भोपाल। लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। एनडीए की सरकार बन चुकी है और पीएम मोदी का मंत्रिमंडल अपने काम में मसरूफ हो चुका है, लेकिन इस बीच एक और कवायद बाकी रह गई है जो बीजेपी संगठन को पूरी करनी है और वो है ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा सांसद चुने के बाद खाली हुई उनकी राज्य सभा सीट की भर्ती।
दावेदार कई हैं और फैसला शीर्ष नेतृत्व को लेना है। राज्य की इस एक सीट के लिए जाहिर तौर पर बीजेपी जातिगत समीकरण साधेगी। लिहाजा दावेदारों में ओबीसी भी है और ब्राह्मण भी। जिन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है उनमें डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया, पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव और केपी यादव शामिल हैं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सीट से पार्टी ब्राह्मण या ठाकुर चेहरे को मौका दे सकती है, लेकिन इन सबके बीच केपी यादव का नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में है और इसकी वजह है अशोकनगर में हुई सभा में अमित शाह का वो एलान जिसमें उन्होंने साफ कहा था कि केपी यादव को बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है जिसके बाद गुना के लोगों को एक नहीं दो-दो नेता मिल जाएंगे।
क्या खास है केपी यादव में जो अमित शाह उनको बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कह चुके हैं। आइए जानते हैं…
केपी यादव –
ओबीसी वर्ग से आते हैं केपी यादव
केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को दिया गया
अमित शाह यादव को बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कह चुके हैं
भाजपा ने 2019 में उन्हे सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतारा था
यादव ने उस चुनाव में सिंधिया को करीब सवा लाख वोटों से हराया था
लोकसभा का टिकट काटा तो राज्यसभा भेजे सकते हैं केपी यादव।
अब जैसा कि हमने बताया कि इस सीट से ब्राह्मण चेहरा भी लाया जा सकता है तो नरोत्तम मिश्रा और रमाकांत भार्गव भी दावेदार हैं और इनके राज्यसभा जाने की वजह क्या हैं, ये भी जान लेते हैं।
नरोत्तम मिश्रा –
पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं
अमित शाह के करीबी माने जाते हैं
न्यू ज्वॉइनिंग टोली के संयोजक रहे
संयोजक रहते मिश्रा ने कांग्रेस के कई दिग्गजों को बीजेपी में शामिल कराया
विधानसभा चुनाव हारे लेकिन लोकसभा चुनाव में इनके क्षेत्र से 20 हजार की लीड मिली।
रमाकांत भार्गव –
रमाकांत भार्गव भी पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं
विदिशा से सांसद रहे
विदिशा से इस बार भार्गव का टिकट काटकर शिवराज सिंह को दिया
बुदनी से शिवराज की सीट खाली हुई है यहां से भार्गव को टिकट दिया जा सकता है
बुधनी से टिकट नहीं दिया तो राज्य सभा भेजे जा सकते हैं।
जयभान सिंह पवैया –
ग्वालियर से सांसद रह चुके हैं जयभान सिंह पवैया
राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे
शिवराज मंत्रीमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके हैं पवैया
2018 में पवैया विधानसभा चुनाव हार गए थे
पवैया भी राज्य सभा जाने के दावेदार माने जा रहे हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है। मिसाल के तौर पर 2022 में जबलपुर की एक कार्यकर्ता सुमित्रा वाल्मिक को राज्यसभा का टिकट देकर शीर्ष नेतृत्व ने सभी को हैरान कर दिया था।
बहरहाल सिंधिया के लोकसभा जाने से खाली हुई राज्यसभा सीट का कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक रहने वाला है।
लिहाजा जो भी राज्यसभा भेजा जाएगा उसका कार्यकाल दो साल का रहने वाला है। अब जातिगत समीकरण समीकरण साधे जाएंगे या नहीं, ये तमाम बातें सियासी चर्चाएं भर हैं।
शीर्ष नेतृत्व जो फैसला करेगा, उसकी भनक अंतिम समय तक किसी को होने नहीं दी जाती, लेकिन अमित शाह का ऐलान बताता है कि केपी यादव राज्यसभा जाएंगे, इसकी सबसे प्रबल संभावना है।