Ladli Behna Yojana मध्य प्रदेश की राजनीति में महिला वोटर्स की ताकत को पहचानते हुए राज्य सरकार अब ‘लाड़ली बहना योजना’ को और बड़ा बनाने की तैयारी में है।
खबरों के मुताबिक, भाजपा आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस योजना के तहत दी जाने वाली मासिक राशि को वर्तमान 1500 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये कर सकती है।
यह बढ़ोतरी चरणबद्ध तरीके से की जाएगी, पहले 2027 के निकाय चुनावों तक राशि में कुछ इजाफा किया जाएगा और फिर विधानसभा चुनाव से पहले इसे 3000 रुपये प्रति महीना कर दिया जाएगा।
बुजुर्ग महिलाओं के लिए भी स्कीम
इसके अलावा, राज्य सरकार 60 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए एक नई पेंशन जैसी योजना शुरू करने पर विचार कर रही है।
इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि पर अभी मंथन चल रहा है।
साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को और सशक्त बनाने की योजना भी है।

क्यों हैं महिला योजनाएं चुनावी रणनीति का केंद्र?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पारंपरिक ‘किसान वोटर’ की तुलना में अब महिला वोटर्स सत्ता की चाबी बनकर उभरी हैं।
बिहार चुनाव में एनडीए द्वारा महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 10,000 रुपये देने का वादा एक ‘गेमचेंजर’ साबित हुआ।
यही वजह है कि अब भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल सीधे नकद हस्तांतरण (DBT) वाली महिला-केंद्रित योजनाओं पर जोर दे रहे हैं।
माना जाता है कि महिलाएं राजनीतिक रूप से अधिक वफादार मतदाता साबित होती हैं और बैंक खाते में सीधे पहुंचने वाली नकदी एक मजबूत भावनात्मक रिश्ता बनाती है।

बजट आवंटन में साफ दिखती है प्राथमिकता
किसी सरकार की वास्तविक प्राथमिकताएं उसके बजट आवंटन से स्पष्ट होती हैं।
मध्य प्रदेश सरकार के हालिया सप्लीमेंट्री बजट (13,476 करोड़ रुपये) का 28% हिस्सा सिर्फ दो योजनाओं पर केंद्रित था: ‘लाड़ली बहना योजना’ (1,794 करोड़ रु.) और किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर खरीदी (2,001 करोड़ रु.)।
वहीं, कुल बजट में महिला एवं बाल विकास के लिए 1.23 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है।
इसमें से सीधे योजनाओं पर खर्च होने वाली 49,573 करोड़ रुपये की राशि का सबसे बड़ा हिस्सा अकेले ‘लाड़ली बहना योजना’ को मिलता है, जिस पर 22,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च हो रहे हैं।
यह राशि प्रदेश की 1.26 करोड़ महिलाओं के खाते में हर महीने सीधे जाती है।

दूसरी ओर, कृषि बजट (1.27 लाख करोड़ रु.) का एक बड़ा हिस्सा बिजली सब्सिडी जैसी अप्रत्यक्ष सहायता में चला जाता है।
किसानों को सीधे नकद लाभ पहुंचाने वाली ‘मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना’ का आवंटन 5,220 करोड़ रुपये है।
इस तुलना से स्पष्ट है कि व्यक्तिगत स्तर पर सीधे नकद हस्तांतरण के मामले में महिलाओं पर निवेश कहीं अधिक बड़ा और लक्षित है।
लाड़ली बहना योजना: एक नजर में
- शुरुआत: 1 मार्च 2023
- वर्तमान राशि: 1500 रुपये प्रति महीना
- लाभार्थी: 1 करोड़ 26 लाख महिलाएं
- मासिक खर्च: 1890 करोड़ रुपये
- सालाना खर्च: 22,680 करोड़ रुपये (लगभग)

संक्षेप में, महिला सशक्तीकरण की योजनाएं अब सामाजिक कल्याण से आगे बढ़कर राजनीतिक रणनीति का एक मजबूत हिस्सा बन गई हैं।
आने वाले समय में महिला वोटरों को लुभाने के लिए और अधिक आकर्षक योजनाओं के ऐलान हो सकते हैं, जिससे राजनीतिक समीकरण नई दिशा ले सकते हैं।


