School Monsoon Safety: मध्य प्रदेश में 45 दिन की गर्मी की छुट्टियों के बाद 16 जून से स्कूल खुल चुके हैं। हालांकि, कई स्कूलों की हालत अभी भी चिंताजनक है।
कहीं छतें टपक रही हैं, तो कहीं दीवारों में गहरी दरारें हैं, जो मानसून के दौरान बड़े खतरे का कारण बन सकती हैं।
इसी को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से जर्जर भवनों की सूची मांगी है।
लोक शिक्षण संचालनालय के संयुक्त संचालक नीरव दीक्षित ने रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिलों के DEO और परियोजना समन्वयकों को पत्र लिखकर तुरंत स्कूलों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।
नियम पालन न करने पर होगी कड़ी कार्यवाही
इतना ही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्यभर के जर्जर स्कूल भवनों में कक्षाएं संचालित करने पर सख्त चेतावनी जारी की है।

विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी स्कूल में दीवारों में दरारें, टूटी छतें या असुरक्षित शौचालय होने के बावजूद कक्षाएं चलाई जाती हैं और कोई हादसा होता है, तो संबंधित शिक्षक से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) तक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
“बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं” – संभागायुक्त
संभागायुक्त ने भी इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि “बच्चों की सुरक्षा में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने निर्देश दिए कि यदि किसी स्कूल का भवन असुरक्षित है, तो वहां कक्षाएं तुरंत बंद कर दी जाएं और वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
पिछले साल हुई थी 4 बच्चों की मौत
यह कदम पिछले साल हुए एक दुर्दांत हादसे के बाद उठाया गया है, जब एक निजी स्कूल के पास बने जर्जर ढांचे के गिरने से 4 बच्चों की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद प्रशासन ने सभी स्कूल भवनों की सुरक्षा जांच करने का निर्णय लिया है।

94 हजार सरकारी स्कूलों में सुरक्षा जांच
मध्य प्रदेश में कुल 94,000 सरकारी स्कूल हैं, जहां 1.25 करोड़ से अधिक बच्चे पढ़ते हैं।
मानसून के दौरान इन भवनों की हालत और खराब हो सकती है, इसलिए विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे तुरंत स्कूलों का सर्वे कराएं और असुरक्षित भवनों में कक्षाएं बंद करें।
DEO और शिक्षकों पर रहेगी नजर
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अधिकारी या शिक्षक नियमों की अनदेखी करता है और जर्जर भवन में कक्षाएं चलाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

मध्य प्रदेश सरकार ने मानसून के मौसम में स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग इन निर्देशों को कितनी गंभीरता से लागू करते हैं और क्या सभी असुरक्षित स्कूल भवनों को चिन्हित करके वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है।