Menstruation checking in school महाराष्ट्र के ठाणे जिले के एक निजी स्कूल में कक्षा 5 से 10 तक की छात्राओं के साथ शर्मनाक घटना सामने आई है।
स्कूल प्रशासन ने पीरियड्स की जांच के नाम पर बच्चियों के कपड़े उतरवाए और उनकी निजी जांच की।
इस घटना के बाद गुस्साए अभिभावकों ने स्कूल में हंगामा किया और पुलिस ने प्रिंसिपल को हिरासत में ले लिया है।
क्या हुआ था?
स्कूल में कुछ छात्राओं ने टॉयलेट में खून के धब्बे देखे।
इसके बाद स्कूल प्रशासन ने सभी लड़कियों को कन्वेंशन हॉल में बुलाया और प्रोजेक्टर पर खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाईं।
फिर उनसे पूछा गया कि किस-किस को पीरियड्स हो रहे हैं।
जिन छात्राओं ने हां कहा, उनकी उंगलियों के निशान लिए गए।
जिन्होंने ना कहा, उन्हें एक-एक कर टॉयलेट में ले जाकर उनके कपड़े उतरवाए गए और निजी अंगों की जांच की गई।

प्रिंसिपल गिरफ्तार
जब बच्चियों ने यह बात घर पर बताई, तो अभिभावक स्कूल पहुंच गए और प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे।
पुलिस ने प्रिंसिपल को हिरासत में लेकर मामला दर्ज किया है।
अभिभावकों का गुस्सा, वकील पर हमला
जब स्कूल का वकील अभय पितळे मामले को संभालने पहुंचे, तो अभिभावकों ने उन्हें घेर लिया और मारपीट की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने हस्तक्षेप कर उन्हें बचा लिया।

अब पुलिस जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है।
UNICEF की रिपोर्ट: पीरियड्स के कारण स्कूल छोड़ देती हैं लाखों लड़कियां
यूनिसेफ की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 2.3 करोड़ लड़कियां पीरियड्स शुरू होते ही स्कूल छोड़ देती हैं।
इसके कारण 10 करोड़ लड़कियों की कम उम्र में शादी हो जाती है।
साथ ही, 54% लड़कियां एनीमिया की शिकार होती हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन
शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल पीरियड्स अवेयरनेस पर एडवाइजरी जारी की थी।
इसमें कहा गया था कि स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जाने चाहिए और परीक्षा के दौरान छात्राओं को ब्रेक दिया जाना चाहिए।
लेकिन इस स्कूल की घटना से साफ है कि अभी भी जागरूकता की कमी है।


