड़ के चशोटी इलाके में हुई, जो मचैल माता यात्रा का शुरुआती बिंदु है।
भारी बारिश के कारण बादल फटने से नदियां उफान पर आ गईं और एक सामुदायिक रसोई (लंगर शेड) मलबे में बह गया।
इस इलाके में मचैल माता यात्रा के कारण भीड़ थी, जिससे नुकसान की आशंका और बढ़ गई।
सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और कई जगहों पर मलबा जमा हो गया।
कई लोग मलबे में दबे हो सकते हैं, और उनकी तलाश में बचाव दल लगातार काम कर रहे हैं।
सटीक आंकड़ों की पुष्टि अभी बाकी है, क्योंकि बचाव कार्य चल रहा है और इलाका दुर्गम है।
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राहत और बचाव कार्य
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, सेना, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीमें मौके पर पहुंच गईं।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा से बात कर स्थिति का जायजा लिया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने भी शोक व्यक्त करते हुए बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए।

बचाव दलों ने मलबे में फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू कर दिया है। सेना और एनडीआरएफ की टीमें दुर्गम इलाकों में पहुंचकर राहत कार्य कर रही हैं।
घायलों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया जा रहा है, और चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत किया गया है।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।
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मौसम विभाग की चेतावनी
श्रीनगर मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले 4-6 घंटों में जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में भारी बारिश, गरज, बिजली, और तेज हवाओं की चेतावनी जारी की है।
किश्तवाड़, डोडा, उधमपुर, और अन्य पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। लोगों को नदियों, झीलों, और अस्थिर संरचनाओं से दूर रहने की सलाह दी गई है।

स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों की स्थिति
मचैल माता यात्रा के कारण चशोती इलाका भीड़भाड़ वाला था। स्थानीय विधायक सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि अभी सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन नुकसान बड़ा हो सकता है।
उन्होंने उपराज्यपाल से बात कर एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमें भेजने की मांग की है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
किश्तवाड़ में यह पहली ऐसी घटना नहीं है। साल 2021 में भी बादल फटने से भारी नुकसान हुआ था, जिसमें कई लोग लापता हुए थे।
इस बार भी प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू की है, लेकिन दुर्गम इलाकों और मौसम की चुनौतियों के कारण बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं।
आगे क्या?
फिलहाल, प्रशासन का पूरा ध्यान राहत और बचाव पर है। प्रभावित इलाकों में खाने-पीने की चीजें, दवाइयां, और अस्थायी आश्रय की व्यवस्था की जा रही है।
केंद्रीय और राज्य सरकारें स्थिति पर नजर रख रही हैं। लोगों से अपील की जा रही है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
इस आपदा ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। किश्तवाड़ के लोगों के लिए यह मुश्किल घड़ी है, और सभी की नजरें राहत कार्यों पर टिकी हैं।


