Vrindavan Gram Yojana: मध्य प्रदेश सरकार ने ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करने और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वृंदावन ग्राम योजना लागू करने की घोषणा की है।
इस योजना के तहत राज्य के सभी 313 विकासखंडों में एक-एक वृंदावन ग्राम स्थापित किया जाएगा।
इन गांवों का चयन उन स्थानों पर किया जाएगा, जहां कम से कम 2 हजार की आबादी और 500 गोवंश मौजूद हो।
वृंदावन ग्राम योजना से ग्रामीण विकास को नई गति मिलेगी।
वहीं मध्य प्रदेश को दुग्ध उत्पादन और जैविक खेती में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया जा सकेगा।
पशुपालन और जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजना
मध्य प्रदेश के 313 विकासखंडों में ग्रामीणों को पशुपालन और जैविक खेती से जोड़ने के लिए वृंदावन ग्राम योजना लागू होगी।
इसके लिए राज्य सरकार उन ग्रामों का चयन करेगी, जहां न्यूनतम जनसंख्या दो हजार और कम से कम पांच सौ गोवंश होंगे।
ग्राम का चयन प्रभारी मंत्री के परामर्श से कलेक्टर करेंगे।
योजना के पर्यवेक्षण के लिए जिला अधिकारियों की समिति भी बनाई जाएगी।
इस योजना के तहत गोवंश संरक्षण, जैविक खाद का उत्पादन, दुग्ध उत्पादन, मार्केटिंग और ब्रांडिंग जैसी गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा।
किसानों को चारा उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि पशुओं की देखभाल के लिए संसाधन आसानी से उपलब्ध हो सकें।
राज्य सरकार की इस योजना का लक्ष्य न केवल ग्रामीणों की आय बढ़ाना है, बल्कि खेती-किसानी और पशुपालन को आत्मनिर्भर बनाना भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की मंशा के अनुरूप यह योजना राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी।
सीएसआर फंड और राज्य बजट से वित्तीय सहयोग
वृंदावन ग्राम योजना की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य बजट और विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड का उपयोग किया जाएगा।
औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन विभाग कंपनियों के साथ समन्वय करेगा।
साथ ही जिला अधिकारियों की समितियां योजना के क्रियान्वयन और निगरानी का काम करेंगी।
योजना का एक उद्देश्य ग्रामीणों को पशुपालन और जैविक खेती से जोड़ना भी है।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक खाद का उपयोग और किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
पशुओं के लिए चारे-पानी के साथ परिवहन की अच्छी व्यवस्था भी की जाएगी।
देश में दूध का तीसरा बड़ा उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है।
इसीलिए वृंदावन ग्राम में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नस्ल सुधार के प्रयास किए जाएंगे।
उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए स्व-सहायता समूह बनाए जाएंगे, जिनके माध्यम से स्थानीय और राष्ट्रीय मेलों में उत्पादों की प्रदर्शनी की जाएगी।
इस योजना के क्रियान्वयन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को ग्राम चिन्हित करने और पर्यवेक्षक के लिए समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं।