छिंदवाड़ा। MP की अमरवाड़ा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने आखिरकार अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी ने फ्रेश चेहरे धीरन शाह इनवाती को अपना उम्मीदवार बनाया है।
आइए जानते हैं आखिर कौन है धीरन शाह इनवाती जिसके ऊपर कांग्रेस और कमलनाथ ने इतना भरोसा जताया है और देखते हैं उनकी उम्मीदवारी के पीछे की कहानी…
कौन हैं धीरन शाह इनवाती –
कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह बटकाखापा सहकारी समिति में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं। वे अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
35 वर्षीय धीरन ग्रेजुएट हैं और आंचलकुंड से जुड़े हुए हैं। धीरन शाह आंचलकुंड के सेवादार सुखराम दादा के बेटे हैं।
इस परिवार की आदिवासी परिवारों में अच्छी पकड़ है। भारिया हो या आदिवासी, हर कोई दादा दरबार में जाकर हाजिरी लगाता है।
ऐसे में उनके परिवार को हर कोई जानता है। कांग्रेस अब इसी संबंध को भुनाने की तैयारी में है।
कांग्रेस में धीरन के नाम से पहले जिला पंचायत सदस्य नवीन मरकाम और चंपालाल कुरचे के नाम पर विचार चल रहा था।
कुछ स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने आंचलकुंड दरबार से प्रत्याशी बनाने की बात रखी। इसके बाद धीरन शाह के नाम पर सहमति बनी।
बताया जा रहा है कि आलाकमान के पास पैनल के चार नाम पहुंचे थे, पार्टी ने कमलनाथ से उनकी राय जानी।
कमलनाथ ने फोन पर धीरन से बात करने के बाद चारों नामों को खारिज करते हुए धीरन शाह का नाम आगे बढ़ाया जिसके बाद आलाकमान ने भी धीरन के नाम पर मुहर लगा दी।
अब सवाल उठता है कि आंचलकुंड धाम से जुड़े धीरन शाह को ही टिकट क्यों दिया गया –
अमरवाड़ा से बीजेपी प्रत्याशी कमलेश शाह हर्रई राजघराने से आते हैं। अब उन्हें मात देने के लिए कांग्रेस ने इसी धाम की आस्था को अपना अचूक अस्त्र बनाया है।
कांग्रेस ने धाम के महाराज के बेटे धीरन शाह को प्रत्याशी बनाकर आदिवासी वोटरों को सहेजने का तगड़ा दांव चला है।
दादा जी दरबार से जुड़े लोग बताते हैं कि कमलनाथ ने जब 1980 में पहला चुनाव लड़ा था उस समय आंचलकुंड के सेवादार रतनदास जी दादा थे।
कमलनाथ उस समय दरबार में आए थे। तब यहां सड़क नहीं थी। इस वजह से कमलनाथ बटकाखापा से 5 किमी पैदल आंचलकुंड पहुंचे थे।
दादा जी दरबार में कमलनाथ ने माथा टेका और यहां से भभूत उठाकर माथे पर लगाई थी। इस तरह उन्होंने अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी।
इसके बाद उन्होंने इस धाम तक पहुंचने के लिए रास्ता बनवाया और मंदिर निर्माण के लिए राशि भी दान की थी।
इस धाम से जुड़े लोगों का कहना है कि छिंदवाड़ा से आंचलकुंड के लिए राज्य परिवहन की बस सेवा भी कमलनाथ के प्रयासों से शुरू हुई थी इसलिए इस धाम से कमलनाथ का गहरा नाता है जिसका फायदा कांग्रेस को चुनाव में हो सकता है।