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मध्य प्रदेश में इस साल बाल विवाह के 538 मामले: करोड़ों खर्च के बावजूद क्यों नहीं रुक रही ये कुप्रथा?

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

MP Child Marriage Case: मध्य प्रदेश में बाल विवाह की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है।

हाल ही में विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, केवल इस साल (2025) में अब तक 538 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने स्वीकार किया कि यह आंकड़ा हर महीने बढ़ रहा है

यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार इस समस्या को रोकने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

क्या है पूरा मामला?

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने एक सवाल पूछा।

उन्होंने जानना चाहा कि मार्च 2020 से अब तक कितनी कम उम्र (18 साल से कम) की लड़कियों का विवाह हुआ है।

जवाब में मंत्री ने बताया कि 2020 से 2025 तक हर साल औसतन 400 से अधिक बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए हैं, और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

विधायक ने यह भी पूछा कि ऐसी बालिका वधुओं ने कितने बच्चों को जन्म दिया और उनमें शिशु मृत्यु दर क्या रही, लेकिन इसका जवाब अभी स्पष्ट नहीं है।

समस्या की गंभीरता के उदाहरण

खबरों में आए कुछ मामले इस सामाजिक बुराई की भयावहता को दिखाते हैं:

  • जबलपुर के मंगेला गांव में महज 13 साल की एक लड़की का जबरन विवाह करा दिया गया। विवाह के बाद वह गर्भवती हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पुलिस ने लड़की के माता-पिता समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया।
  • आगर मालवा जिले के सिया गांव में भी एक 13 साल की लड़की का विवाह रोकने में पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। अधिकारियों ने माता-पिता को समझा-बुझाकर लड़की के 18 साल का होने तक इंतजार करने के लिए राजी किया।

सरकार के प्रयास और चुनौतियां

महिला एवं बाल विकास विभाग बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है।

प्रशासन और जनप्रतिनिधि गांव-गांव जाकर लोगों को कानून और बालिकाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में समझा रहे हैं।

बीजेपी विधायक मोहन शर्मा का कहना है कि पहले बाल विवाह चुपचाप हो जाते थे, लेकिन अब प्रशासन और समाज के जागरूक तबके इन्हें रोकने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे मामले सामने आ रहे हैं।

आखिर क्यों बढ़ रही है यह समस्या?

इतने प्रयासों के बावजूद बाल विवाह बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं:

  1. गहरी जड़ें: समाज में रूढ़िवादी परंपराएं, आर्थिक दबाव और लड़कियों को बोझ समझने की मानसिकता अभी भी मजबूत है।
  2. कानूनी कमजोरियाँ: कानून का डर या उसका सख्ती से लागू न होना।
  3. शिक्षा और आर्थिक स्थिति: गरीबी और शिक्षा की कमी के चलते अभिभावक लड़की का विवाह जल्दी करना चाहते हैं।
  4. रिपोर्टिंग में वृद्धि: हो सकता है कि पहले मामले दब जाते थे, लेकिन अब जागरूकता और निगरानी बढ़ने से रिपोर्टिंग बढ़ गई है।

मध्य प्रदेश में बाल विवाह का बढ़ता आंकड़ा एक गंभीर चेतावनी है।

यह दिखाता है कि केवल बजट खर्च करने या कानून बनाने से ही समस्या का समाधान नहीं होगा।

इसके लिए समाज के हर स्तर पर ठोस बदलाव की जरूरत है।

लोगों की सोच बदलने, लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और गरीबी कम करने के साथ-साथ कानून को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।

तभी हम इस सदियों पुरानी कुरीति पर काबू पा सकते हैं और हर बच्ची को उसका बचपन और भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।

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