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Lok Sabha Election 2024: कमलनाथ की चुनाव प्रचार से दूरी की क्या है मजबूरी

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भोपाल। कहां हैं कमलनाथ, जी हां आम चुनाव हैं, तीसरे चरण का मतदान होना है और इस अहम घड़ी में जब आला से लेकर अदना कार्यकर्ता तक अपनी पूरी ऊर्जा झोंक कर काम कर रहा है, ऐसे में दिग्गजों का ना दिखना और ना बोलना हैरत में डालता है। और फिर कमलनाथ जैसा दिग्गज मौके पर अंतर्ध्यान हो जाएं तो सवाल उठते हैं।

पहले हल्ले में छिंदवाड़ा में मतदान के बाद कमलनाथ कहीं भी नजर नहीं आ रहे जबकि होना ये था कि छिंदवाड़ा से बाहर निकलकर कमलनाथ कार्यकर्ताओं में जान फूंकने और विरोधियों पर वार करने के लिए बिलकुल फ्री हैं।

लेकिन, ना जाने ऐसा क्या है कि उन्होंने एकांतवास का रास्ता आखिर क्यों इख्तियार कर लिया। बीजेपी का गढ़ बन चुके मध्य प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई में ही कांग्रेस की सरकार बनी।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई पूरी तरह से कमलनाथ की धुरी पर ही घूमा करती थी। कमलनाथ की मौजूदगी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और विरोधियों के माथे पर बल लाने के लिए काफी है।

बावजूद इसके ऐन चुनाव के वक्त उनका नेपथ्य में चले जाना हजम नहीं हो रहा। ये सही है कि इस बार के चुनाव में कमलनाथ हों, दिग्विजय सिंह हों या कांतिलाल भूरिया सभी अपने-अपने क्षेत्र में ही सीमित हैं और जाहिर सी बात है कि जब राज्य की 28 सीटों पर बीजेपी का राज हो ऐसे में अपनी सीट निकालने के साथ खुद की साख बचाना भी इन नेताओं के लिए नाक का सवाल बन गया है।

लेकिन इस वक्त मन से हारी कांग्रेस को दिग्गजों के संबल, प्रोत्साहन की सबसे ज्यादा जरूरत है। सवाल यही है कि जिनके हाथ में कांग्रेस की कमान है उनके बिगड़े बोल कांग्रेस की फजीहत करा रहे हैं और तो दूसरी ओर दिग्गजों का अपनी सीट के अलावा चुनाव में रूचि नहीं लेना सीधे-सीधे बीजेपी को वॉकओवर देने जैसा ही मामला नजर आ रहा है।

इधर बीजेपी जिसने हर मोर्चे पर घेराबंदी कर रखी है। जुबानी जंग से लेकर बूथ-बूथ पर अपने सिपाही तैनात कर रखे हैं। वो भी हैरत में है कि आखिर दहाड़े तो किसके सामने, ललकारें तो आखिर किसे ललकारें क्योंकि सामने वो हैं जो लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।

मध्य प्रदेश में कुल जमा जो सियासी परिदृष्य उभरकर सामने आया है, उसमें कांग्रेस की सुस्ती पर बीजेपी उबासी लेती दिखाई दे रही है और यही कुछ हाल मतदाताओं का भी है, वो भी अलसाए-अलसाए से हैं।

देखते हैं आगे-आगे होता है क्या…

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