Sidhi Teacher EOW Raid: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में शुक्रवार तड़के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने एक बड़ी कार्रवाई की।
EOW की टीम ने कुसमी विकासखंड के शासकीय हाई स्कूल खोखरा में पदस्थ प्राचार्य अभिमन्यु सिंह के तीन ठिकानों पर एक साथ छापा मारा।
छापे में करीब 4.36 करोड़ रुपए की संदिग्ध संपत्ति बरामद हुई है, जो उनकी वैध आय से कई गुना अधिक है।
शिक्षक के पास 10 फोर-व्हीलर और 4 टू-व्हीलर वाहनों सहित आलीशान मकान और जमीन के दस्तावेज मिले हैं।

3 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, 50 अधिकारियों की टीम तैनात
सुबह करीब 5 बजे EOW रीवा की 50 सदस्यीय टीम ने एक साथ तीन अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दी।
इनमें सीधी के पटेल पुल क्षेत्र में एक आलीशान दो मंजिला हवेली, मड़वास गांव में पुश्तैनी घर और कुसमी क्षेत्र में एक अन्य संपत्ति शामिल थी।
ईओडब्ल्यू ने आरोपी के बैंक लॉकर की भी जांच शुरू कर दी है।
कार्यवाहक निरीक्षक हरीश त्रिपाठी ने बताया कि यह कार्रवाई दो महीने पहले रीवा कार्यालय में दर्ज एक शिकायत के आधार पर की गई है।
प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद यह छापा अंजाम दिया गया।
पूरी कार्रवाई के दौरान स्थानीय पुलिस भी सुरक्षा और सहयोग में तैनात रही।

वैध आय और बरामद संपत्ति में जबरदस्त अंतर, 57 लाख बनाम 4.36 करोड़
ईओडब्ल्यू की गणना के अनुसार, अभिमन्यु सिंह ने वर्ष 1998 से फरवरी 2025 तक की अपनी सेवा अवधि में वैध वेतन और अनुमन्य आय से केवल लगभग 57.28 लाख रुपए की संपत्ति जुटा पाना संभव था।
लेकिन छापे में मिली संपत्ति का कुल अनुमानित मूल्य करीब 4.36 करोड़ रुपए आंका गया है।
यह उनकी वैध आय से लगभग आठ गुना से भी अधिक है।
इस भारी अंतर के आधार पर ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। मामला अब भोपाल की विशेष अदालत में चलेगा।

फर्जीवाड़े का क्या था तरीका? सरकारी योजनाओं और स्कूल फंड का दुरुपयोग
प्राथमिकी और शिकायत में लगाए गए गंभीर आरोपों के अनुसार, अभिमन्यु सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी धन के गबन का एक जाल बुना था।
आरोप है कि उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं, स्कूल निर्माण कार्यों, स्टेशनरी, फर्नीचर, खेल सामग्री, छात्रवृत्ति और छात्रावास के खर्चों में फर्जी बिल बनाए।
इन बिलों में दोहरी एंट्री (एक ही खर्च के लिए दो बार भुगतान) और जरूरत से अधिक राशि स्वीकृत कराने के मामले सामने आए हैं।
ऐसा आरोप है कि इन्हीं अनियमित तरीकों से लाखों रुपए स्कूल और योजना के फंड से निकाले गए और उन्हें निजी संपत्ति जोड़ने में लगाया गया।
छापे के दौरान बरामद हुए जमीन के दस्तावेज, बैंक विवरण और लेन-देन के रिकॉर्ड से इस तरह के गबन के सबूत मिलने की उम्मीद है।
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छापे में क्या-क्या मिला? वाहनों से लेकर जेवरात तक
ईओडब्ल्यू की टीम को तीनों ठिकानों की तलाशी के दौरान कई हैरान करने वाली चीजें हाथ लगी हैं:
- वाहन: कुल 14 वाहन मिले, जिनमें 10 फोर-व्हीलर (एसयूवी/कार) और 4 टू-व्हीलर (मोटरसाइकिल/स्कूटर) शामिल हैं।
- अचल संपत्ति: सीधी में आलीशान दो मंजिला मकान, गांव में पुश्तैनी घर और कुसमी में अन्य जमीन व भवन।
- दस्तावेज: जमीन की रजिस्ट्री, खरीद-बिक्री के कागजात, बैंक स्टेटमेंट, निवेश प्रमाणपत्र और अन्य संपत्ति संबंधी दस्तावेजों की एक बड़ी संख्या जब्त की गई है।
- मूल्यवान सामान: सोने-चांदी के जेवरात और नकदी के बारे में भी पता चला है। हालांकि पूरी तलाशी और लॉकर जांच के बाद ही इसका सटीक ब्यौरा सामने आ पाएगा।

अधिकारी फिलहाल हर बरामद दस्तावेज की उनकी घोषित आय और संपत्ति से तुलना कर रहे हैं।
भोपाल में दर्ज हुआ केस, कानूनी प्रक्रिया शुरू
इस मामले में आधिकारिक तौर पर भोपाल स्थित आर्थिक अपराध शाखा में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
केस में आय-संपत्ति के अंतर के साथ-साथ गबन और धोखाधड़ी के आरोप भी शामिल हैं।
अगले चरण में ईओडब्ल्यू जब्त दस्तावेजों की विस्तृत फॉरेंसिक जांच करेगी। आरोपी से पूछताछ की जाएगी।
साक्ष्यों के आधार पर अदालत से गिरफ्तारी, संपत्ति की कुर्की या जमानत पर निर्णय लिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया न्यायिक निगरानी में चलेगी।
सिस्टम पर उठ रहे सवाल, स्थानीय स्तर पर मची हलचल
एक सरकारी शिक्षक के पास इस कदर की संपत्ति का मामला सामने आने से पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।
लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि इतने वर्षों तक यह सब निगरानी तंत्र की नजरों से कैसे छुपा रहा?
स्कूलों के ऑडिट और विभागीय जांच व्यवस्था की प्रभावशीलता पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।
सीधी में शिक्षक के घर EOW का छापा, छापे में मिले सोने-चांदी के जेवरात, कई लग्जरी कारों का भी पता चला
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— News18 MadhyaPradesh (@News18MP) December 5, 2025
यह मामला एक बार फिर उस भ्रष्टाचार की जड़ की ओर इशारा करता है, जो सरकारी धन का दुरुपयोग कर सार्वजनिक संसाधनों को निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है।
ईओडब्ल्यू की यह कार्रवाई संदेश देती है कि ऐसे मामलों में अब छूट नहीं मिलेगी, चाहे अपराधी किसी भी पद पर क्यों न हो।


