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6 दिन में ही खत्म हुआ 13 साल की बाल साध्वी का संन्यास, निष्कासित हुए दीक्षा देने वाले संत

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Mahakumbh Bal Sadhvi: प्रयागराज के महाकुंभ में संन्यास लेने वाली 13 साल की राखी सिंह धाकरे (Rakhi Singh) अब साध्वी नहीं बनेंगी।

दीक्षा लेने के 6 दिन बाद ही उनका संन्यास वापस ले लिया गया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि राखी को गलत तरीके से साध्वी बनाया गया था।

इतना ही नहीं राखी को दीक्षा लेने वाले संत कौशल गिरी को अखाड़े से निष्कासित भी कर दिया गया है।

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

नाबालिग को संन्यासी बनाना गलत

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक हरि गिरि महाराज के मुताबिक किसी नाबालिग को संन्यासी बनाना गलत है और ये अखाड़े की परंपरा नहीं है।

इस मामले पर बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है।

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राखी ने पकड़ी जिद तो परिवार ने दिलाई दीक्षा

13 साल की राखी सिंह, आगरा के एक पेठा कारोबारी की बेटी हैं जो 5 दिसंबर को परिवार के साथ कुंभ मेले में आए थे।

9वीं क्लास में पढ़ने वाली राखी महाकुंभ में आकर यहीं की हो गई। उसने जिद पकड़ ली कि उसे यहां से वापस जाना ही नहीं है।

कहने लगी कि उसका कोई परिवार नहीं है और न ही कोई भाई-बहन नहीं। वो बस अखाड़े में रहकर अपना जीवन बिताना चाहती है।

बेटी की जिद के आगे माता-पिता ने भी हार मान ली और उसे जूना अखाड़े को दान कर दिया।

कौशल गिरी ने दी दीक्षा, नाम रखा- गौरी गिरी महारानी

इसके बाद जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरी ने उसे दीक्षा दी।

पहले राखी को संगम में स्नान कराया गया और फिर उसका नाम बदलकर गौरी गिरी महारानी रख दिया गया।

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19 जनवरी को होना था पिंडदान

दीक्षा के बाद 19 जनवरी को नाबालिग का पिंडदान होना था।

संन्यासी बनने के दौरान पिंडदान करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

महामंडलेश्वर कौशल ने राखी के पिंडदान कराने की भी तैयारी कर ली थी।

मगर इससे पहले अखाड़े की सभा ने इस दीक्षा को गलत बताते हुए राखी का संन्यास वापस ले लिया।

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कौशल गिरी महाराज से वर्षों से जुड़ा हुआ परिवार

राखी का परिवार कौशल गिरी महाराज के साथ वर्षों से जुड़ा हुआ है।

राखी के गांव के काली मां मंदिर पर 3 साल से लगातार कथा हो रही है।

ग्रामीणों के मुताबिक, तभी से राखी का झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया था।

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