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CM मोहन यादव ने रद्द किया बिजली विभाग का आदेश, बोले- किसानों को मिलेगी पूरी बिजली, CGM को हटाया

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Nisha Rai
Nisha Rai
निशा राय, पिछले 13 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने दैनिक भास्कर डिजिटल (M.P.), लाइव हिंदुस्तान डिजिटल (दिल्ली), गृहशोभा-सरिता-मनोहर कहानियां डिजिटल (दिल्ली), बंसल न्यूज (M.P.) जैसे संस्थानों में काम किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) से पढ़ाई कर चुकीं निशा की एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल बीट पर अच्छी पकड़ है। इन्होंने सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर भी काफी काम किया है। इनके पास ब्रांड प्रमोशन और टीम मैनेजमेंट का काफी अच्छा अनुभव है।

CM Mohan Farmers Electricity supply: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 5 नवंबर को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के चीफ जनरल मैनेजर (सीजीएम) एके जैन को उनके पद से हटाने के निर्देश दिए हैं।

इसकी वजह सीजीएम द्वारा जारी किया गया वह विवादास्पद आदेश है, जिसमें किसानों को एक दिन में 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति करने पर बिजली विभाग के कर्मचारियों की सैलरी काटने का प्रावधान था।

सीएम ने स्पष्ट कहा कि उल्टे-सीधे आदेश जारी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई जारी रहेगी।

सीएम मोहन यादव ने क्या कहा?

विधानसभा के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा,

“हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। ये स्पष्ट है कि किसानों को 10 घंटे तक बिजली देना है तो 10 घंटे हमारे किसान भाइयों को बिजली मिलेगी। ये जो अधिकारी उल्टे-सीधे आदेश निकाल देते हैं, उन पर कार्रवाई होगी।”

सीएम के इस बयान ने साफ कर दिया कि सरकार किसान हितों के खिलाफ जारी किए गए किसी भी आदेश को बर्दाश्त नहीं करेगी।

क्या था विवादास्पद आदेश?

दरअसल, 3 नवंबर को मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के चीफ जनरल मैनेजर एके जैन ने एक आदेश जारी किया था।

इस आदेश में कहा गया था कि अगर किसी कृषि फीडर पर किसानों को 10 घंटे से ज्यादा बिजली दी गई, तो इसके लिए जिम्मेदार ऑपरेटर से लेकर जीएम तक का एक दिन का वेतन काट लिया जाएगा।

इस आदेश की कॉपी भोपाल, ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़, विदिशा, गुना, भिंड, मुरैना, शिवपुरी समेत कई जिलों के महाप्रबंधकों को भेजी गई थी।

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आदेश के मुताबिक:

  • एक दिन 10 घंटे से ज्यादा बिजली देने पर ऑपरेटर की सैलरी कटेगी।
  • लगातार दो दिन ऐसा होने पर जूनियर इंजीनियर का वेतन काटा जाएगा।
  • लगातार पांच दिन तक ऐसा होने पर एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की सैलरी कटेगी।
  • लगातार सात दिन तक 10 घंटे से अधिक आपूर्ति होने पर उपमहाप्रबंधक (DGM) या महाप्रबंधक (GM) का वेतन काटा जाएगा।

आदेश में यहां तक कहा गया था कि अगर मिट्टी में नमी ज्यादा हो, मौसम खराब हो या कोई तकनीकी कारण हो, तब भी बिजली आपूर्ति 10 घंटे से अधिक नहीं की जानी चाहिए।

विपक्ष ने उठाया मुद्दा, कहा- ‘सरकार किसान को रुला रही’

इस आदेश के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राहुल शर्मा ने इस आदेश को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, “भाजपा के नेता भाषण में कहते हैं- पर्याप्त बिजली देंगे और आदेश दे रहे हैं कि 10 घंटे से ज्यादा बिजली यदि किसी कर्मचारी ने दी तो तनख्वाह काट लेंगे। दोहरा चरित्र और दोगलेपन की सारी सीमाएं लांघती हुई भाजपा की ये सरकार। लगता है कि मोहन यादव जी ने कसम खा ली है कि किसानों को हर तरह से परेशान करना है?”

सरकार का रुख साफ, किसान हित सर्वोपरि

हालांकि, मुख्यमंत्री मोहन यादव के ताजा बयान और सीजीएम को हटाने के निर्देश ने सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया है।

सरकार ने दिखाया है कि वह किसानों की परेशानी को गंभीरता से ले रही है।

इससे पहले, 1 नवंबर को सीएम यादव ने बकाया बिलों पर छूट की एक योजना भी शुरू की थी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।

सीएम की कार्रवाई से यह संदेश गया है कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के खिलाफ जाने वाले किसी भी फैसले को बर्दाश्त नहीं करेगी।

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