Cryptocurrency Bitcoin Scam: क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन घोटाले के मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
आरोप है कि गौरव मेहता ने बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरंसी में निवेश का झांसा देकर करोड़ों रुपये ठगी की है।
गौरव मेहता ने एक कंपनी खोली थी, जहां वह लोगों को निवेश करने के लिए प्रेरित करता था।
लेकिन, इस निवेश के पीछे का पूरा उद्देश्य केवल धोखाधड़ी था।
यह घोटाला 6600 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है।
इस मामले में आरोपी के खिलाफ पुलिस की जांच कर रही है।
6600 करोड़ रुपये के क्रिप्टोकरंसी घोटाले का मास्टरमाइंड
क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन घोटाला मामले में रायपुर के गौरव मेहता पर 6600 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा है।
इसी को लेकर गौरव मेहता के घर और दफ्तर पर ED और CBI ने दाबिश दी थी।
छापेमारी के दौरान ईडी की टीम को कई बैंकों में बड़े पैमाने पर लेनदेन के रिकॉर्ड मिले।
इससे यह साफ है कि आरोपी ने इस घोटाले को चलाने के लिए वित्तीय लेन-देन किया था।
बता दें गौरव मेहता की शिक्षा रायपुर के होली क्रॉस स्कूल से हुई है।
वह रायपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) का भी छात्र रहा है।
बिटकॉइन में निवेश के लिए खोली थी कंपनी
गौरव ने 2010 में क्रिप्टो करेंसी के व्यापार में कदम रखा था और इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई थी।
वह एक साइबर एक्सपर्ट के रूप में भी काम कर चुका है।
गौरव ने इसी वजह से कई लोगों को क्रिप्टोकरंसी निवेश के बारे में सलाह दी थी।
NIT रायपुर से इंजीनियर गौरव ने अपनी तकनीकी समझ का गलत इस्तेमाल करते हुए लोगों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की।
क्रिप्टोकरंसी और बिटकॉइन में निवेश करने के लिए गौरव ने एक कंपनी खोली थी, जिसका नाम Catax था।
कंपनी का सीईओ खुद गौरव मेहता था।
वह निवेशकों से बड़ी रकम वसूलने के बाद उन्हें बिटकॉइन और क्रिप्टोकरंसी से जुड़े फायदे के बारे में जानकारी देता था।
इसके साथ ही उन्हें टैक्स बचाने के तरीके भी सुझाता था।
सोशल मीडिया पर ED का फॉरेंसिक ऑडिटर होने का दावा
निवेशकों को आकर्षित करने के लिए गौरव मेहता ने सोशल मीडिया पर खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का फॉरेंसिक ऑडिटर बताया था।
इसके अलावा, उसने पुणे पुलिस द्वारा सम्मानित होने का झूठा प्रमाणपत्र भी साझा किया था, ताकि उसकी विश्वसनीयता बढ़ सके और लोग उसके झांसे में आ जाएं।
गौरव मेहता ने अपनी कंपनी के माध्यम से लोगों को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए ललचाया और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि उनके निवेश से उन्हें भारी लाभ होगा।
लेकिन, असल में वह सभी निवेशकों के पैसों को निजी तौर पर हड़प रहा था।
इस मामले में ईडी और सीबीआई की जांच अभी जारी है।
आशंका जताई जा रही है कि और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
बता दें इस मामले में दो और संदिग्ध है अमित भारद्वाज और अजय भारद्वाज।
अमित का हाल ही में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
वहीं अजय फरार है, जिसकी कई जांच एजेंसियां तलाश कर रही हैं।
साल 2018 में सामने आया था क्रिप्टोकरंसी फ्रॉड केस
साल 2018 में क्रिप्टोकरंसी फ्रॉड केस में पूर्व आईपीएस अफसर रवींद्रनाथ पाटिल को गिरफ्तार किया गया था।
रवींद्रनाथ पाटिल ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में बिटकॉइन घोटाले के पैसों का इस्तेमाल किया गया है।
उन्होंने दावा किया था कि गौरव मेहता ने उन्हें 10 वॉइस क्लिप भेजी थीं।
जिसमें क्लिप में सुप्रिया सुले, नाना पटोले, अमिताभ गुप्ता (उस वक्त के पुणे पुलिस कमिश्नर) और भाग्यश्री नवटाके (तब की डीसीपी साइबर) के बीच हुई कथित बातचीत थी।
रवींद्रनाथ पाटिल ने ईमेल के जरिए चुनाव आयोग को भेजी शिकायत में बताया था कि चुनाव में खर्च के लिए बिटकॉइन के बदले कैश मांगा गया था।
इसके लिए राकांपा की नेता सुप्रिया सुले और कांग्रेस नाना पटोले ने रायपुर के गौरव मेहता से संपर्क किया था।