MP Heli Service Controversy: मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई ‘पीएम श्री’ पर्यटन हेली सेवा शुरू होते ही विवादों में घिर गई है।
जहां सरकार इसे पर्यटन को बढ़ावा देने और कनेक्टिविटी बेहतर करने की एक बड़ी पहल बता रही है।
वहीं पर्यावरणविदों और वन्यजीव विशेषज्ञों ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सीधा उल्लंघन बताते हुए इसे तुरंत रोकने की मांग की है।
यह विवाद टाइगर रिजर्व के ऊपर और आस-पास संचालित होने वाली इस सेवा को लेकर है।
क्या है विवाद की जड़? सुप्रीम कोर्ट का ‘शांति क्षेत्र’ आदेश
पर्यावरणविदों ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के 17 नवंबर, 2025 के एक महत्वपूर्ण आदेश का हवाला दिया है।
इस आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी टाइगर रिजर्व और उनके इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) को ‘शांति क्षेत्र’ (साइलेंस जोन) घोषित किया था।
Jabalpur, Madhya Pradesh: The PM SHRI Tourism Helicopter Service was launched from Bhedaghat, Jabalpur, connecting key destinations like Kanha, Bandhavgarh, Pench, Amarkantak, and Maihar, allowing tourists to conveniently visit and return to Jabalpur pic.twitter.com/Mjuj94ATK3
— IANS (@ians_india) November 20, 2025
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रमुख बिंदु:
- शांति क्षेत्र: टाइगर रिजर्व और ESZ में किसी भी प्रकार की उच्च ध्वनि वाली गतिविधियों पर पाबंदी।
- उड़ान ऊंचाई पर प्रतिबंध: ड्रोन, विमान और हेलिकॉप्टर जैसे aircraft को इन क्षेत्रों के ऊपर 1000 फीट से कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की मनाही है। वन्यजीव क्षेत्र के ऊपर किसी भी “लो-हाइट फ्लाइंग” को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है।
- पृष्ठभूमि: यह आदेश उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुई पर्यावरणीय क्षति को देखते हुए दिया गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि MP में बाघ अभयारण्यों के पास बनाए गए हेलीपैड और वहां संचालित होने वाली हेली सेवा सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का खुला उल्लंघन करती है।
MP के हेलीपैड: कानून से टकराव?
आरोप है कि मध्यप्रदेश में सतपुड़ा, कान्हा, पेंच और बांधवगढ़ जैसे प्रमुख टाइगर रिजर्व के लिए प्रस्तावित हेलीपैड, बाघों के मुख्य आवास (कोर एरिया) से मात्र 200-300 मीटर की दूरी पर बनाए गए हैं।
यह दूरी ‘शांति क्षेत्र’ की अवधारणा और 1000 फीट की न्यूनतम उड़ान ऊंचाई के नियम के सीधे विपरीत है।
वन्यजीव कार्यकर्ता और पूर्व पायलट कैप्टन ब्रजेश भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि हेलिकॉप्टर भी ‘एयरक्राफ्ट’ की श्रेणी में आते हैं, इसलिए उन पर भी यही नियम लागू होते हैं।
इतनी निकटता पर हेलिकॉप्टर का संचालन बाघों, उनके शावकों और अन्य संवेदनशील वन्यजीवों को उच्च ध्वनि और कंपन से गंभीर खतरा पहुंचाता है, जिससे उनके व्यवहार, प्रजनन और सुरक्षा पर बुरा असर पड़ सकता है।
PM Shri Heli Tourism Service Connects MP’s Best Destinations
A new era of tourism has begun in Madhya Pradesh! With the grand Start of the ‘PM Shri Heli Tourism Service,’ you can now fly directly to the state’s most beautiful spiritual, wildlife, and eco-tourism destinations.… pic.twitter.com/Ohv9w1qvc0
— Madhya Pradesh Tourism (@MPTourism) November 20, 2025
सरकार का पक्ष: हेलीपैड ESZ से बाहर हैं
