बोझ बन रही ‘लाड़ली बहना’
बिजली सब्सिडी का लग रहा ‘करंट’
‘किसान पंप’ और सिलेंडर भी पड़ रहे भारी
ये वोट नहीं आंसा बस इतना समझ लीजिए…
जी हां, पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए सियासी पार्टियां बड़े-बड़े वादे कर रही हैं।
इसका असर भी चुनाव में दिखता है और जनता वादों पर भरोसा कर बंपर वोट भी देती है।
लेकिन, इसका असर सूबे की माली हालत (mp govt debt) पर पड़ रहा है। फ्री बीज के कारण मध्य प्रदेश पर खर्चे भारी पड़ रहे हैं।
यही वजह है कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश सरकार को इतिहास में अब तक का सबसे भारी भरकम 88,540 करोड़ रुपये का कर्ज (mp govt debt) लेना होगा।
इसमें से 73,540 करोड़ रुपय बाजार और 15 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से लेने की योजना है।
इसके बाद ही लाड़ली बहना जैसी फ्लैगशिप योजनाएं चल पाएंगी।
अब देखते हैं चुनावी योजनाओं पर खर्च का गणित –
लाड़ली बहना योजना में हर साल 18 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे।
इसके अलावा 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली देने में 5,500 करोड़ रुपये
कृषि पंपों पर सब्सिडी पर 17 हजार करोड़ रुपये
और 450 रुपये में सिलेंडर देने की योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये चाहिए
फ्रीबिज मुफ्त योजनाओं का खर्चा हर साल 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है
इसमें लाड़ली बहना का 12वीं किस्त के भुगतान में 16 हजार करोड़ रुपये पार कर गया है
खास बात है कि वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार को 55,708 करोड़ रुपये कर्ज (mp govt debt) लेना पड़ा था।
यानी सरकार इस बार 38% ज्यादा कर्ज लेगी। इस साल बजट अनुमान 3.50 लाख करोड़ रुपये है।
फ्लैगशिप योजनाओं को चलाने के लिए सरकार ने यदि 88 हजार करोड़ का कर्ज (mp govt debt) लिया तो कुल कर्ज पहली बार 4 लाख करोड़ रुपये के पार हो जाएगा।
वहीं सरकार की कुल आय 2.52 लाख करोड़ रुपये और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर पर खर्च 2.51 लाख करोड़ रुपये है।
यानी सिर्फ 443 करोड़ रुपये सरप्लस का बजट है। ऐसे में बजट अनुमान 3.40 लाख करोड़ रुपये की खाई 88,540 करोड़ रुपये का कर्ज (mp govt debt) लेकर कम करना होगी।
एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसे में आगे सिर्फ जो जरूरी प्रोजेक्ट्स को ही प्राथमिकताओं देनी चाहिए। कर्ज पर निर्भरता ठीक नहीं है। सरकार के जो उपक्रम हैं, उनसे आय बढ़ानी होगी।