MP Monsoon News: भोपाल। मध्य प्रदेश में मानसून अच्छा खासा मेहरबान है और प्रदेश (Madhya Prdesh) के अनेक इलाके झमाझम बारिश से तरबतर हो चुके हैं।
राज्य शासन की तरफ से सभी जिलों के कलेक्टर को अलर्ट मोड पर रहने के लिए कहा गया है क्योंकि कई स्थानों पर बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित हो सकती है।
गृह विभाग के साथ-साथ NDRF, SDRF अलर्ट मोड पर हैं। सभी जिला कंट्रोल रूम को 24 घंटे संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं।
मानसून द्रोणिका (Monsoon Dronika) मध्य प्रदेश से होकर गुजर रही है और इसके अलावा प्रदेश के आसपास अलग-अलग इलाकों में 4 अन्य मौसम प्रणालियां (Weather System) भी सक्रिय हैं।
इन वेदर सिस्टम के असर से अरब सागर (Arabian Sea) एवं बंगाल की खाड़ी (Bay Of Bengal) से लगातार नमी आ रही है, जिससे प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश (MP Monsoon News) हो रही है।
मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार को प्रदेश के कई जिलों में झमाझम बारिश हुई।
ग्वालियर, जबलपुर, शहडोल संभाग के कई जिलों में गुरुवार को भी कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है।
इंदौर, उज्जैन, भोपाल संभाग के कई जिलों में भी कहीं-कहीं मध्यम बारिश होने की संभावना जताई गई है।
मौसम विज्ञानियों की मानें तो इस माह के अंत तक प्रदेश में मानसून की सक्रियता इसी तरह बरकरार रहेगी।
औसत बारिश (MP Monsoon News) का कोटा पूरा –
1 जून से बुधवार सुबह साढ़े 8 बजे तक मध्य प्रदेश में कुल 370.6 मिमी (14.8 इंच) बारिश हुई है, जो सामान्य वर्षा (370.9 मिमी.) के लगभग ही है।
मौसम विभाग ने बड़वानी, आलीराजपुर, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, श्योपुरकलां, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छतरपुर व निवाड़ी जैसे जिलों में भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया हे।
एकसाथ कई वेदर सिस्टम सक्रिय –
मौसम विज्ञान केंद्र (IMD) से मिली जानकारी के मुताबिक, मानसून द्रोणिका (Monsoon Dronika) समुद्र तल से बीकानेर (Bikaner), सीकर (Sikar), ग्वालियर (Gwalior), खजुराहो (Khajuraho), डाल्टनगंज (Daltenganj), कैनिंग (Kainning) से होकर पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी की ओर जा रही है।
झारखंड (Jharkhand) और आसपास के इलाकों में समुद्र तल से 7.6 किलोमीटर ऊपर तक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
इसके अलावा उत्तर पूर्वी असम के ऊपर समुद्र तल से 1.5 किलोमीट ऊपर तक चक्रवाती परिसंचरण बरकरार है।
वहीं दक्षिण गुजरात-उत्तरी केरल तटों के साथ औसत समुद्र तल पर अपतटीय द्रोणिका बनी हुई है।
उत्तर गुजरात और आसपास के इलाकों में औसत समुद्र तल से 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।