Indigo Flight Crisis: देशभर के कई हवाई अड्डों पर पिछले 4 दिनों से यात्री भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
खासतौर पर इंडिगो एयरलाइंस की कई उड़ानों में लंबी देरी और रद्द होने की घटनाओं ने एक गंभीर संकट पैदा कर दिया था।
यात्री एयरपोर्ट पर घंटों से फंसे हैं, जिससे हालात बिगड़ते जा रहे हैं और अव्यवस्था फैल रही है।
इस गंभीर समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अब बड़ी कार्रवाई की है।
मंत्रालय ने न सिर्फ इस पूरे मामले की उच्च-स्तरीय जांच का आदेश दिया है, बल्कि यात्रियों को तत्काल राहत देने और सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए 8 आपातकालीन नियम भी लागू किए है।

क्या हो रही है जांच और कौन करेगा?
इंडिगो एयरलाइंस में हुई इस भारी अव्यवस्था की जिम्मेदारी तय करने और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने, इसके उपाय सुझाने के लिए सरकार ने एक उच्च-स्तरीय चार सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है।
इस टीम में डीजीसीए (विमानन सुरक्षा महानिदेशालय) के वरिष्ठ अधिकारी और अनुभवी विमान चालक शामिल हैं।
टीम को यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि आखिर इस संकट के पीछे असली वजह क्या है?
क्या यह तकनीकी खराबी थी, संसाधनों की कमी थी, या फिर प्रबंधन में कोई चूक हुई?
जांच टीम को 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई और जवाबदेही तय की जाएगी।
यह कदम दिखाता है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और भविष्य के लिए सबक सीखना चाहती है।

यात्रियों को तुरंत राहत देने के लिए लागू हुए 8 अहम नियम
जांच के साथ-साथ, जमीन पर फंसे यात्रियों की तकलीफें कम करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
इसीलिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो समेत सभी एयरलाइनों के लिए तुरंत प्रभाव से आठ आपात नियम लागू कर दिए हैं:
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शेड्यूल जल्द सामान्य: मंत्रालय ने दावा किया है कि आधी रात तक अधिकांश उड़ानों का शेड्यूल स्थिर होने लगेगा। पूरी तरह सामान्य स्थिति में आने में अगले दो-तीन दिन लग सकते हैं।
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रियल-टाइम जानकारी: एयरलाइंस को अपने ऐप, वेबसाइट या एसएमएस के जरिए यात्रियों को उड़ान में देरी की रियल-टाइम जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। यानी अब यात्री घर बैठे-बैठे ही सही समय पर अपडेट पा सकेंगे।
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ऑटोमैटिक पूरा रिफंड: अगर कोई उड़ान रद्द होती है, तो एयरलाइन को यात्री के टिकट का पूरा पैसा स्वचालित रूप से वापस करना होगा। यात्रियों को इसके लिए अलग से आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी।
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फंसे यात्रियों के लिए होटल: अगर कोई यात्री किसी दूसरे शहर के एयरपोर्ट पर फंस जाता है, तो एयरलाइन की जिम्मेदारी होगी कि वह उसके रुकने और खाने-पीने का इंतजाम करे। इसके लिए पहले से बुक होटलों में ठहराने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
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वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा: बुजुर्ग यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उन्हें एयरपोर्ट लाउंज की सुविधा दी जाएगी ताकि वे आराम से इंतजार कर सकें।
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रिफ्रेशमेंट का प्रबंध: जिन उड़ानों में देरी हो रही है, उनके यात्रियों को एयरपोर्ट पर ही पानी, खाने-पीने का सामान और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया करानी होंगी।
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24×7 कंट्रोल रूम: पूरे देश में उड़ानों की स्थिति पर नजर रखने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय में एक 24 घंटे चलने वाला कंट्रोल रूम बना दिया गया है। यह केंद्र रियल-टाइम में हर एयरपोर्ट की स्थिति की निगरानी करेगा और जरूरत पड़ने पर तुरंत निर्देश जारी करेगा।
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निरंतर समन्वय: मंत्रालय एयरलाइंस, एयरपोर्ट प्रबंधन और डीजीसीए के साथ लगातार संपर्क में रहेगा ताकि हर स्तर पर तालमेल बना रहे और समस्याएं तुरंत सुलझाई जा सकें।

मदद के लिए रेलवे भी आगे आया
हवाई यात्रियों की मुश्किलों को देखते हुए भारतीय रेलवे भी सहायता के लिए आगे आया है।
रेलवे ने उन रूटों पर चल रही कुछ प्रमुख ट्रेनों में अतिरिक्त डिब्बे जोड़ दिए हैं, जहां हवाई यातायात प्रभावित हुआ है।
इससे वे यात्री जो जल्दी में हैं या अपनी उड़ान छूट जाने के कारण फंसे हैं, वैकल्पिक रूप से ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं।
इन ट्रेनों में राजधानी एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण गाड़ियां शामिल हैं।
रेलवे का यह कदम बताता है कि विभिन्न परिवहन विभाग एक-दूसरे के साथ मिलकर आपात स्थिति में जनता की मदद कर रहे हैं।

यात्री सुरक्षा और सुविधा सर्वोपरि
इस पूरे प्रकरण में सरकार द्वारा उठाए गए कदम एक स्पष्ट संदेश देते हैं कि यात्रियों की सुविधा और उनके हित सर्वोच्च प्राथमिकता हैं।
सिर्फ एयरलाइन पर जुर्माना लगाने या उसे दोष देने के बजाय, सरकार ने एक रणनीति अपनाई है।
एक तरफ जहां गहन जांच से भविष्य के लिए सबक सीखा जाएगा, वहीं दूसरी तरफ तत्काल लागू किए गए आपात नियमों से फंसे यात्रियों को राहत पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि इन उपायों से हवाई यातायात जल्द ही सामान्य होगा और यात्रियों को भविष्य में इस तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
यह घटना यह भी याद दिलाती है कि यात्रियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और एयरलाइनों को भी अपनी सेवाओं और संचार प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है।


