नई दिल्ली। केन्द्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार है और इंडिया गठबंधन हार के बाद भी खुशफहमी से लबरेज है।
वजह जाहिर है विपक्ष का पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करना, लेकिन इस बेहतर प्रदर्शन के पीछे जो वादे राहुल गांधी ने किए वो अहम वजह हैं।
लेकिन, ना तो इंडिया गठबंधन सरकार बना पाया और सरकार बनी नहीं तो वादे भी हवा हो गए। अब जनता कांग्रेस से जवाब मांग रही है।
गारंटी कार्ड लेकर लखनऊ के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर खड़ी हैं कि आपने कहा था खटाखट-खटाखट पैसे आएंगे।
वो पैसे कहां हैं क्योंकि राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में बढ़-चढ़कर वादा किया था कि उनकी सरकार आई तो कैसे लोगों को लखपति बना देंगे।
बहरहाल कांग्रेस के इस वादे पर पीएम मोदी ने विपक्ष पर करारा हमला ही नहीं बोला बल्कि इंडिया गठबंधन को आइना भी दिखा दिया।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में जिस तरह विपक्ष को लताड़ लगाई है उससे कांग्रेस के रणनीतिकारों को ये समझ में आ जाना चाहिए कि लोकलुभावन वादों के दम पर सिर्फ वोट लेने के लिए मतदाताओं को भ्रमित किया जाता है।
उसकी असलियत खुलने का अंजाम क्या होता है। लखनऊ में पीसीसी दफ्तर के बाहर लोगों की भीड़ इस बात की तस्दीक करती है।
याद हो कि 2018 में भी राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में किसानों का कर्ज माफ करने और दस दिन में सीएम बदलने जैसे कई वादे किए थे।
कांग्रेस ने सरकार बना भी ली थी, लेकिन उनके वादों में कितना दम था, मध्य प्रदेश की जनता ने देख लिया।
आज स्थिति ये है कि भले ही विपक्ष ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन सोशल मीडिया पर खटाखट-खटाखट ट्रोल हो रहे हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो ये सही है कि चुनाव जीतने के लिए ज्वलंत मुद्दों को हवा देना और जनता के बीच अपने आप को प्रेजेंट करने के लिए वादों और दावों का सहारा लेना सियासत का हिस्सा है।
लेकिन, आत्मविश्लेषण के बगैर हवा-हवाई बातें करना। जनता को भरमाना कहीं से कही तक जायज नहीं है क्योंकि मौजूदा भारत वो भारत नहीं है जहां नेता के आभामंडल में आकर जनता बिना सोचे-विचारे उसके पीछे चली थी।
आज यदि कोई दल या किसी दल का नेता कुछ कहता है तो उसे सोचना पड़ता है कि हम जो बोल रहे हैं या जो वादा कर रहे हैं, जनता से वो पूरा कर पाएंगे या नहीं।
जमाना सोशल मीडिया का है। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का है जहां झूठ और फरेब छिपता नहीं बल्कि साफ दिखता है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि जिस तरह तगड़े विपक्ष के रूप में इंडिया गठबंधन सामने आया है वो जनहित के मुद्दों को पूरी गंभीरता से सदन में उठाएगा और जनता ने जो भरोसा उनपर जताया है, उस भरोसे को वो कायम रख पाएगा।