IAS Santosh Verma controversy: मध्य प्रदेश सरकार ने विवादित आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की, लेकिन विपक्ष और समाज के कुछ वर्गों को यह पर्याप्त नहीं लग रही है।
उनकी मांग है कि अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो और उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
सरकार की कर्रवाई
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर संतोष वर्मा को कृषि विभाग के उप सचिव के पद से हटाकर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के पूल में कर दिया गया है।
इसका मतलब है कि अब उनके पास न तो कोई विभाग होगा और न ही कोई काम।
साथ ही, सरकार ने उनकी आईएएस सेवा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का आदेश दिया है।
Bhopal | Officials say, “The MP government has removed MP cadre IAS officer Santosh Verma from the post of Deputy Secretary, Agriculture Department, after it was found that he became an IAS officer through fraudulent means.”
“A departmental inquiry is in its final stages against…
— ANI (@ANI) December 12, 2025
सपाक्स ने की FIR और गिरफ्तारी की मांग
सपाक्स पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि हम संतोष वर्मा पर हुई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है।
संतोष पर FIR हो और उनकी गिरफ्तारी की जाए। निलंबन कर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए।
उन्होंने कहा कि शुरू से हमारी यही मांग रही है। संतोष वर्मा फर्जीवाड़ा कर आईएएस बना है।
विपक्ष की नाराजगी
इस कार्रवाई का तत्काल कारण ब्राह्मण समाज की बेटियों के खिलाफ उनकी अमर्यादित टिप्पणी और एक कारण बताओ नोटिस को उनका असंतोषजनक जवाब माना गया है।
हालांकि, विपक्षी दल और प्रभावित समुदाय इस कदम को ऊपरी-नीचे कार्रवाई बता रहे हैं।
कांग्रेस ने भी कहा है कि सचिव पद से हटाना कोई बड़ी कार्रवाई नहीं है और सरकार केवल दिखावा कर रही है।

पुराने आरोप और नए विवादित बयान
संतोष वर्मा के खिलाफ यह पहला मामला नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) की रिपोर्ट के अनुसार, उन पर जाली और फर्जी दस्तावेज बनाकर आईएएस पद पर पदोन्नति पाने के गंभीर आरोप हैं।
उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले अदालतों में लंबित हैं।
सरकार का मानना है कि ऐसे आरोपों वाले अधिकारी को सेवा में बनाए रखना अनुशासनहीनता है।
इन पुराने आरोपों पर हाल में दो नए विवादित बयान सामने आए, जिसने आग में घी का काम किया:
- ब्राह्मण बेटियों पर टिप्पणी: एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि “आरक्षण तब तक चलेगा, जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान में नहीं दे देता।” इस बयान से पूरे ब्राह्मण समुदाय में तीव्र आक्रोश फैल गया और कई शहरों में प्रदर्शन व पुतले दहन हुए।
- हाईकोर्ट पर आरोप: एक वायरल वीडियो में उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट पर एससी-एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज बनने से जानबूझकर रोकने का आरोप लगाया। इस पर राज्य बार काउंसिल ने भी असहमति जताई है।
IAS Santosh Verma spoke a simple truth: reservation must continue until society truly accepts inter-caste relations. There’s nothing wrong in his statement. The only reason he’s being attacked by Brahminist forces is because he comes from the Dalit community—truth hurts them. pic.twitter.com/tcYUttVIED
— The Dalit Voice (@ambedkariteIND) December 1, 2025
इन बयानों के विरोध में ब्राह्मण समाज ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री भवन का घेराव करने की योजना भी बनाई थी, जिसके बाद सरकार ने यह कार्रवाई की।
क्या आगे की राह कठिन है?
सरकार ने संतोष वर्मा को बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने और उन्हें चार्जशीट देने का फैसला किया है। हालांकि, कई सवाल अभी भी बने हुए हैं:
- विरोध का दबाव: सपाक्स और कांग्रेस जैसे दल एफआईआर और गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हैं। वे कह रहे हैं कि जब तक यह नहीं होता, तब तक कार्रवाई अधूरी है।
- सरकार की राजनीतिक चुनौती: विपक्ष का आरोप है कि सरकार विवादित मंत्रियों जैसे प्रतिमा बागरी और विजय शाह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही, जबकि एक अधिकारी के मामले में त्वरित कदम उठा रही है। उनका आरोप है कि सरकार चुनिंदा कार्रवाई कर रही है।
- कानूनी प्रक्रिया: अधिकारी के खिलाफ लंबित मामलों और नए आरोपों में कानूनी प्रक्रिया क्या रास्ता अपनाती है, यह देखना अहम होगा। उनके विरुद्ध विभागीय जांच भी अंतिम चरण में है।
Madhya Pradesh govt acts against Santosh Verma for “fraudulent” entry to IAS
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— ANI Digital (@ani_digital) December 12, 2025
मध्य प्रदेश सरकार ने संतोष वर्मा के मामले में कदम तो उठाया है, लेकिन यह विवाद थमता नहीं दिख रहा।
विपक्ष और आक्रोशित समुदायों की मांगें अभी शांत नहीं हुई हैं। अब नजर केंद्र सरकार के रुख, होने वाली कानूनी कार्रवाई और सरकार की आगे की रणनीति पर टिकी है।


