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नए सेस से बढ़ेगी गुटखा-सिगरेट और पान मसाले की कीमत, निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया बिल

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

Gutkha Cigarette Price Hike: मोदी सरकार तंबाकू उत्पादों और पान मसाले पर सख्ती करने जा रही है।

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दो नए बिल लोकसभा में पेश किए।

इन बिलों के जरिए गुटखा, सिगरेट और पान मसाला जैसे उत्पादों पर एक नया ‘सुरक्षा सेस’ लगाया जाएगा, जिससे यह चीजें और महंगी हो जाएंगी।

इसका मकसद इन उत्पादों पर पहले जैसा टैक्स दबाव बनाए रखना और सार्वजनिक स्वास्थ्य व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए धन जुटाना है।

GST कंपनसेशन सेस खत्म होने के बाद भी जारी रहेगा टैक्स

जीएसटी परिषद ने 22 सितंबर को अधिकांश वस्तुओं पर कंपनसेशन सेस खत्म कर दिया था, लेकिन तंबाकू और पान मसाले को इससे छूट दी गई थी।

अब सरकार दो नए बिल लेकर आ रही है ताकि इन उत्पादों पर टैक्स का बोझ वैसा ही बना रहे।

इन बिलों के नाम हैं सेंट्रल एक्साइज संशोधन विधेयक-2025 और राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक-2025

पहला बिल सिगरेट जैसे तंबाकू उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) लगाएगा।

दूसरा बिल पान मसाला उद्योग पर लागू होगा और इसे ‘हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस’ नाम दिया गया है।

इस सेस से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा और जन स्वास्थ्य परियोजनाओं के लिए किया जाएगा।

कैसे लगेगा नया सेस? मशीन और उत्पादन क्षमता पर होगा टैक्स

  • नए प्रस्ताव के तहत सेस सीधे तैयार उत्पाद पर नहीं, बल्कि गुटखा-पान मसाला बनाने वाली मशीनों और उत्पादन प्रक्रिया पर लगेगा।
  • यानी टैक्स की गणना कंपनी की उत्पादन क्षमता के आधार पर होगी, चाहे वह कितना भी माल बनाए।
  • खास बात यह है कि सेस का दायरा मशीन से उत्पादन करने वालों तक ही सीमित नहीं होगा।
  • हाथ से पान मसाला या गुटखा बनाने वाले छोटे उत्पादकों को भी एक निश्चित मासिक शुल्क देना अनिवार्य होगा।
  • इसके अलावा, हर निर्माता को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
  • बिना रजिस्ट्रेशन के उत्पादन करना गैरकानूनी माना जाएगा।
  • नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल तक की कैद का सख्त प्रावधान भी बिल में शामिल है।
  • सरकार के पास जरूरत पड़ने पर इस सेस की दर को दोगुना करने का अधिकार भी रहेगा।

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सरकार का उद्देश्य, स्वास्थ्य और सुरक्षा 

सरकार का कहना है कि इस कदम के पीछे दो मुख्य उद्देश्य हैं।

पहला, तंबाकू और पान मसाला जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों की खपत को कम करना।

दूसरा, इन उत्पादों से प्राप्त अतिरिक्त राजस्व को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च करना।

यह बिल सरकार की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत ‘सिन गुड्स’ (हानिकारक उत्पादों) पर अधिक टैक्स लगाकर लोगों को इनसे दूर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तंबाकू उद्योग पर बेहतर नियंत्रण लगाने और सरकारी राजस्व बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

हालांकि, इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा और गुटखा, सिगरेट व पान मसाला की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी होगी।

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