Malegaon blast case: महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाका मामले में NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) की विशेष अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य सभी आरोपियों को निर्दोष करार कर दिया गया है।
अदालत ने कहा कि पुख्ता सबूतों के अभाव में आरोप साबित नहीं हो पाए।
कोर्ट ने कहा कि धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो पाया कि बम मोटरसाइकिल में रखा गया था या आरोपियों का इससे कोई संबंध था।
बता दें कि 17 साल पहले 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में सीरीयल बम ब्लास्ट हुए थे।
धमाका एक दोपहिया वाहन में हुआ था और शुरुआती जांच में इस घटना के तार ‘हिंदू राइट विंग’ से जुड़े कुछ संगठनों से जोड़े गए।
मालेगांव ब्लास्ट केस में पूर्व सासंद साध्वी प्रज्ञा समेत 7 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- साजिश का कोई एंगल साबित नहीं हुआ#malegaon #MalegaonBlast #malegaonbombblast #malegaonblastcase #BJP #Bhopal #MadhyaPradesh #BreakingNews pic.twitter.com/ToGzCUzxMc
— Chautha Khambha (@chauthakhamba) July 31, 2025
कोर्ट ने क्या कहा? मुख्य बिंदु
बाइक का स्वामित्व साबित नहीं हुआ
- अदालत ने कहा कि यह साबित नहीं हो पाया कि धमाके में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाम थी।
- बाइक का चेसिस नंबर रिकवर नहीं किया गया, जिससे इसकी पहचान संदिग्ध रही।

साजिश का कोई सबूत नहीं
- कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के बीच किसी साजिश का कोई सबूत नहीं मिला।
- यह भी साबित नहीं हो पाया कि कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने आरडीएक्स लाने या बम बनाने में मदद की थी।
जांच में गंभीर लापरवाही
- धमाके के बाद फिंगरप्रिंट्स नहीं लिए गए।
- पंचनामा ठीक से नहीं बनाया गया।
- मेडिकल रिपोर्ट्स में हेराफेरी के संकेत मिले, जिसमें घायलों की संख्या 95 बताई गई, न कि 101।
UAPA लागू नहीं होता
- कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद-रोधी कानून (UAPA) के तहत आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।
- यह भी साबित नहीं हुआ कि अभिनव भारत संगठन के पैसे का इस्तेमाल ब्लास्ट में किया गया था।

मालेगांव ब्लास्ट केस: पूरा घटनाक्रम
- 29 सितंबर 2008: महाराष्ट्र के मालेगांव में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक घायल हुए।
- आरोप: हिंदू आतंकवाद से जुड़े संगठनों पर आरोप लगे।
- आरोपी: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी।
- जांच: पहले महाराष्ट्र ATS ने की, फिर 2011 में केस NIA को ट्रांसफर किया गया।
- चार्जशीट: 2016 में NIA ने कोर्ट में चार्जशीट दायर की।
- फैसला: 31 जुलाई 2025 को सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
मालेगांव ब्लास्ट केस की टाइमलाइन
- 29 सितंबर 2008 को रात 9:30 बजे ब्लास्ट हुआ।
- ब्लास्ट से 6 लोगों की मौत हो गई थी, 100 से अधिक घायल हुए थे।
- मामले में कुल 332 गवाहों ने बयान दिए।
- महाराष्ट्र एटीएस के चीफ हेमंत करकरे के नेतृत्व में जांच शुरू हुई।
- 23 अक्टूबर 2008 को प्रज्ञा ठाकुर अरेस्ट हुईं।
- 5 नवंबर 2008 के कर्नल पुरोहित को अरेस्ट किया गया।
- 2008 में हिंदू संगठनों के नाम सामने आए।
- 2008 26/11 हमले में हेमंत करकरे की मौत हो गई।
- 2011 में केंद्र सरकार ने जांच एनआईए का सौंप दी
- 2017 में सबूतों के अभाव में सभी आरोपी बरी।
- 2019 में प्रज्ञा ठाकुर लोकसभा की सांसद बन गई।
- 31 जुलाई 2025 प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपी बरी

6 की मौत 100 से ज्यादा घायल
- कब- 29 सितंबर 2008, रात 9.30 बजे
- कहां- शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने चौक में
- कैसे – एक एलएमएल फ्रीडम बाइक में विस्फोट
इन 6 लोगों की हुई थी मौत
- सैय्यद अजहर, 19 साल
- मुश्ताक शेख यूसुफ, 24 साल
- शेख रफीक शेख मुस्तफा, 42 साल
- फरहीन उर्फ शगुप्ता शेख लियाकत, 10 साल
- इरफान जियाउल्ला खान, 20 साल
- हारुन मोहम्मद शाह, 70 साल
Addressing the judge in the NIA Court, Sandhvi Pragya Singh says, “I said this from the very beginning that those who are called for investigation there should be a basis behind that. I was called by them for investigation and was arrested and tortured. This ruined my whole life.… https://t.co/GNyiAclNoF pic.twitter.com/zSxIYurGX0
— ANI (@ANI) July 31, 2025
मालेगांव ब्लास्ट केस: सातों आरोपी बरी, जानिए क्या थे आरोप
आइए जानते हैं 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस के सातों आरोपियों के बारे में और इन पर क्या-क्या आरोप थे…
-
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर: उन पर आरोप था कि उन्होंने धमाके के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया और रामजी कलसांगरा व संदीप डांगे को सुधाकर धर द्विवेदी से मिलवाया।
-
कर्नल (रिटायर्ड) प्रसाद पुरोहित: उन पर ‘अभिनव भारत’ संगठन बनाने, 21 लाख रुपए जुटाने, आरडीएक्स की व्यवस्था करने और बम बनाने में मदद करने का आरोप था।

-
मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय: संगठन के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते उन पर योजना बनाने वाली बैठकों में शामिल होने और तकनीकी सहायता देने का आरोप था।
-
अजय राहिरकर: संगठन के कोषाध्यक्ष होने के नाते उन पर पैसे जुटाने, हथियार खरीदने में मदद करने और सुधाकर द्विवेदी व राकेश दवाड़े को पैसे देने का आरोप था।
-
सुधाकर धर द्विवेदी (शंकराचार्य): उन पर बैठकों में शामिल होने और बम लगाने वालों से संपर्क करवाने का आरोप था।
-
समीर कुलकर्णी: संगठन के सदस्य होने के नाते उन पर बैठकों में शामिल होने और प्रचार करने का आरोप था।
-
सुधाकर चौधरी: उनके घर में बम बनाने और धमाके के लिए दो लोगों को बम देने का आरोप था।
हालांकि, अदालत में ये सभी आरोप साबित नहीं हो पाए, जिसके चलते सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
कोर्ट का महत्वपूर्ण बयान
-
“आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता।”
-
“अदालत सिर्फ संदेह या नैतिक सबूतों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती, ठोस सबूत चाहिए।”
Malegaon blast case, Malegaon blast 2005, NIA court, Colonel Shrikant Prasad Purohit, Maharashtra, serial blasts, Sadhvi Pragya Thakur


