Justice Varma impeachment: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कैश कांड में उनके खिलाफ चल रही महाभियोग प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
जस्टिस वर्मा ने इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
जज के घर में आग और जले नोटों का मिलना
14 मार्च 2025 की रात, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लग गई।
जब फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई, तो उन्हें स्टोर रूम में ₹500 के जले हुए नोटों के बंडल मिले।
21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे।
घटना के कई वीडियो भी सामने आए। इसमें जस्टिस के घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे दिखे।
जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।
मीडिया में खबर आई कि जज के घर से करोड़ों रुपये की नकदी बरामद हुई, हालांकि जस्टिस वर्मा ने इसे “साजिश” बताया।

जांच और कमेटी की रिपोर्ट
- इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने एक 3-सदस्यीय इन-हाउस कमेटी बनाई, जिसने जांच में जस्टिस वर्मा को दोषी पाया।
- 64 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि जज और उनके परिवार का स्टोर रूम पर नियंत्रण था, जहां से जले नोट मिले।
- इसके बाद CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM मोदी को पत्र लिखकर उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की।
- जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस जांच को अवैध बताया और कार्रवाई रोकने की मांग की।
- लेकिन SC ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया सही थी और जस्टिस वर्मा ने समय पर इसकी चुनौती नहीं दी।
अब क्या होगा? जस्टिस वर्मा के सामने 2 विकल्प
-
इस्तीफा दें: अगर वे इस्तीफा देते हैं, तो महाभियोग से बच जाएंगे और पेंशन पाने के हकदार होंगे।
-
महाभियोग का सामना करें – अगर वे नहीं हटते और संसद में महाभियोग पास होता है, तो उन्हें पद से हटाया जाएगा और सभी सुविधाएं खत्म हो जाएंगी।
जस्टिस वर्मा पहले ही इस्तीफा देने से इनकार कर चुके हैं और आरोपों को निराधार बताया है।

महाभियोग प्रक्रिया कैसे काम करती है?
- किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
- प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों को इस पर हस्ताक्षर करने होंगे और लोकसभा में 100 सदस्यों को इसका समर्थन करना होता है।
- जब प्रस्ताव दो तिहाई मतों से पारित हो जाता है तो लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति CJI से एक जांच समिति के गठन का अनुरोध करते हैं।
- जांच समिति में तीन सदस्य होते हैं- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस और एक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सरकार की तरफ से नामित कोई न्यायविद कार्यवाही शुरू करते हैं।
संसद में महाभियोग की स्थिति
मानसून सत्र में 152 लोकसभा और 54 राज्यसभा सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया गया है।
- राज्यसभा में प्रक्रिया अटकी हुई है क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया था।
- नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होना है, जिसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

जस्टिस वर्मा का पक्ष
जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके घर से कोई नकदी नहीं मिली और उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है।
उनका तर्क है कि जांच प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण थी।

आगे क्या?
अब जस्टिस वर्मा को जल्द ही फैसला करना होगा या तो इस्तीफा दें या महाभियोग की लड़ाई लड़ें।
अगर महाभियोग पास होता है, तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक दुर्लभ घटना होगी।
#SupremeCourt #JusticeVerma #CashScandal #Impeachment #JudiciaryCrisis