Arif Masood Petition Rejected: जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की चुनाव याचिका निरस्त कर दी है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव-2023 में भाजपा के टिकट पर पराजित प्रत्याशी ध्रुव नारायण ने नामांकन के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने को लेकर याचिका दायर की थी।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि आरिफ मसूद ने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी भरे गए नामांकन-पत्र में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई थी।
Arif Masood Petition Rejected: 24 अगस्त को अगली सुनवाई –
हाई कोर्ट ने कहा कि ध्रुव नारायण की चुनाव याचिका विचाराधीन रहेगी।
चुनाव याचिका की अगली सुनवाई 24 अगस्त को होनी है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की वह याचिका हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने निरस्त कर दी, जिसके जरिये उन्होंने अपने खिलाफ दायर चुनाव याचिका को चुनौती दी थी।
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Arif Masood Petition Rejected: नहीं दी थी लोन की जानकारी –
मसूद ने चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में खुद के नाम से लिए गए 34 लाख 10 हजार और पत्नी रूबीना मसूद के नाम पर लिए गए 31 लाख 28 हजार को मिलाकर करीब 65 लाख 38 हजार रुपये के लोन की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी।
चुनाव याचिकाकर्ता ध्रुव नारायण सिंह ने विधायक मसूद की विधायकी समाप्त कर नए सिरे से विधानसभा चुनाव कराये जाने की मांग की है।
ध्रुव नारायण सिंह की इसी चुनाव याचिका को निरस्त किए जाने की मांग के साथ विधायक मसूद ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
Arif Masood Petition Rejected: पहले ही की जा चुकी है जांच –
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद का तर्क था कि चुनाव याचिका नियमों के खिलाफ दायर की गई थी।
चुनाव याचिकाकर्ता के वकील गौरव तिवारी ने दलील दी कि चुनाव याचिका हाई कोर्ट रजिस्ट्रार से स्वीकृत होकर बेंच तक पहुंची है।
चुनावी याचिका की ड्राफ्टिंग सहित तमाम सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट की पहले ही जांच की जा चुकी है।
Arif Masood Petition Rejected: कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा का उल्लंघन नहीं –
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के हवाले से हाई कोर्ट ने यह माना कि इस याचिका में कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा का किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं हुआ है इसलिए याचिका को निरस्त नहीं किया जा सकता।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलील और कोर्ट में पेश किए गए सबूतों को देखने के बाद कांग्रेस विधायक की उस याचिका को निरस्त कर दिया, जिसमें उन्होंने चुनावी याचिका को आधारहीन बताया था और चुनाव याचिका निरस्त करने की मांग की थी।
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