Kamal Nath Digvijay Meeting: पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल मचा दी है।
दरअसल, दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार 12 सितंबर को दिल्ली में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ हुई अपनी मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि उनके बीच “मनभेद नहीं” हैं।
इस पोस्ट के बाद राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है, जबकि कांग्रेस ने इसे BJP का बवाल बढ़ाने का प्रयास बताया है।

BJP का आरोप: “पुत्रों को स्थापित करने का है प्रयास”
BJP के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की इस मुलाकात और पोस्ट पर सवाल उठाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुलाकात एक नए गठबंधन की तैयारी का हिस्सा है।
अग्रवाल ने कहा, “यह अपने पुत्रों को स्थापित करने के लिए फिर से गठबंधन बनाने का प्रयास है। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जो जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की जोड़ी के खिलाफ होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इतनी बार अपने मतभेदों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना और जाहिर करना इनकी राजनीति का हिस्सा है। इनकी राजनीति स्वयं पर खत्म होकर परिवार की ओर बढ़ती है।”
यहां BJP के निशाने पर कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ और दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह हैं, जो सक्रिय राजनीति में हैं।
कांग्रेस का पलटवार: “BJP को दर्द क्यों हो रहा है?”
BJP के आरोपों का कांग्रेस ने जोरदार जवाब दिया।
पार्टी के नेता और पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल ने कहा कि BJP अनावश्यक रूप से मामले को हवा दे रही है।
उन्होंने कहा, “दोनों नेताओं के 50 साल पुराने संबंध हैं, BJP को दर्द क्यों हो रहा है? राजनीति में मतभेद होना आम बात है। अपनी-अपनी बात रखेंगे, यह अधिकार सबको है।”
पटेल ने पलटवार करते हुए कहा, “कलंकित तो BJP ने किया था, हमारी सरकार को गिराकर। हमारे दोनों नेताओं के संबंध पहले जैसे हैं। BJP बस इस मामले को जबरदस्ती हवा देने की कोशिश कर रही है।”

दिग्विजय सिंह का पोस्ट: “मनभेद नहीं, मतभेद हैं”
इस पूरे विवाद की शुरुआत दिग्विजय सिंह के एक फेसबुक पोस्ट से हुई।
उन्होंने कमलनाथ के साथ दिल्ली में हुई मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए एक लंबा संदेश लिखा।
उन्होंने लिखा, “कमलनाथ जी और मेरे लगभग 50 वर्षों के पारिवारिक संबंध रहे हैं। हमारे राजनैतिक जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं और ये स्वाभाविक भी हैं।”
उन्होंने आगे लिखा, “हमारा सारा राजनैतिक जीवन कांग्रेस में रहते हुए विचारधारा की लड़ाई एकजुट होकर लड़ते हुए बीता है और आगे भी लड़ते रहेंगे। छोटे-मोटे मतभेद रहे हैं लेकिन मनभेद कभी नहीं।”
यह पोस्ट ऐसे समय में आया है जब पिछले कुछ हफ्तों से दोनों नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे।

आखिर विवाद हुआ क्यों?
यह विवाद मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गिरने को लेकर है।
पिछले महीने, दिग्विजय सिंह ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि कमलनाथ और तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (जो अब BJP में हैं) के बीच काम करने के तरीके को लेकर हुए समझौते का पालन नहीं हुआ, जिसके चलते सरकार गिर गई।
दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि उन्होंने कमलनाथ को इस खतरे के बारे में चेताया था, लेकिन बात नहीं बनी।

उन्होंने कहा था कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की नियुक्तियों को लेकर बनी एक साझा सूची का पालन नहीं किया गया, जिससे सिंधिया नाराज हो गए और उन्होंने विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा दी।
इस पर कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर जवाब देते हुए एक अलग ही दावा किया था।
उन्होंने लिखा था, “सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिराई।”

राजनीति के नए समीकरण?
दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की यह मुलाकात और उस पर हो रही राजनीतिक प्रतिक्रियाएं साफ दिखाती हैं कि मध्य प्रदेश में अगले चुनावी दौर की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
BJP इस मौके का इस्तेमाल कांग्रेस में फूट और परिवारवाद का नारा लगाने के लिए कर रही है।
वहीं, कांग्रेस एकजुटता दिखाकर अपने आंतरिक मतभेदों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह ‘मुलाकात’ सिर्फ एक तस्वीर तक सीमित है या फिर इसके आगे कोई राजनीतिक समीकरण बनने वाले हैं।


