Lokayukta Raid PWD Chief Engineer: गुरुवार, 9 अक्टूबर को भोपाल (मध्य प्रदेश) के लोक निर्माण विभाग (PWD) के पूर्व चीफ इंजीनियर जी.पी. मेहरा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही लोकायुक्त की विशेष जांच टीम ने एक बड़ी कार्रवाई की।
इस कार्रवाई में टीम ने मेहरा के भोपाल स्थित चार अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापा मारा।
छापे के दौरान अब तक नकदी और सोने-चांदी के जेवरातों के विशाल भंडार के साथ-साथ मुंबई जैसे महंगे शहर में जमीन-जायदाद से जुड़े दस्तावेज बरामद होने की खबर है।
क्या है पूरा मामला?
जी.पी. मेहरा PWD विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं।
उन पर उनके कार्यकाल के दौरान विभागीय ठेकों और निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे।
इन्हीं आरोपों की शिकायतों के आधार पर लोकायुक्त टीम ने जांच शुरू की और गुरुवार की सुबह सुबह-सवेरे ही कार्रवाई का ऐलान किया।
Bhopal, Madhya Pradesh: The Lokayukta team is raiding former PWD Chief Engineer G.P. Mehra’s Manipuram residence over serious corruption charges. A large team is on-site, and the investigation is underway pic.twitter.com/lhXcY6vNbQ
— IANS (@ians_india) October 9, 2025
इन चार जगहों पर मारा छापा:
लोकायुक्त की टीम ने पुलिस बल के साथ मिलकर मेहरा के निम्नलिखित चार प्रॉपर्टी पर छापा मारा:
- हबीबगंज स्थित मणिपुरम आवास
- गोविंदपुरा स्थित बंगला
- बावड़िया कला स्थित बंगला
- सोहागपुर स्थित आवास

क्या-क्या बरामद हुआ?
छापे की शुरुआती जानकारी के मुताबिक, मणिपुरम और बावड़िया कला स्थित बंगलों से तो इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई है कि उसे गिनने के लिए नोट गिनने की मशीनें मंगवानी पड़ी हैं।
इसके अलावा सोने के भारी-भरकम जेवरात भी मिले हैं।
जांच दल को विभिन्न जगहों पर जमीन-जायदाद से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हाथ लगे हैं।
इन दस्तावेजों से पता चलता है कि मेहरा ने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भी संपत्ति खरीदी है और भोपाल में भी कहीं और निवेश किया हुआ है।

जांच जारी, और खुलासों के आसार
गुरुवार सुबह लगभग 6 बजे शुरू हुई यह कार्रवाई देर शाम तक जारी रहने की संभावना है।
लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है कि अभी तक जो सबूत मिले हैं, वे मेहरा के खिलाफ आरोपों को पुख्ता करते हैं।
आने वाले घंटों में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
यह मामला एक बार फिर से सरकारी अधिकारियों द्वारा अवैध संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति पर सवाल खड़ा करता है।