इन आरोपों के जवाब में मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने अपना पक्ष रखा है।
विभाग के कंपनी सचिव अंकित कौरव का कहना है कि वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे हेलीपैड ईको-सेंसिटिव जोन से बाहर हैं।
- कान्हा के लिए मंडला का हेलीपैड इस्तेमाल हो रहा है।
- बांधवगढ़ के लिए उमरिया की हवाई पट्टी का उपयोग किया जा रहा है।
- पचमढ़ी-मढ़ई के लिए मटकुली का हेलीपैड इस्तेमाल में है।
उन्होंने दावा किया कि ये सभी हेलीपैड पहले से बने हुए हैं और नियमों के अनुरूप हैं।
साथ ही, भविष्य में बनाए जाने वाले नए हेलीपैड भी ईको-सेंसिटिव जोन से बाहर ही बनाए जाएंगे।

हेली सेवा का शेड्यूल और वह चुनौतियां जो विवाद से परे हैं
यह हेली सेवा फिलहाल इंदौर-उज्जैन-ओंकारेश्वर सेक्टर में शुरू की गई है।
इसका शेड्यूल और किराया कुछ इस प्रकार है:
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उड़ान दिवस: सोमवार, मंगलवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार (बुधवार और गुरुवार को कोई उड़ान नहीं)।
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किराया: सामान्य किराया 10,000 रुपये है, लेकिन फिलहाल 50% डिस्काउंट के बाद यात्री 5,000 रुपये दे रहे हैं।
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डिस्काउंट खत्म होने के बाद किराया 10,000 रुपये हो जाएगा।
हालांकि, इस सेवा की व्यावहारिक चुनौतियां भी हैं:
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किराया: 5,000 से 10,000 रुपये का किराया आम यात्री के लिए महंगा है। इसी रूट पर पहले चली 3,000 रुपये की सीधी फ्लाइट सेवा भी यात्रियों की कमी के कारण बंद हो गई थी।
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टाइमिंग: इंदौर से उड़ान का वर्तमान समय दोपहर 2 बजे का है, जबकि ज्यादातर यात्री सुबह या शाम को ही दर्शन के लिए जाना पसंद करते हैं। हालाँकि कंपनी ने बुकिंग के आधार पर समय में बदलाव का वादा किया है।
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हेलीपैड की दूरी: इंदौर का हेलीपैड शहर से लगभग 15-21 किमी दूर अंबामोलिया में है। यात्रियों को हेलीपैड तक पहुँचने में ही काफी समय और खर्चा additional लग सकता है। ट्रैवल एजेंट्स का मानना है कि इसी पैसे में चार लोग Luxury कार किराए पर लेकर आराम से उज्जैन-ओंकारेश्वर का trip पूरा कर सकते हैं।

राजनीतिक रोष: कांग्रेस ने उठाए सवाल
इस सेवा पर सियासी बहस भी गर्मा गई है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमित चौरसिया ने इसे “भाजपा नेताओं के वीआईपी टूरिज्म का नया साधन” करार दिया है।
कांग्रेस ने सरकार से तीन सवाल पूछे हैं:
- क्या यह सेवा उन बेरोजगार युवाओं के लिए है जिन्हें रोजगार नहीं मिल रहा?
- क्या यह उन किसानों के लिए है जो कर्ज और बिजली संकट से जूझ रहे हैं?
- क्या यह सिर्फ भाजपा नेताओं के लिए वीआईपी पर्यटन का जरिया है?
विकास और संरक्षण के बीच संतुलन जरूरी
मध्यप्रदेश की पर्यटन हेली सेवा एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जहां एक तरफ राज्य के पर्यटन को गति देने की संभावना है, तो दूसरी तरफ देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और पर्यावरण संरक्षण की चिंता है।
सरकार का दावा है कि वह नियमों का पालन कर रही है, जबकि पर्यावरणविदों के पास उन आधारों पर सवाल हैं।
अंततः, इस विवाद का समाधान तभी निकलेगा जब वन्यजीवों के आवासों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए पर्यटन के विकास के लिए एक संतुलित रास्ता ढूंढा जाएगा।


