Justice Sanjeev Khanna 51st CJI: नई दिल्ली। जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें सीजेआई के तौर पर शपथ ली।
राष्ट्रपति भवन में सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
कई मामलों में अहम फैसले देने वाले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर्ड हो गए।
बता दें कि जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे यानी उनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा।
करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर 65 मामलों में फैसले लिखे हैं।
EVM की पवित्रता को बनाए रखना, चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करना, अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे कई मामलों में जस्टिस संजीव खन्ना ने ही फैसले दिए हैं।
Justice Sanjeev Khanna 51st CJI: विरासत में मिली है वकालत –
आपको बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना को वकालत विरासत में मिली है।
उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं।
वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे।
जस्टिस हंसराज खन्ना ने इंदिरा सरकार के इमरजेंसी लगाने का विरोध किया था।
इसके साथ ही राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी।
इंदिरा सरकार के इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्हें सीनियर होने के बावजूद चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया।
उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को CJI बना दिया गया।
इस फैसले का विरोध करते हुए जस्टिस हंसराज ने सुप्रीम कोर्ट जज से इस्तीफा दे दिया था।
Justice Sanjeev Khanna 51st CJI: चाचा से प्रभावित होकर वकालत को बनाया करियर –
जस्टिस संजीव अपने चाचा हंसराज खन्ना से काफी प्रभावित थे।
उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई की।
इसके बाद दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की।
फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए सरकारी वकील भी रहे।
Justice Sanjeev Khanna 51st CJI: सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने पर हुआ था विवाद –
2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने जहां उन्होंने 13 साल तक पद संभाला।
2019 में जस्टिस खन्ना को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया, लेकिन इस पर विवाद भी हुआ।
उनकी इस नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी थी।
जस्टिस कैलाश ने लिखा था- 32 जजों की अनदेखी करना ऐतिहासिक भूल होगी।
लेकिन, राष्ट्रपति कोविंद ने इसे दरकिनार कर जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया।
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