Indian Army And MP: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच मध्य प्रदेश (MP) को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जबकि यह राज्य किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा नहीं है।
ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर इस शांत प्रदेश में इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था क्यों है।
दरअसल, बात ये है कि भारतीय सेना की रणनीति, गोला-बारूद की सप्लाई और युद्ध प्रशिक्षण में MP की महत्वपूर्ण भूमिका है।
यहां के 5 शहर भारतीय सेना के लिए बेहद खास है।
आइए जानते हैं इन शहरों के बारे में और आखिर क्यों हैं ये सेना के लिए जरूरी…
MP को क्यों रखा गया अलर्ट पर?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसके तहत देश के 7 राज्यों को अलर्ट पर रखा गया।
एहतियात बरतते हुए 7 राज्यों के 18 एयरपोर्ट्स पर फ्लाइट्स ऑपरेशन बंद कर दिए हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि जिन राज्यों के फ्लाइट्स ऑपरेशन बंद किए हैं, उनमें पाकिस्तान से सीमा साझा करने वाले जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और पंजाब शामिल हैं।
इसके साथ ही मध्य प्रदेश को भी अलर्ट पर रखा गया है, जबकि यह पाकिस्तान बॉर्डर से दूर है।
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि MP भारतीय सेना के लिए एक स्ट्रैटेजिक हब है।
यहां सेना के लिए गोला-बारूद, तोपें और युद्ध रणनीतियां तैयार की जाती हैं।
मध्य प्रदेश की ये 5 जगह सेना के लिए बेहद जरूरी हैं…
1. भोपाल:
- मध्यप्रदेश की राजधानी होने के साथ-साथ भोपाल में सेना की इंफेंट्री और सीआरपीएफ की बटालियन बनी हुई है।
- यहां सेना का बड़ा कैंप है। जहां के जवानों को अलर्ट पर रखा गया है।
- यहां साइबर मुख्यालय, भेल कारखाना और स्टेट डेटा सेंटर भी है।

2. जबलपुर: भारतीय सेना का गोला-बारूद हब
- जबलपुर की खमरिया ऑर्डनेंस फैक्ट्री (OFK) में सेना की तीनों विंग थल, जल और वायु सेना के लिए गोला बारूद तैयार होता है।
- यहां अलग-अलग आयुध निर्माण कारखाने हैं, जो सेना के लिए 155 एमएम धनुष तोप, असॉल्ट राइफल और लड़ाकू वाहन बनाती हैं।
- 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस फैक्ट्री की स्थापना हुई थी।
- कारगिल युद्ध के दौरान यहां बड़े पैमाने पर गोला-बारूद का उत्पादन हुआ था।
- पहलगाम हमले के बाद यहां कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं और उत्पादन बढ़ा दिया गया।
- खमरिया ऑर्डनेंस फैक्ट्री इस वक्त अलर्ट पर है।
जबलपुर में बनती है ‘धनुष’ तोप
गन कैरिज फैक्ट्री (GCF), जबलपुर में भारत की सबसे ताकतवर स्वदेशी तोप ‘धनुष’ बनाई जाती है। इसकी खासियतें हैं:
- 40 किमी तक मारक क्षमता
- सैटेलाइट गाइडेड सिस्टम से लक्ष्य भेदन
- बोफोर्स तकनीक पर आधारित
- सारंग तोप का भी यहां निर्माण होता है

3. महू (इंदौर): भारतीय सेना का दिमाग
महू छावनी भारतीय सेना के लिए रणनीति और प्रशिक्षण का केंद्र है। यहां तीन प्रमुख संस्थान स्थित हैं:
इंफेंट्री स्कूल
- फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ द्वारा स्थापित
- कमांडो ट्रेनिंग का मुख्य केंद्र
- अंतरराष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज तैयार करता है
मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (MCTE)
- सैन्य संचार तकनीक का प्रशिक्षण केंद्र
- विदेशी अधिकारी भी यहां ट्रेनिंग लेते हैं
आर्मी वॉर कॉलेज
- युद्ध रणनीतियों का प्रशिक्षण केंद्र
- हर साल 3000+ अधिकारी यहां ट्रेनिंग लेते हैं

4. ग्वालियर: वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस
- ग्वालियर एयर फोर्स स्टेशन भारतीय वायुसेना की सेंट्रल कमांड का हिस्सा है। यहां मिराज 2000 लड़ाकू विमान तैनात हैं।
- इसके अलावा बीएसएफ एकेडमी, आर्मी बेस, सीआरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर के साथ ही रक्षा अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डीआरडीई सेंटर है।
- 1985 से मिराज 2000 का बेस
- कारगिल युद्ध में इन विमानों ने पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए
- राफेल विमानों के आने के बाद भी यह बेस अहम है
- आपेरशन सिंदूर के बाद ग्वालियर एयरपोर्ट अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

5. कटनी:
- यहां की ऑर्डनेंस फैक्ट्री में सेना के लिए तोप के गोलों और कारतूस के खोखे बनाए जाते हैं। जो जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में भेजे जाते हैं।
- भारत-पाक तनाव के मद्देनजर यहां के कर्मचारियों की भी छुट्टियां रद्द कर दी गई है।
- यह फैक्ट्री भी फिलहाल अलर्ट पर है, यहां भी लगातार काम जारी है।
- यह देश का महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन भी है।

ग्वालियर में खास तैयारियां
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में इमरजेंसी स्थिति से निपटने के लिए जेएएच अस्पताल में तैयारियों को पूरा किया जा रहा है।
अस्पताल के प्रत्येक विभाग, इमरजेंसी यूनिट और ट्रॉमा वॉर्ड को पूरी तरह से अलर्ट मोड पर रखा गया है, ताकि किसी भी प्रकार की इमरजेंसी में प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।
1. अस्पताल अलर्ट पर
- ग्वालियर के JAH अस्पताल में इमरजेंसी व्यवस्था सक्रिय
- डॉक्टरों और स्टाफ की छुट्टियां रद्द
- ट्रॉमा वार्ड, दवाएं और ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित
2. सैन्य अधिकारियों को निर्देश
- बिना अनुमति मुख्यालय न छोड़ें
- 24×7 फोन पर उपलब्ध रहने के आदेश
इसीलिए, भले ही MP बॉर्डर पर न हो, लेकिन यह भारतीय सेना के लिए एक “लाइफलाइन” की तरह है।