MP Cabinet Expansion: भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 8 जुलाई सोमवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और सुबह नौ बजे राजभवन में रामनिवास रावत ने मंत्री पद की शपथ ली।
रावत को सुबह करीब 9.05 बजे बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ लेनी थी, लेकिन उन्होंने राज्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
इस गलती के पता चलने के बाद उनको करीब 9.20 बजे कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलवाई गई। समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत कई मंत्री भी मौजूद रहे।
मोहन मंत्रिमंडल में अब कुल मंत्रियों की संख्या 31 हो गई है। मंत्रिमंडल में अधिकतम 34 मंत्री हो सकते हैं। ऐसे में 3 पद अभी खाली हैं।
लोकसभा चुनाव के पहले 30 अप्रैल को कांग्रेस छोड़कर रामनिवास रावत भाजपा में आए थे जो कांग्रेस के टिकट पर श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से छठवीं बार विधायक चुने गए थे।
आज राजभवन में माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी की गरिमामयी उपस्थिति में मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार हेतु आयोजित शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने विधायक श्री रामनिवास रावत को मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता… pic.twitter.com/9ieC9HVLjc
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) July 8, 2024
रामनिवास रावत मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे हैं और उनके भाजपा में आने से ग्वालियर-चंबल में पार्टी को मजबूती मिली।
यही वजह है कि प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक रामनिवास रावत के नाम पर पहले ही स्वीकृति दे चुका था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार शाम राजभवन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल से सौजन्य भेंट कर मंत्रिमंडल विस्तार (MP Cabinet Expansion) की जानकारी दी थी।
विधायक पद से देंगे इस्तीफा –
मंत्री पद की शपथ लेने के पहले राम निवास रावत सोमवार को विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र देंगे जिसके बाद उनकी विधानसभा सीट विजयपुर पर दोबारा चुनाव होगा।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दो दिन पहले उनकी और निर्मंला सप्रे की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी।
इसके अलावा दो और विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की अटकलें थीं जिनमें कांग्रेस से भाजपा में आए और अमरवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक पद छोड़कर उपचुनाव लड़ रहे कमलेश शाह और बीना से विधायक निर्मला सप्रे शामिल हैं।
कांग्रेस से भाजपा में गए तीन विधायकों में कमलेश शाह के बाद सदन की सदस्यता से त्याग पत्र देने वाले वह दूसरे नेता हैं। रावत और सप्रे यह तर्क देते रहे हैं कि उन्होंने भाजपा की सदस्यता ही नहीं ली है, इसलिए इस्तीफा नहीं देंगे।