Sheopur Mid-Day Meal Scandal: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में एक स्कूल में बच्चों को रद्दी कागज पर खाना परोसे जाने का मामला सामने आया है।
यह घटना विजयपुर क्षेत्र की हुल्लपुर माध्यमिक शाला की है, जहां बच्चों को थाली की जगह फेंके हुए कागजों पर भोजन दिया जा रहा था।
इसकी जानकारी 4 नवंबर को मिलने के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं।
लापरवाही का आरोप, दोषियों पर गिरी कार्रवाई की गाज
इस पूरे प्रकरण में सबसे पहले स्कूल के प्रभारी भोगीराम धाकड़ को उनकी लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया है।
साथ ही, मिड-डे मील की आपूर्ति करने वाले स्व-सहायता समूह का टेंडर रद्द कर दिया गया है।
School children of a government school in Sheopur, BJP-ruled Madhya Pradesh, were served mid-day meals on trash papers and made to sit in dirt.
This is cruel and inhumane. Strict action must be taken against the responsible minister, and accountability must be fixed.
People… pic.twitter.com/I9l5zjCoye
— Dr. Shama Mohamed (@drshamamohd) November 7, 2025
प्रशासन ने इस मामले में और जांच के लिए ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर (बीआरसी) और क्लस्टर रिसोर्स कोऑर्डिनेटर (सीआरसी) को भी नोटिस जारी किए हैं।
यह कार्रवाई जिला कलेक्टर अर्पित वर्मा के निर्देश पर की गई है।
बर्तन न धोना पड़े इसलिए कागज का इस्तेमाल
जांच में पता चला कि यह हरकत करीब एक सप्ताह से की जा रही थी।
भोजन बनाने वाले समूह ने प्रशासन के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी टीम में पांच महिलाएं हैं, जिनमें से दो कई दिनों से अनुपस्थित थीं।
बची हुई तीन महिलाओं ने बर्तन धोने के झंझट से बचने के लिए बच्चों को रद्दी कागज पर खाना परोसना शुरू कर दिया।
हैरानी की बात यह है कि इतने दिनों तक अभिभावकों ने भी इस गलत व्यवस्था के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई।

कलेक्टर ने कहा- “यह व्यवहार पूरी तरह से अस्वीकार्य”
इस पूरे मामले पर जिला कलेक्टर अर्पित वर्मा ने सख्त प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि “बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार पूरी तरह से अस्वीकार्य है। भविष्य में किसी भी स्तर पर इस प्रकार की अमानवीयता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने यह भी आदेश दिए हैं कि जिले के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ियों में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की नियमित जांच की जाए।
इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को स्वच्छ, पौष्टिक और सम्मानजनक तरीके से भोजन मिल सके।

इस घटना ने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में होने वाली लापरवाही और निगरानी की कमी को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
प्रशासन की तरफ से की गई कार्रवाई से यह उम्मीद जगी है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगेगा और बच्चों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।


