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पुलिसकर्मियों का MP-MLA को सैल्यूट करना वर्दी का अपमान, सरकार वापस ले फैसला- जीतू पटवारी

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Jitu Patwari On Salute to MP-MLA: पुलिसकर्मियों को सांसदों और विधायकों को सलामी देने के आदेश के बाद मध्य प्रदेश में सियासी हलचल मच गई है।

जीतू पटवारी ने डीजीपी कैलाश मकवाना द्वारा पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को सांसद-विधायकों को सैल्यूट के निर्देश पर आपत्ति जताई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने वीडियो जारी कर इस आदेश को पुलिस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर हमला बताया हैं।

क्या था डीजीपी का आदेश

दरअसल मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना ने शुक्रवार को निर्देश जारी किए थे कि पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को सांसद-विधायकों को सैल्यूट करना होगा।

प्रदेश कांग्रेस इस फैसले का विरोध कर रही है।

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जीतू पटवारी ने सीएम से पूछा सवाल

जीतू पटवारी ने 26 अप्रैल की सुबह अपने सोशल मीडिया पेज पर एक वीडियो शेयर किया और प्रदेश के सीएम मोहन यादव से सवाल पूछले हुए लिखा-

मुख्यमंत्री जी,

सवाल साफ है – शराब/रेत/भूमाफिया को बचाने सत्ताधारी विधायक जब थाने पहुंचेंगे, तो सैल्यूट देने के बाद पुलिस के पास कार्रवाई के लिए कितनी हिम्मत बचेगी?

सरकार के इस निर्णय का विरोध करता हूं! यह कहना भी चाहता हूं कि यह अपरिपक्व निर्णय पुलिस के मनोबल को कमजोर करने की साजिश है!

सम्मान काम से मिलता है, सलामी से नहीं

पटवारी ने कहा कि कांग्रेस का हर जनप्रतिनिधि यह मानता है कि सम्मान काम से मिलता है, सलामी से नहीं।

हम पुलिस से कानून के तहत काम करवाना चाहते हैं, न कि सत्ता के दबाव में।

उन्होंने कहा यदि कोई जनप्रतिनिधि वर्दी की सलामी लेकर खुश होता है, तो समझिए वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है।

उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज करवाते हुए मुख्यमंत्री से सीधा आग्रह कि जिस दिन यह आदेश मंजूर किया, उसी दिन प्रदेश की वर्दी को राजनीतिक गुलामी में धकेल दिया है।

उन्होंने सरकार से इस तरह का आदेश वापस लेने की मांग की है।

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वर्दी के सम्मान को न झुकाएं

उन्होंने आगे कहा- जनप्रतिनिधियों का कद बढ़ाना है तो सेवा, ईमानदारी और जवाबदेही से बढ़ाइए, वर्दी के सम्मान को झुकवाकर नहीं।”

कांग्रेस प्रदेश प्रमुख पटवारी ने कहा कि पुलिस जब सलामी देती है, तो संदेश जाता है कि वह पद के दबाव में हैं।

जबकि लोकतंत्र में पुलिस जनता और संविधान के प्रति जवाबदेह होती है, किसी विधायक या सांसद के प्रति नहीं।

जीतू पटवारी ने आगे कहा एक ओर पुलिस अपराधियों से लड़ रही है, तो दूसरी तरफ भाजपा नेताओं के दबाव से जूझ रही है।

अब यह आदेश उन्हें और कमजोर, झुका हुआ और भयभीत बना सकता है।

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खुलेआम पुलिस को मफिया दे रहे चुनौती

जीतू पटवारी ने आगे कहा जिस समय राज्य की कानून व्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी हो, पुलिस खुद अपराधियों के निशाने पर हो, ऐसे समय में राज्य सरकार पुलिस को न्याय दिलाने की बजाय सत्ता के प्रतीकों के सामने झुकने का फरमान सुना रही है।

यह आदेश जनतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों और संविधान की आत्मा जनता सर्वोच्च है का भी अपमान है।

अपराध में मध्य प्रदेश टॉप पर- जीतू पटवारी

पिछले 6 महीने में पुलिस पर हमले की दर्जनों घटनाएं, थानों पर हमले, जवानों को पीटना, राजनीतिक संरक्षण में अपराधियों को बचाना जैसी अनेक घटनाओं ने पुलिस की साख पर सवाल खड़े किए हैं।

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं, बच्चों और दलितों के खिलाफ अपराध में मध्य प्रदेश टॉप पर है।

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किसी योग्य को बनाएं गृहमंत्री

पटवारी ने कहा कि डॉ. मोहन यादव को प्रदेश का सबसे असफल गृहमंत्री बताते हुए फिर से यह मांग की है कि उन्हें किसी योग्य व्यक्ति को गृह मंत्रालय का दायित्व देना चाहिए।

उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह निर्णय भाजपा नेताओं की मांग थी?

यदि यह आदेश भाजपा नेताओं के दबाव में लिया गया है, तो यह स्पष्ट है कि भाजपा की मंशा पुलिस को स्वतंत्र नहीं, सत्ता का सेवक बनाना है।

उन्होंने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि क्या भाजपा के सांसद-विधायक यह चाहते हैं कि पुलिस उन्हें विशेषाधिकार के तहत सलामी दे?

क्या यह आदेश उनके अहंकार की तुष्टि के लिए लाया गया है?

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